प्रदेश रूचि


राजस्व विभाग के संरक्षण में चल रहा अवैध प्लाटिंग का अवैध कारोबार,विभागीय मंत्री और कलेक्टर के निर्देशों की कर रहे अनदेखी

बालोद: जिला अवैध कारोबार का गढ़ बन चुका है। यहां भू और खनिज माफियाओं का बोलबाला है। जिला मुख्यालय बालोद सहित आसपास के क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग का अवैध कारोबार जमकर फलफूल रहा हैं। और यह सब अवैध प्लाटिंग का खेल राजस्व विभाग के संरक्षण में चल रहा है। राजस्व विभाग में बैठे अधिकारी अपने ही विभागीय मंत्री और कलेक्टर के निर्देशों की अनदेखी कर रहे है। कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल भी राजस्व विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर अवैध प्लाटिंग पर कार्यवाही करने निर्देशित करते रहे है। बालोद नगर के गंजपारा, स्टेडियम के पीछे, कुंदरूपारा, नयापारा, बघमरा बायपास मार्ग, औराभाठा मार्ग, आमापारा, सजंय नगर, रेलवे कॉलोनी, पाण्डेपारा, पाररास सहित आसपास के क्षेत्र झलमला, सिवनी, देवारभाट, झलमला से जामगांव जाने मार्ग पर, परसोदा मार्ग, उमरादाह में जमकर अवैध प्लाटिंग की गई है। यानि कि बालोद अनुविभाग अंतर्गत अवैध प्लाटिंग का अवैध कारोबार जमकर फलफूल रहा है। कृषि भूमि पर अवैध रुप से कई टुकड़ो में प्लाटिंग की गई है। बालोद जिला मुख्यालय में भी कृषि भूमि को माफियाओं ने नही बख्शा है। सारे नियम कायदों को ताक पर रख अवैध रूप से प्लाटिंग कर अनाप शनाप दर में बेचा जा रहा है। नई कालोनियां/नगर विकसित किया जा रहा है, भूमाफ़ियाओ द्वारा उन्हें नाम दिया जा रहा है। किसी भी नियम का पालन भूमाफियाओं द्वारा नही किया जा रहा है।

राजस्व विभाग और भू माफियाओं की बड़ी मिलीभगत का मामला आया सामने..ईधर नपा प्रशासन ने जिस जमीन पर लगाई अवैध प्लाटिंग का बोर्ड…उधर उसी जमीन की हो गई रजिस्ट्री

राजस्व विभाग द्वारा नही की जा रही ठोस कार्यवाही

उल्लेखनीय है कि बालोद जिला मुख्यालय सहित नगर से लगे आसपास के इलाको में अवैध प्लाटिंग का काम पिछले कई सालों से लगातार जारी हैं। कई बार पूर्व में नोटिस भी जारी किया जा चुका है। लेकिन अवैध प्लाटिंग करने वालो के खिलाफ राजस्व विभाग द्वारा आज तक किसी प्रकार की कोई ठोस कार्यवाही नही की गई। जबकि अवैध प्लाटिंग के मामले सामने आने के बावजूद इस कारोबार में लगे लोगो को जमीन रजिस्ट्री के लिए नकल भी जारी कर दिया जाता है। अभी हाल ही में नगर के महादेव भवन के पीछे की नगरपालिका द्वारा खसरा नम्बर का उल्लेख कर सूचना बोर्ड लगाया गया, और उसी प्लाट पर एसडीएम द्वारा निरीक्षण कर नकल जारी नही करने तथा नामन्तरण प्रक्रिया पर रोक लगाने की बात कही गई थी। बावजूद उसी खसरे पर नकल जारी हो जाती है, और रजिस्ट्री भी। आपको बता दे कि प्रदेशरुचि मामले पूर्व में प्रमुखता से खबर का प्रकाशन किया था, जिसके बाद एसडीएम प्रतिमा ठाकरे, तहसीलदार आशुतोष शर्मा सहित पटवारी व पालिका की टीम ने महादेव भवन के पीछे मौके पर पहुच निरीक्षण किया, और नकल नही जारी करने के निर्देश दिए थे और बुलडोजर चलाने की बात कही थी। लेकिन आज उसी अवैध प्लाटिंग पर नकल जारी की गई है।

राजस्व विभाग और माफियाओं का बड़ा सिंडीकेट

बालोद जिले के जिला मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रो में अवैध प्लाटिंग के मामले सामने आने के बाद जहां मामले में राजस्व विभाग कोई ठोस कार्यवाही नही करता। हालांकि अखबारों में सुर्खियों ने बने रहने नकल जारी नही करने, नामन्तरण पर रोक लगाने बयान दिया जाता है। लेकिन वो बयान भी महज कुछ ही समय तक लागू रहता है। जिससे राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की भूमाफियाओं से मिलीभगत के अंदाजा साफ तौर पर लगाया जा सकता है। कि जिस जमीन को खुद प्रशासन अवैध प्लाटिंग मानती है, वही कुछ दिनो बाद उसी जमीन का नकल जारी हो जाता है। जमीन की रजिस्ट्री भी होकर प्रमाणीकरण के लिए पहुंच जाती है। जिससे जिले में राजस्व विभाग के कर्मचारी और भूमाफियाओं की नजदीकी का अंदाजा साफ तौर पर लगाया जा सकता है।

आम लोग राजस्व विभाग के काट रहे चक्कर, माफियाओं का काम घर बैठे

आपको बता दे की ग्रामीण इलाको से आने वाले लोगो को अपने जमीन संबधी छोटे-बड़े कामों के लिए राजस्व विभाग के कार्यालयों का कई बार चक्कर काटते देखा जा चुका है। कई दफा तो ग्रामीण जनदर्शन में भी शिकायत कर चुके है। आम लोगो के कार्य लंबे समय तक लंबित होने के चलते सरकार द्वारा राजस्व पखवाड़ा भी चलाया जाता है। बावजूद इसके आम लोगो को ऐसे चक्करों काटने की समस्या से निजात नही मिल पाता। लेकिन जमीन दलालों का काम घर बैठे हो जाता है। राजस्व विभाग के अधिकारियों के दफ्तर के दरवाजे उनके लियूए हमेशा खुले रहते हैं। वही आम आदमियों को मुलाक़ात करने अपने काम।सम्बंधी पर्ची भेजनी पड़ती है। वही दूसरी तरफ जिस जगह पर अवैध प्लाटिंग मामले पर बुलडोजर चलता है, नोटिस जारी होती है, नकल देने मना और नामन्तरण पर रोक लगाने की बात भी कही जाती है। फिर कुछ दिनो बाद उसी प्लाट पर नकल जारी कर रजिस्ट्री हो जाती है। ऐसे में राजस्व विभाग के कर्मचारियों की भूमिका संदेह के दायरे में आती है।

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