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*CG की पारंपरिक लोक उत्सव ‘छेरछेरा’ को लेकर लोगों में गजब का उत्साह……कोई “छेरछेरा माई कोठी के धान ला हेरहेरा ” बोल…तो कोई ” छेरीक छेरा छेर बरतनीन छेरछेरा ” गीत में नृत्य कर मनाते है यह पर्व…..!*

 

 

धमतरी….. छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक उत्सव पर्व छेरछेरा को लोग परंपरागत तरीके से मनाते है… यह पर्व पौष माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है, किसान जब अपने खेतों में लगाए गए धान की फसल को कटाई ,मिंजाई करते तब लोग इस त्यौहार को उत्साह के साथ मनाते है…बड़े बुजुर्ग ,महिलाएं, युवा और छोटे बच्चे समूह बनाकर थैला ,और टोकरी लेकर घरों के सामने पहुँचकर, छेरछेरा माई कोठी के धान ला हेरहेरा, की आवाज लगाते है…

तो वहीँ महिलाएं और छोटे बच्चे ,छेरीक छेरा छेर बरतनीन छेरछेरा की गीत सुनाकर समूह में नृत्य करते है…जिसके बाद घरों में धान लेकर बैठी महिलाएं इनके थैला ,टोकरी में धान डालकर अन्नदान करते है…इस तरह लोग पूरे गाँव में घूमते है और दिनभर यह सिलसिला जारी रहता है…ग्रामीण सहित सभी इलाकों में यह यह लोक उत्सव पर्व बेहद पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है, जिसमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति स्पष्ट रूप झलकती है… जिसको लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखाई देता है…

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