बालोद-केंद्र के इस निर्णय से देश की जनता और अन्नदाताओं की जीत हुई है। प्रजातंत्र में किसी भी अन्याय के विरोध में किया जाने वाला शांतिपूर्ण जनआदोलन जरूर सफल होता है और आतातायी अन्यायी शासक को झुकना पड़ता है।उक्त बातें प्रदेश की महिला बाल विकास व समाज कल्याण मंत्री अनिला भेडिया ने शनिवार को स्थानीय काग्रेस भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में कही।
देशभर में राहुल गांधी के नेतृत्व में काले कानून किया विरोध
महिला बाल विकास व समाज कल्याण मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन कानूनों के खिलाफ़ न सिर्फ किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था, कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी के नेतृत्व में देशभर इन काले कानूनों का विरोध किया। राहुल गांधी ने कहा था मोदी सरकार से एक दिन इस कानून को वापस लेने बाध्य होना पड़ेगा क्योंकि यह कानून देश के किसानों के हितों के खिलाफ है। अंततः केंद्र ने एक साल से अधिक समय की हठधर्मिता के बाद कानून को वापस लिया।
शांतिपूर्ण आंदोलन के सामने झुकना पड़ा मोदी सरकार को
श्रीमती भेड़िया ने कहा कि जिन किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी समर्थक न जाने क्या-क्या कहा गया अंततः उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के सामने मोदी सरकार को झुकना पड़ गया। इन काले कानूनों को पहले ही वापस ले लेते तो इन कानूनों के विरोध के कारण चलाये जा रहे आंदोलन में देशभर में 500 से अधिक किसानों की जाने नहीं जाती। आशा है प्रधानमंत्री की यह घोषणा पूरी ईमानदार होगी, इसके पीछे केंद्र सरकार की कोई और छुपी मंशा नहीं होगी।इन कानूनों को तो संसद में प्रस्तुत करने के पहले जब अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था उसी समय वापस ले लेना था।जिस कानून की विसंगतियों और दुष्प्रभाव को समझाने में किसानों और देश की जनता को तीन घण्टे भी नहीं लगे उन काले कानूनों के बुरे प्रभावों को समझने में मोदी सरकार को एक साल से भी अधिक समय लग गया।
मोदी सरकार कृषि कानून बनाने के लिए अपनाया अलोकतांत्रिक रवैया
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को बनाने के लिये अलोकतान्त्रिक रवैया अपनाया था। पहले तो अध्यादेश के रूप में लागू किया, जब संसद में विधेयक के रूप में पारित कराने की बारी आई तब बहुमत के अतिवाद का प्रदर्शन कर विपक्ष के विरोध को दबाने के लिये मार्शल तक को लगाया गया।
राज्यसभा में बिना चर्चा कराये ध्वनिमत से विधेयक को पारित करवा कर कानून बनाया गया। कृषि कानून बनाने के बाद भाजपा की लगातार हो रही हार और उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों के चुनावों को देखते हुये केंद्र सरकार इस कानून को वापस लेने बाध्य हुई।
प्रधानमंत्री कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर नए सिरे से शुरुआत करने की बात कर रहे। लेकिन कृषि कानूनों के विरोध के आंदोलनों में जिन लोगों की जाने गयी है जब तक उनके धाव में मरहम नहीं लगेगा नए सिरे से शुरुआत कैसे होगी ?प्रधानमंत्री मोदी को इन शहीद किसानों आंदोलनकारियों के परिवारों से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिये तथा मृतकों को उचित मुआवजा भी दिया जाये। प्रेसवार्ता के दौरान जिला काग्रेस अध्यक्ष चन्द्रप्रभा सुधाकर,पूर्व विधायक भैयाराम सिन्हा सहित आदि मौजूद थे।