बालोद- प्रतिभा किसी की मोहताज नही होती, लेकिन अगर प्रतिभाओं को समय पर सही सुविधाएं उपलब्ध ना हो तो वो भी गुमनामी के अंधेरे में खो जाती है। ऐसा ही कुछ बालोद जिला मुख्यालय में स्थित सरयू प्रसाद अग्रवाल स्टेडियम का हाल है। जिले में ग्रामीण इलाके से लेकर शहरी इलाकों तक खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं हैं। कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर में बालोद जिले का नाम रोशन कर चुके हैं।अब सरयू प्रसाद अग्रवाल स्टेडियम में खिलाड़ियों की जगह मवेशी और शराबियों ने ले ली हैं।
स्टेडियम की दुर्दशा के चलते नही की जाती खेल प्रतियोगिता
बालोद जिला मुख्यालय के गंजपारा स्थित सरयू प्रसाद अग्रवाल स्टेडियम लगभग 20 वर्ष पहले स्टेडियम निर्माण कराया गया था, ताकि इस क्षेत्र की खेल प्रतिभाएं सामने आ सके, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दुर्भाग्य की बात है कि स्टेडियम की दुर्दशा के चलते यहां कोई भी खेल प्रतियोगिता नहीं की जा रही हैं।देखरेख के अभाव में स्टेडियम आज पूरी तरह से मवेशियों का चारागाह बन गया है। स्टेडियम में शाम होते ही शराबियों का अड्डा बन गया है। दिन भर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। स्टेडियम निर्माण के समय गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया इससे यह टूटने लगा है। वहीं इसके बाद यह स्टेडियम को नगर पालिका के अधीन सौंप दिया गया, किन्तु अनदेखी के चलते स्टेडियम में दर्शकों के बैठने के लिए बनाए गए दर्शक दीर्घ में लगे टाइल्स को असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिया है। अंदर बने शौचालयों को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है और अब यह उपयोग लायक नहीं बचे है। धीरे -धीरे स्टेडियम में तोड़ फोड़ कर सामान चोरी किया जा रहा है लेकिन पालिका द्वारा द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
स्टेडियम में भरा बारिश का पानी
गौरतलब है कि स्टेडियम की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। यदि यहा खेल प्रतियोगिताएं होती तो स्टेडियम मे तोड़ फोड़ नहीं हो पाती और खेल प्रतिभाओं को भी लाभ मिलता लेकिन अभी तक यहां एक भी खेल प्रतियोगिता नहीं हो सकी। मैदान का पुराव और लेवल सही तरीके से न करने के कारण स्टेडियम के कई जगहों में बारिश का पानी भर गया है अगर नगर पालिका द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया तो यह मैदान खेलने लायक ही नहीं रहेगा।
स्टेडियम बना मवेशियों का चारागाह
सरयू प्रसाद अग्रवाल स्टेडियम पूरी तरह से जर्जर हो गया है।देखरेख के अभाव में स्टेडियम यह पूरी तरह से मवेशियों का चारागाह बन गया है।दिन हो रात में मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता हैं।यहां दर्शकों के बैठने के लिए बनाए गए सीढ़ी में मवेशियों के कारण इतनी गंदगी फैल गई है कि वहां खड़े होना भी मुश्किल है, मैदान मे समतलीकरण के नाम पर घटिया कार्य करा दिया इसमे काली मिट्टी को डाल रोलर चलवाना था, किन्तु न काली मिट्टी डाली न रोलर चला न मुरम डाल उस पर बारीक मिट्टी डाली गई। बल्कि उस पर कंकड़ मुरुम डाल कर खाना पूर्ति कर दी गई।
स्टेडियम बना असामाजिक तत्वों का डेरा
स्टेडियम निर्माण के बाद इसे पालिका के हैंड ओवर कर दिया गया है। इसके बाद भी नगर पालिका स्तर पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिससे असामाजिक तत्वों ने स्टेडियम में लगाई गई टाइल्स को भारी क्षति पहुंचाई है। यहां तक कि इसकी देखरेख न होने से सांझ ढलते ही यह स्टेडियम में शराबियों एवं असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है। दिन भर स्टेडियम में आसामजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। स्टेडियम के आस पास शराब की बोतलें और डिस्पोजल बिखरा पड़ा हुआ है।यहां तक शराबियों द्वारा शराब का सेवन कर बोतले को फोड़ देते हैं जो इधर उधर बिखरा पड़ा हुआ है।