बालोद- जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत जुगेरा के तलाब में सरपँच की मिलीभगत से सफेदपोश माफिया द्वारा लांकडाउन का फायदा उठाकर 15 दिनों तक अवैध मुरुम खनन कर परिवहन किया गया हैं।खनिज विभाग के नाक के नीचे सैकड़ो हाईवा का परिवहन किया जा चुका है। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत जुगेरा के तलाब की गहरीकरण कार्य के लिए मनरेगा के तहत लगभग 8 लाख रुपये की स्वीकृति हुआ था। जिसमे 250 मजदूरों ने प्रतिदिन गहरीकरण का कार्य किया है। तलाब का गहरीकरण का कार्य 20 दिनों चला था।मनरेगा का कार्य बंद होने के बाद सरपँच की मिलीभगत से जेबीसी से तलाब में मुरुम खनन कर ज्यादा गड्ढा खोद दिया है। तलाब गहरीकरण में प्रतिदिन 250 मजदूरों ने कार्य किया है। वही ग्राम पंचायत द्वारा मुरुम उत्तखन्न करने का कोई प्रस्ताव जारी नही किया गया ऐसा कहना है ग्राम पंचायत जुगेरा के सचिव का है। सफेदपोश और खनिज माफिया द्वारा लगभग 20 दिनों तक तलाब में अवैध खनन कर मुरुम परिवहन कर लाखो रुपये का कमाई किया गया । आलम यह है कि मुरुम वाली जगह में 08 से 10 फीट तक गहरे गड्ढे कर दिए गए हैं। खनन माफियाओं द्वारा आर्थिक हितों के फेर में तालाबों को बेहतरीन ढंग से खोदकर बर्बाद कर दिया गया है और शासन को लाखों का चूना लगाया जा चुका है।
माफिया द्वारा लांकडाउन का फायदा उठाकर सैकड़ो हाईवा मुरुम का किया परिवहन
बाते की ग्राम पंचायत जुगेरा में लांकडाउन के दौरान खनिज माफियाओं द्वारा 20 दिनों तक मुरुम खनन का कार्य गया है। इसकी जानकारी पंचायत सचिव तक को नहीं है। सूत्र बताते है की लगातार यहां एक जेसीबी और हाइवा परिवहन में लगे हुए थे। मुरूम का अवैध उत्खनन और परिवहन गया किया। जेसीबी मशीन से मुरुम खोदकर जमीन को खाई में तब्दील किया गया है। खनिज का बेतहाशा दोहन किया गया है। तालाब से कितना मुरूम निकालना है पंचायत प्रतिनिधि भी नहीं बता पा रहे हैं।
कभी भी हो सकती है अनहोनी
उल्लेखनीय है कि अब तक यहां लगभग 10 फीट से ज्यादा गहरा गड्ढा बन चुका है। कई ट्रीप मुरुम का परिवहन किया जा चुका है। ऐसे में जमीन खाई बन गई है। तालाब में कभी भी अनहोनी की घटना घट सकती है। वही इस अनहोनी की आशंका को लेकर ग्रामीण नाराज है। तालाब में भी मुरूम के अवैध खनन का मामला प्रकाश में आया था फिर भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।