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आरामिल संचालक को आवेदन लगाते ही मिला बिजली कनेक्शन..लेकिन बगल में ही एक आवेदक 3 माह से काट रहा चक्कर… ईधर आरामिल खुलते ही पहुंचा प्रतिबंधित कहवा पेड़ के गोले

 

बालोद – बालोद जिला मुख्यालय स्थित गंजपारा में में एक आरामिल जो की खुलते ही चर्चा में है प्राप्त जानकारी के अनुसार बालोद नगर के भीतर रायपुर से एक आरामील हस्तांतरित होकर गंजपारा में स्थापित हो गया और स्थापित होते ही इस आरामिल में शासन से प्रतिबंधित कहुवा पेड़ के बड़ी बड़ी कच्ची लकड़ियां पहुंचना भी प्रारंभ हो गया है। लेकिन इस पर आज तक स्थानीय राजस्व और वन विभाग की नजर नही पड़ पाई है। वही इस आरामिल खुलने से आसपास के लोग भी काफी परेशान है मामले को लेकर आरामिल के पास रहने वाले नगर के एक ट्रांसपोर्टर कारोबारी गौतम गुप्ता ने बताया कि ये मिल बहुत तेजी से खुला है और इसको खोलवाने में स्थानीय कुछ बड़े लोगो का महती भूमिका होने की बात कहते नजर आए।वही गौतम गुप्ता ने बताया की आज हम जैसे सामान्य लोगो को बिजली के नए कनेक्शन के लिए महीनो तक बिजली विभाग के चक्कर काटने पड़ते है। लेकिन ऐसे उद्योगों पर बिजली विभाग की भी मेहरबानी देखने को मिली गौतम गुप्ता ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि इस आरामिल के लिए मेरी जमीन से पोल लगाकर ले जाया गया।जबकि इससे 3 माह पूर्व गौतम गुप्ता द्वारा मिल के बगल में ही उनके निवास के लिए सिंगल लाइन कनेक्शन के बालोद बिजली कार्यालय में आवेदन दिया गया है और इसके लिए वे लगातार विभाग के चक्कर काट रहे है। बावजूद इसके बिजली विभाग द्वारा उनको लगातार गुमराह किया जा रहा है।जबकि उनके आवेदन से करीब 1 माह बाद उक्त आरामिल मालिक के द्वारा कमर्शियल बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन दिया गया है । जिसको बालोद के विद्युत विभाग द्वारा बिना किसी विलंब के लगा दिया गया। वही मामले पर गौतम गुप्ता ने कहा की जल्द ही उनके समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में कलेक्टर एवं मुख्यमंत्री जनदर्शन में इस पूरे मामले कि शिकायत करने की बात कहते नजर आए।

बालोद जिले में ऐसे मिलो पर मेहरबान वन विभाग

आपको बतादे केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा पूरे देश भर में पर्यावरण सरंक्षण कि दिशा में एक अनूठा पहल किया गया और लोगो से अपील भी किया गया की सभी एक पेड़ अपने मां के नाम लगाए ताकि इन पेड़ों का सही देखभाल हो सके और पर्यावरण संतुलित रहे इसी तारतम्य में बालोद जिले में प्रशासन ने एक अभियान चलाया “एक पेड़ मां के नाम” और जिले भर में हजारों पेड़ रोपे गए। लेकिन आज जिले भर में इन पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है लेकिन ये किसके नाम पर चढ़ रहा ये कह पाना मुस्किल है क्योंकि जिले भर में लकड़ी तस्कर इन दिनों पूरी तरह सक्रिय है और रात के अंधेरे में कहवा (अर्जुन)जैसे प्रतिबंधित पेड़ो की कटाई कर आरामीलो में पहुंचाई जा रही है।

 

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