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ये भाई जरा देख के…बीमा नहीं..फिटनेश भी नहीं…परमीट मे भी झोल झाल है…फिर भी दौड़ रहा सड़क पर… बालोद के परिवहन विभाग भी है नींद पर

बालोद,अगर आप बालोद जिले से संचालित बसों पर सफर कर रहे है तो हो जाए सावधान क्योंकि जिले की विभिन्न सड़कों पर कई खटारा बसे बेधड़क दौड़ रही है और कई बसें काला धुआं उगल रही हैं, इससे यह जाहिर हो रहा है कि यह बस सिर्फ बाहर से चकाचक दिख रही है लेकिन अंदर से पूरी तरह खटारा (अनफिट)है। फिटनेस के नाम पर होने वाले जांच में भी परिवहन विभाग के अफसर सिर्फ खानापूर्ति और ऐसे बस मालिको से सांठगांठ कर रहे हैं, जिसका नतीजा है कि अनफीट और कबाड़ हो चुकी बसें भी सड़कों पर दौड़ रही है जो धुआं उड़ा रही है। कई बार दुर्घटना का कारण भी ऐसी ही खटारा बसें होती है, लेकिन इसके बाद भी उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रदूषण फैला रही यात्री बसों और अन्य वाहनों से जनता बेहाल है वायुमंडल प्रदूषित होने लगा है लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। तो वहीं लोगो की जान जोखिम में नजर आ रही है।

जर्जर बसों पर सवार होते हैं यात्री

समय के साथ जहां मुख्य रूटों में अब आपसी प्रतियोगिता के कारण बसों की हालत में सुधार तो हुआ है, लेकिन सुदूर इलाकों में जाने वाली बसों की हालत अब भी जर्जर ही बनी है। इतना ही नहीं बस के अंदर जहां सीट टूटे होते है। इस पर प्रशासनिक महकमे के अधिकारी झांकते तक नहीं बसों की हालत इतनी दयनीय होती है कि गति की सीमा तो इन बसों की कम होती ही है। साथ ही इन बसों में चालक भी कई बार अनट्रेंड ही होते हैं जो किसी प्रकार बसों को मंजिल तक पहुंचा देते हैं। वही बसों की हालत भी कम बेहाल नहीं होती। इन बसों की सीट से लेकर बॉडी तक और टायर से लेकर इंजन व ब्रेक तक फिटनेस की पोल खोलते नजर आते हैं। बावजूद इन्हें भी फिटनेंस प्रमाण पत्र प्राप्त रहता है।


जांच की प्रक्रिया में बसों को देखने तक की जहमत नहीं उठाते परिवहन विभाग के अधिकारी

बसों का प्राय फिटनेस जांच की जाती है नियमानुसार बसों के संचालकों के पास विभागीय फिटनेस प्रमाण पत्र होते है। मगर वह महज खाना पूर्ति के सिवा और कुछ नहीं फिटनेस प्रमाण पत्र की निर्गत करने से पहले की प्रक्रिया जटिल है। बसों की एक निर्धारित उम्र सीमा होती है। नियमावली में उन्हें फिटनेस जांच कराना पड़ता है। जांच की प्रक्रिया में बसों को देखने तक की जहमत पदाधिकारी नहीं उठाते। पूरी जांच प्रक्रिया कागजी खानापूर्ति के साथ ही की जाती है। फिटनेस के लिए प्रदूषण केंद्र से प्रमाण पत्र ली जाती है। नियम कितने भी मजबूत हो और व्यवस्था कितनी ही टाइट हो, वाहनों में लगी लाइट विभाग को मुंह चिढ़ाती नजर आती है। सड़कों पर दौड़ने वाली वाहन बगैर फाग लाइट के चलते है। हेड लाइट भी यातायात की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है। बैक लाइट व पार्किंग लाइट के नियम लोग नहीं जानते।

हमारे द्वारा जब वास्तविकता की पड़ताल किया गया तो सनसनीखेज खुलासा हुआ, बस स्टैण्ड पर बालोद से ग्रामीण क्षेत्रों पर चलने वाली गाड़ियों का जब पेपर ऑनलाइन चेक किया गया तो एक बस का फिटनेश 02 अक्टूबर 2024 को खत्म हो चुका था वहीं गाड़ी का टैक्स 31 जुलाई एवं बीमा 22 जून को ही समाप्त हो चुका था तो वही एक और बस की फिटनेश 17 जनवरी 2024,टैक्स 31 दिसंबर 2023 तक और बिना 12 जनवरी 2024 को समाप्त हो चुकी हैं, कुछ बसों में तो परमिट की किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं मिल पाई। लेकिन ये अनफिट बसे रोड में परिवहन विभाग की मेहरबानी से बेधड़क दौड़ रही है।

आपको बतादे कि गाड़ियों के की गाड़ियों के बीमा फिटनेस पीयूसी आदि रिन्यूअल के बाद 24 घंटे के भीतर ही ऑनलाइन अपडेट होता है लेकिन बालोद बस स्टैंड से यात्रियों को भरकर लेजाने वाले ऐसे कई बस जिनका फिटनेस बीमा खत्म हुए महीनो बीत गए जिसके बाद भी ये बसे यात्रियों की जान जोखिम में डालकर फर्राटा भर रही है जिम्मेदार विभाग नींद में है ऐसे में आम लोगो को सजग रहने की आवश्यकता बहुत जरूरी हो जाती है

(नोट:- गाड़ियों की जानकारी  परिवहन विभाग के वेबसाइट एम परिवहन से चेक किया गया है।)

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