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जिले में ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सहित लोगों ने मशाल रैली के साथ विभिन्न मांगो को लेकर किया कलेक्ट्रेट का घेराव

बालोद। जिले में ओबीसी महासभा के लोगों ने भारी संख्या में मौजूद होकर कलेक्ट्रेट का घेराव किया।इस दौरान ओबीसी महासभा के लोगों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग देश के ग्रह मंत्री और मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर लंबित राष्ट्रीय जनगणना 2021 के फार्मेट में ओबीसी के लिए कॉलम नम्बर 13 में पृथक से कोड नम्बर निर्धारित कर जनगणना किए जाने एवं छत्तीत्तगढ़ में लंबित ओबीसी आरक्षण शीघ्र लागू करने की मांग को लेकर शुक्रवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौपा। ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम ने बताया कि संविधान में सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदायों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में 3 वर्ग बनाये गए है। जनगणना में इन तीनों वर्गों की दशाओं के आकड़े एकत्रित किए जाने चाहिए। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनगणना तो होती है किन्तु राष्ट्रीय जनगणना फार्मेट में अन्य पिछड़ा वर्ग का पृथक से कोड नम्बर नहीं होने के कारण अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना नहीं होती है।

 

 

जनगणना अविलंब की जाये एवं जनगणना उपरांत किया जाए ऑकडे प्रकाशित

 

राधेश्याम ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 340 के परिपालन में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए मठित आयोगों (काका कालेलकर आयोग, मंडल आयोग व मध्यप्रदेश रामजी महाजन आयोग) द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना कराये जाने बाबत् अनुशंसाएँ की गई है। तद्‌नुसार इस हेतु संसद में बनी सहमति के आधार पर जनगणना 2011 में पृथक से अन्य पिछड़ा वर्ग के ऑकडे एकत्र करने के प्रयास किए गए किन्तु आँकड़े जारी नहीं किए गए।ओबीसी महासभा आपसे सविनय प्रार्थना करती है कि लंबित राष्ट्रीय जनगणना 2001 के जनगणना फार्मेट के कॉलम 13 में ओबीसी के लिए पृथक से कोड नं 3 और सामान्य के लिए कोड नं 4 शामिल कर जनगणना अविलंब की जाये एवं जनगणना उपरांत ऑकडे प्रकाशित किया जाये। जिससे ओबीसी समाज भारत देश के नागरिक (मतदाता) होने के नाते जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी प्राप्त कर सके।

 

 

छत्तीसगढ़ राज्य में शीघ्र लागू किया जाये

30 वर्षों से लंबित ओबीसी आरक्षण

 

 

विगत 30 वर्षों से लंबित ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत छत्तीसगढ़ राज्य में शीघ्र लागू किया जाये। संविधान लागू होने के 43 साल बाद 1993 माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार ओबीसी 27 प्रतिशत आरक्षण केन्द्र सरकार केन्द्रीय सेवाओं में दिया गया, साथ ही राज्यों की स्थिति के आधार पर ओबीसी के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया, किन्तु ओबीसी समुदाय को अविभाजित मध्यप्रदेश में मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण शिक्षा एवं रोजगार में दिया गया, जोकि छत्तीसगढ़ में आज पर्यंत लागू है। बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय को आबादी के अनुरूप हिस्सेदारी (आरक्षण) प्रदान नहीं करने के कारण प्रदेश में ओबीसी समुदाय के समुचित विकास एवं उत्थान में अपरिमित नुकसान हो रही है। पिछली छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 02 दिसम्बर 2022 को धारित आरक्षण संशोधन विधेयक में महामहिम राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हो पाने के कारण 27 प्रतिशत आरक्षण लागू नहीं पाया है। राज्यपाल का हस्ताक्षर उक्त बिल में अविलम्ब हो।

 

ओबीसी समुदाय के लोगों के साथ आये दिन

हो रही वारदात

 

राधेश्याम ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों में ओबीसी समुदाय के लोगों के साथ आये दिन मांरपीट प्रताड़ना, हत्या, शोषण आदि की वारदात हो रही है। अतः ओबीसी प्रोटेक्शन बिल पारित कर न्यायिक सुरक्षा प्रदान की जाए तथा हाल ही में कवर्धा जिला में प्रशांत कुमार साहू का पुलिस हिरासत में दर्दनाक / जघन्य हत्या हुई है। मृतक प्रशांत कुमार साहू के परिवार एवं अन्य मृतक परिवार के एक सदस्य को शासकीय सेवा एवं 2-2 करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करते हुए एवं सीबीआई जांच किया जाये। भारत देश (विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र) में ओबीसी की जनगणना कराए जाने हेतु प्रेषित आवेदन पर त्वरित कार्यवाही कर ओबीसी समाज को सामाजिक न्याय प्रदान कर समतामूलक समाज की स्थापना में महती योगदान करने की मांग किया है अन्यथा ओबीसी महासभा चरणबध्द आंदोलन के लिए बाध्य होगी, जिसकी सम्पूर्ण जवाबदेही सरकार की होगी।

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