बालोद, नगर पालिका के रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उपलब्ध कराई गई दुकानों को लोगों ने अपनी निजी संपत्ति बना लिया है। धड़ल्ले से अतिक्रमण का दौर जारी है। कई रसूखदारों और राजनीतिक पहुंच रखने वालों के करीबियों को दुकान देने के बाद इन दुकानों में लगातार बगैर आदेश के अतिक्रमण जारी है। सरकारी अधिकारी भी अपनी जिम्मेवारियों से किनारा कर इस अनैतिक कार्य को हरी झंडी देते दिख रहे हैं। नगर में एक दुकान की महज 2 माह के भीतर की ये दो तस्वीर बताती है कि अतिक्रमण रोकने को लेकर बालोद नगर पालिका कितना सक्रिय है।
अवैध रूप से निर्माण का ताजा मामला पुराना बस स्टैंड स्थित व्यवसायिक परिसर का है, जहां नगर पालिका की दुकान में बिना अनुमति निर्माण कार्य धडल्ले से चल रहा है। यहां पर दुकानदारों को अतिरिक्त निर्माण की अनुमति नही है। मगर परिसर स्थित उत्सव गारमेंट नाम वाले दुकान में पक्का निर्माण किया जा रहा है। नियम विरुद्ध इस बेतरतीब निर्माण से पुराना बस स्टैंड में अतिक्रमण समस्या उत्पन्न हो रही है। आरोप है कि यह सब नगर पालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से हो रहा है।
शहर के हृदय स्थल पर जो अवैध निर्माण हो रहा है इसकी जानकारी पालिका को न हो ऐसा नहीं कहा जा सकता परंतु अवैध निर्माण दिन और रात जारी है। बालोद नगर पालिका परिषद की कार्यप्रणाली एवं मनमानी का गुस्सा मुख्य नगरपालिका अधिकारी पर फूट रहा है। लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के पार्षदों में आक्रोश का लावा फूटकर सामने क्यो नही आ रहा समझ से परे है। पालिका के जिम्मेदार अधिकारी और अध्यक्ष किस मजबूरी के कारण इस अवैध निर्माण पर कार्यवाही नही कर यह समझना मुश्किल है।
नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत इस जगह पर व्यवसायिक परिसर का निर्माण कर लोगों को दुकान दिया गया है। नगर परिषद के इस क्षेत्र में दुकानों का आकार निर्धारित हैं। इनके लिए भाड़े के तौर पर बाकायदा फिट की दर से वसूली भी की जाती है। आरोप है कि इस दुकान में दुकान आवंटन की शर्तों के विरुद्ध बिना अनुमति लिये निर्माण कार्य किया जा रहा है। ऐसे में लोगो के द्वारा नगर पालिका को अवैध निर्माण की सूचना भी दी जा रही है। ताकि नियमों के उल्लंघन पर नियमानुसार दुकान आवंटन को निरस्त किया जा सके।
नियमतः नगर पालिका द्वारा प्रदत्त दुकानों में बिना अनुमति के किसी प्रकार के निर्माण कार्य को कानून के विरुद्ध माना गया है। इसके बावजूद कानून को चुनौती देते पालिका निर्मित व्यवसायिक परिसरों में निर्माण के अलावा दुकानों को दूसरे को भाड़े पर देकर भारी मात्रा में भाड़े की उगाही का खेल भी जारी है।