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प्रदेशरुचि लगातार …जनभागीदारी अध्यक्ष के वायरल लिस्ट मामले ने पकड़ा तूल, कलेक्टर से गुहार की तैयारी में छात्र

बालोद जिले के शासकीय कॉलेजों में जनभागीदारी अध्यक्ष के मनोनयन संबंधी वायरल लिस्ट का मामला तूल पकड़ गया है। सत्ता परिवर्तन के 7 माह बाद जिले के सभी 16 शासकीय कॉलेजों में जनभागीदारी समिति के नए अध्यक्षों का मनोनयन होना है। लेकिन कार्यालय कलेक्टर के नाम वाले सोशल मीडिया में वायरल लिस्ट से विवाद गहरा गया है। बालोद लीड कालेज के छात्र इस मुद्दे को लेकर कलेक्टर से मिलने वाले है। इस मामले में सत्ताधारी पार्टी की खासी फजीहत हो रही है। दरअसल लिस्ट में जनभागीदारी अध्यक्ष के तौर पर जिनका नाम है, उनमें एक-दो को छोड़कर कोई जनप्रतिनिधि है ही नही।

नियमो में अमल होगा या नेता ही बन जाएंगे अध्यक्ष?

13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के शपथ ग्रहण के 2 दिन बाद ही यानी 15 दिसंबर 2023 को सभी जनभागीदारी समितियों को भंग कर दिया गया था। ऐसे में कांग्रेस समर्थित समिति अध्यक्ष, सदस्य सभी एक ही झटके से बाहर हो गए थे। उसके बाद से ही जिले भर के कई भाजपाई और उनकी विचारधारा के लोग अपने लिए यह पद पाने जोर आजमाइश लगा रहे हैं। ऐसे में नियमो को क्या सिरे से नकार दिया जाएगा और भाजपाइयों को ही पद दे दिए जाएंगे, इसका पता भी तभी चलेगा जब जनभागीदारी समितियों में मनोनयन होंगे।

छात्रों का कहना, नियमो के मुताबिक हो नियुक्तियां:

मामले में कॉलेजों के छात्रों का कहना है कि प्राचार्य और जनभागीदारी समिति अध्यक्ष बच्चों की शिक्षा और उनके सम्पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। इसलिए नियमो के मुताबिक ही नियुक्तियां होनी चाहिये। वायरल लिस्ट पर ज्यादातर छात्रों का कहना है कि चुने हुए जनप्रतिनिधि ही अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। अब हाल ही में वायरल सूची पर नजर डालें तो नियम टूटता नजर आ रहा है।

जाने क्या है मनोनयन के नियम:

विभागीय अधिकारियों के अनुसार जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष पद संबंधित नगर निकाय, जनपद पंचायत व जिला पंचायत के सदस्य, विधायक या सांसद को मनोनीत करने का प्रावधान है। अध्यक्ष का कार्यकाल निर्धारित नहीं होने के कारण बाद में सरकार ने नियम में संशोधन कर स्पष्ट किया है कि जनप्रतिनिधि पहले की ही तरह अध्यक्ष होंगे। जनप्रतिनिधि पद का कार्यकाल समाप्त होते ही उनका अध्यक्ष का कार्यकाल भी अपने आप ही समाप्त हो जाएगा।

यह है कॉलेज में समितियों का काम:

राज्य सरकार द्वारा कॉलेजों में अधोसंरचना के संवर्धन, शैक्षणिक एवं अन्य गतिविधियों के सफल संचालन के लिए जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने जनभागीदारी समिति गठित की जाती है। इस समिति को कॉलेज में दी जाने वाली शिक्षा व अधोसंरचना के विकास के लिए स्थानीय नागरिकों से स्वैच्छिक संसाधन एकत्र करने, विभिन्न गतिविधियों पर शुल्क लगाने और कंसलटेंसी आदि से राशि एकत्र करने का अधिकार है। जनभागीदारी समितियों द्वारा एकत्र धन राशि का व्यय भी समिति की अनुशंसा से ही किया जाता है।

जनभागीदारी समितियों के राजनीतिकरण पर लगे विराम:

विधि के छात्र देवेंद्र साहू का कहना है कि, जनभागीदारी समितियों में जनप्रतिनिधि, शिक्षाविदों एवं समाजसेवियों को ही जगह दी जानी चाहिये। जिससे कॉलेजों में जनभागीदारी समितियों के राजनीतिकरण पर विराम लगे और परिसर में स्वस्थ वातावरण निर्मित किया जा सके। चूंकि कॉलेजों में हजारों की संख्या में विद्यार्थी अध्ययनरत रहते हैं। ऐसे में उनसे सीधे संपर्क और उनकी समस्याओं के निराकरण कर या कराकर उनसे जुड़ने का यह बेहतर माध्यम होता था। इसके अलावा जनभागीदारी के माध्यम से कॉलेजों में होने वाली नियुक्तियों, निर्माण आदि के कार्यों में भी अध्यक्ष और सदस्य का काफी दखल रहता है।

 

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