बालोद। मंगलवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने नई संसद की लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया है। पीएम मोदी ने इस बिल को नारी शक्ति अधिनियम नाम दिया है। पीएम मोदी ने संसद में कहा कि हम जैसी भावना करते हैं, वैसा ही घटित होता है। पीएम ने पहली स्पीच में ही महिला आरक्षण बिल का जिक्र कर वो बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि पहले भी विधेयक को कानून बनाने की कोशिशें हुई हैं लेकिन शायद ईश्वर ने पवित्र काम के लिए मुझे चुना है। देश की आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को 33 परसेंट आरक्षण देने पर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राकेश यादव ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट का आभार जताया है। बता दें की विशेष सत्र के पहले दिन यानी सोमवार को कैबिनेट की अहम बैठक हुई थी। जिसमें इस बिल को मंजूरी दी गई। इस बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों को आरक्षित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही इस बिल में यह भी प्रस्तावित रखा गया है की प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए।
संसद में बिल पेश कर पीएम नरेंद्र मोदी ने रचा इतिहास:
गौरतलब हो कि अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। बहुत वाद-विवाद हुआ है। महिला आरक्षण को लेकर पहले भी संसद में प्रयास हुए हैं। 1996 में महिला आरक्षण से जुड़ा बिल पहली बार पेश हुआ था। महिला आरक्षण पर इस स्वप्न को भाजपा की केंद्र सरकार ने पूरा किया। 128वें संविधान संशोधन के साथ 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल संसद में पेश हुआ है। इससे देश प्रदेश की राजनीति अब बदल जायेगी।
नारी सशक्तिरण की प्रतिबद्धता का उत्तम उदाहरण: यादव
नारी को नारायणी बताते हुए पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष यादव ने कहा कि, यह हमारे देश के लिए एक ऐतिहासिक अनिवार्यता है। हम इस छलांग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं। इस विधेयक को पारित करना केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति का मामला नहीं है; यह हमारे लोकतंत्र में सच्ची लैंगिक समानता सुनिश्चित करने का मामला। वर्षों से महिलाओं के इस राजनीतिक संघर्ष को अपना संकल्प बनाकर मोदी सिद्धि तक ले जाने वाले हैं। ‘नारी शक्ति वंदन’ बिल जो लोकसभा में पेश हुआ वो हमारी महिला शक्ति हमारे राष्ट्र की नेतृत्व शक्ति बने उसको परिभाषित करेगा।
छत्तीसगढ़: 30 सीटों पर होगा महिलाओं का कब्जा:
छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल 90 सीटें है। इनमें से 29 सीटें एसटी और 10 सीट एससी के लिए आरक्षित है। बाकी सभी सीटें सामान्य है। 51 सीटों से कोई भी चुनाव लड़ सकता है। आरक्षित या अनारक्षित लगभग अधिकांश सीटों पर पार्टियां पुरुष उम्मीदवारों को मौका देती आई है। महिला उम्मीदवारों की संख्या बहुत ही कम होती है। दोनों पार्टियां चुनाव के दौरान बमुश्किल पांच से 10 महिलाओं को टिकट देती है। लेकिन जल्द ही इसमें बदलाव हो सकता है। इन बदलाव का असर राज्य की 90 में से 30 सीटों पर दिखेगा। राजनीति में आधी आबादी की 33 प्रतिशत भागीदारी यदि सुनिश्चित हो गई तो छत्तीसगढ़ के अगले विधानसभा में 30 महिला विधायकों की जीत तय है। फिलहाल छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनावों में 33 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित है।
क्या है महिला आरक्षण बिल ?
महिला आरक्षण बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों या 33 फीसदी को आरक्षित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही इस बिल में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। बिल में प्रस्तावित रखा गया है की प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए।