बालोद- (नरेश श्रीवास्तव) जिला मुख्यालय के मरारपारा गणेश वार्ड में स्थित जमीन से निकले स्वयं भू गणपति जिसको लेकर दिन प्रतिदिन भक्तों की आस्था बढ़ती जा रही है। पहले दो लोगों ने मुर्ति को व्यवस्थित कर पूजा की शुरूआत की उसके बाद भक्तों की संख्या बढ़ती गई और अब आज से गणेश चतुर्थी के ग्यारह दिनों तक शाम साढ़े 7 बजे महााआरती का आयोजन किया गया है।इसके साथ गणेश जी को 56 प्रकार का भोग लगाया जाएगा। मोरिया मंडल के सदस्य सुनील रतन बोहरा व संजय शर्मा ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर आज गणेश जी और ढ़ढ़ व बप्पा के वार बुधवार के दिन को भक्तों का तांता लगा रहता है। उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी पर 11 दिन में 11 प्रकार की प्रसदीय नैवेद्य भोग गणेश जी को चढ़ाया जाएगा।लगभग 70 वर्ष मरारापारा में जमीन के अंदर से एक पत्थर निकला जिसका आकार गणेश के स्वरूप का था। जिस पर नगर में निवास करने वाले स्व. सुल्तान मल बाफना और भोमराज श्रीश्रीमाल नजर पड़ी। बताया जाता है कि पहले बाफना परिवार के किसी सदस्य के स्वप्न में बप्पा आये थे। जिसके बाद दोनो व्यक्तियों ने भू स्वयं भू गणपति के चारो ओर टीन शेड लगाकर एक छोटा सा मंदिर बनाया। जिसकी पूजा लगातार 70 वर्षों से वह और उनके परिवार के सदस्य करते आ रहे हैं।
अभी भी श्रीगणेश का पैर जमीन पर
बता दें कि जमीन से निकले श्री गणेश के घुटने का कुछ हिस्सा अभी भी जमीन के अंदर है। लोग बताते हैं कि पहले गणेश जी का आकार काफी छोटा था लेकिन धीरे धीरे बढ़ता गया और आज बप्पा विशाल स्वरूप में हैं। लगातार गणपति का आकार बढ़ता देख गणेश भक्तों ने वहां पर मंदिर तैयार की और उस मंदिर में दूर दराज के लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।
2008 से बप्पा की सेवा में जुटा मोरिया मंडल परिवार
नगर के मरारपारा में बप्पा का छोटा सा मंदिर है लेकिन उसके प्रति लोगों की आस्था अखूट है। पहले तो केवल दो-चार लोग ही बप्पा की सेवा व पूजा अर्चना करते थे। लेकिन 2008 से नगर के महिला, पुरूष व युवक युवतियों की टोली बनी। जिसे मोरिया मंडल परिवार नाम दिया गया। जिसके बाद से लेकर अब तक मोरिया मंडल परिवार के सदस्यों के साथ नगर के लोग भी इस जमीन से निकले गणेश की सेवा व पूजन अर्चन करते हैं।
गणेश चतुर्थी में दीपावली जैसा आयोजन
पूरे वर्ष भर इस मंदिर में भक्तों का आना जाना लगा रहता है। लेकिन गणेश चतुर्थी पर ग्यारह दिनों तक चलते वाले गणेश चतुर्थी पर्व के दिन दिपावली जैसा माहौल रहता है। गणेश चतुर्थी के पखवाडे भर पहले तैयारी शुरू कर दी जाती है। इन ग्यारह दिनों तक शाम साढ़े 7 बजे गाजे-बाजे के साथ पूजा की जाती है। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में भक्त उपस्थित रहते हैं। इसके साथ ही ग्यारह दिनों तक अलग अलग तरह के प्रसाद वितरण किये जाते हैं।