बालोद,पूरे प्रदेश में अच्छी बारिस के बाद किसान अपने खेतों में फसल बोआई कार्य मे पूरी तरह जूट चुके है । और आधे से ज्यादा किसानों ने अपने खेतों में बोआई कार्य पूर्ण भी कर चुके है लेकिन आगे मौसम की खराबी अतिवृष्टि या अकाल जैसे हालात से फसल खराब होती है तो किसानों को फसल बीमा का लाभ नही मिल पायेगा।
दरअसल प्रदेश सरकार अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए कंपनियों का निर्धारण नहीं कर पाई है। इंश्योरेंस कंपनी निर्धारित न होने से योजना और भी गर्त में जा रही है। एक अप्रैल से 31 जुलाई तक फसलों का बीमा कराने का समय है, लेकिन अभी तक कंपनी का कहीं कोई अता-पता नहीं है। बारिश, मौसम व अन्य आपदा से फसल को होने वाले नुकसान पर किसानों को कुछ राहत देने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यह योजना चला रखी है। हर साल राज्य स्तर से टेंडर निकाल कर बीमा कंपनी का चयन किया जाता है। खरीफ और रबी दोनों सीजन में कंपनी फसलों का बीमा करती है। खरीफ के सीजन में एक अप्रैल से लेकर 31 जुलाई तक बीमा किया जाता है। वर्तमान में बोआई व रोपाई का 50 फीसदी कार्य हो गया है। लेकिन अब तक इंश्योरेंस कंपनी ही निर्धारित नहीं हो पाई है। नुकसान के बाद भी मुआवजा न मिलने से किसानों का मोह पहले ही इस योजना से भंग हो गया था। इस बार सरकारी तंत्र की ढिलाई योजना पर भारी पड़ रही है। फसल बीमा कंपनी के अधिकारियों का भी यही कहना है कि सरकार जिलेवार कंपनियों के निर्धारण में जितनी देर करेगी, कंपनियों के लिए उतनी ही परेशानी बढ़ती जाएगी।
राज्य से अब तक फसल बीमा का नोटिफिकेशन जारी नहीं
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लिए अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किए जाने के कारण जिले सहित पूरे प्रदेश में किसानों की फसलों का बीमा करने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। नोटिफिकेशन जारी नहीं किए जाने के कारण फसल बीमा कराने के इच्छुक अऋणी किसानों का बीमा नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में बोआई व रोपाई का 50 फीसदी कार्य हो गया है। ऐसे में बीमा नहीं होने तथा इस बीच किसी प्रकार की आपदा आ जाती है, तो ऐसे किसानों का बीमा कवर से वंचित होना पड़ सकता है। जबकि, ऋणी किसान का बीमा का प्रीमियम स्वतः ही जमा हो जाता है।
अऋणी किसानों को परेशानी-
अमूमन हर साल देखा जाता है कि खरीफ सीजन के लिए ऋण एवं खाद देने की प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व पीएमएफबीवाई के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाता है। लेकिन, इस साल जुलाई माह का प्रथम पखवाड़ा बीत गया है और अब तक फसल बीमा का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया जा सका है। जबकि, खरीफ फसल के लिए बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई तक रहता है। ऐसे में अब बीमा कराने के इच्छुक अऋणी किसानों के सामने सिर्फ 12 दिनों का समय शेष है। बता दें कि फसल बीमा के तहत बोआई से कटाई के बाद तक की स्थिति का बीमा कवर रहता है। इससे इस साल ऋण लेने वाले किसानों को फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि, उनके ऋण लेते ही बीमा की प्रीमियम ले लिया जाता है। लेकिन, अऋणी किसानों को फार्म भरने के साथ ही नगद में बीमा प्रीमियम जमा करना होता है।
कैसे होता है बीमा कंपनी का निर्धारण
फसल बीमा करने वाली कंपनियां जिले वार अपने प्रीमियम राशि का टेंडर डालती हैं। उसके बाद प्रदेश सरकार अलग-अलग जिलों के लिए बीमा कंपनी तय करती है। कम्पनी को दी जाने वाली प्रीमियम में किसानों के अलावा राज्य सरकार और केंद्र सरकार का भी अंश होता है।
एक लाख से अधिक का बीमा-
मानसूनी बारिश की दगाबाजी एवं अनुकुल अवसर पर बारिश नहीं होने से जिले में फसल लेना जोखिम का काम हो गया है। इसलिए हर किसान अब बीमा कराना चाहता है। जिसके चलते हर साल बीमा को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। बीते साल में जिले से कुल एक लाख 4 हजार 385 किसानों ने फसल बीमा कराया था, जिसमें एक लाख 3 हजार 67 किसान ऋणी और 1 हजार 318 किसान अऋणी रहे। जिनका कुल बीमित रकबा 1 लाख 25 हजार 996.63 हेक्टेयर है, और कुल बीमित राशि 61146. 270 लाख है। वही इनमें से 32 हजार 208 किसानों को 1142.137 लाख रुपये बीमा का भुगतान किया जा चुका है।
अधिसूचना नही हुई है जारी-
सहायक सांख्यिकी अधिकारी व्यास सिंह मंडावी ने बताया कि टेंडर जारी हो गया है, एचडीएफसी इर्गो इंश्योरेंस कंपनी को। लेकिन इस वर्ष अधिसूचना जारी नही हुई है। पता नही कब होगा। बहुत लेट हो रहा है। अधिसूचना जारी होना चाहिए, तो उसमें प्रीमियम राशि जारी होता हैं। कितना सरकार और कितना किसान का। तो इस साल का नही हुआ है। 3 साल का पिछले बार हुआ था, वो खत्म हो गया हैं।
“टेंडर हो गया है, एक ही कंपनी को जारी हुआ है, ज्यादा जानकारी आने पर ही दे पाऊंगा, अभी मैं मीटिंग में हूं, मंत्रालय में।”
जीएस ध्रुवे, उप संचालक, कृषि विभाग,बालोद