राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी छत्तीसगढ़ आ रहे है उनका स्वागत है। प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार पर रोक की बातें करते है लेकिन जब भ्रष्टाचार के मामले भाजपा से जुड़े हो तो प्रधानमंत्री मौन हो जाते है। अपने मित्र अडानी के घोटालों पर उनकी चुप्पी टूटने का इंतजार सारा देश कर रहा है। प्रधानमंत्री इस पर मौन है। प्रधानमंत्री के दल भाजपा की छत्तीसगढ़ में 15 साल सरकार थी इन 15 सालों में भ्रष्टाचार के अनेक नये रिकॉर्ड बने। रमन राज में 1 लाख करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। रमन के घोटालों की जांच के लिये मुख्यमंत्री ने ईडी को और आपको पत्र भी लिखा है। रमन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की शिकायत भी पीएमओ में हुई है। केंद्र में भाजपा की सरकार होने के कारण रमन सिंह के घोटालों की जांच नहीं हो रही है। राज्य की जनता का मानना है कि भाजपा का नेता होने के कारण रमन सिंह को केंद्र सरकार का संरक्षण मिला हुआ है। देश भर में विपक्षी दलों की सरकारों, विपक्ष के नेताओं के ऊपर बिना किसी ठोस कारण के केंद्रीय एजेंसियां जांच के लिये पहुंच जाती है। छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के घोटालों के पूरे तथ्य है फिर जांच क्यों नहीं करवाई जा रही है? मोदी जी से छत्तीसगढ़ की जनता उनके 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह के भ्रष्टाचारों की जांच का अनुरोध करते हैं। वैसे तो रमन और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के घोटाले की लंबी सूची है लेकिन हम प्रधानमंत्री जी से 6 घोटालो की जांच की मांग करते है। जिसमें सीधे मनी लॉड्रिंग हुई है और जो ईडी के जांच के दायरे में आता है। क्या प्रधानमंत्री रमन सिंह के इन भ्रष्टाचारों की जांच के लिये केंद्रीय एजेंसियों को भेजने का साहस दिखायेंगे?
*गरीबों के राशन का महाघोटाला 36,000 करोड़ के नान घोटाले की जांच क्यों नहीं करवाते?*
प्रधानमंत्री जी आप भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बातें करते है आपके दल की सरकार ने गरीबों के राशन में डाका डाला 36000 करोड़ का राशन घोटाला कर दिया। इसकी जांच के लिये भी मुख्यमंत्री ने ईडी और आपको भी पत्र लिखा है। आप रमन सिंह के नान घोटाले की ईडी से जांच क्यों नहीं करवाते? क्या आपके दल का नेता होने के नाते ही उनका यह गुनाह माफ हो जायेगा।
रमन के मुख्यमंत्री रहते 36000 करोड़ का नान घोटाला हुआ था। नान घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके परिजनों के संलिप्त होने के प्रमाण नान डायरी में आये। जिसमें सीएम मैडम, ऐश्वर्या रेसीडेंसी वाली मैडम, सीएम सर सहित दर्जनों ऐसी प्रविष्टियां मिली थी। जिसका इशारा सीधे तत्कालीन सत्ता के केन्द्र की ओर जाता था। रमन सिंह बताते क्यों नहीं कि नान डायरी वाली सीएम मैडम कौन है? जिनके नाम से करोड़ो रू. की इंन्ट्री नान डायरी में है। नान घोटाला छत्तीसगढ़ के गरीबो के चावल में प्रभावशाली लोगो द्वारा की गयी डकैती थी। इसके गुनाहगारों के नाम सामने आने ही चाहिये।
भाजपा और रमन सिंह नान घोटाले की जांच रोकना चाहते है इसीलिये तो कांग्रेस सरकार बनने के बाद जब नान घोटाले की जांच के लिये एसआईटी का गठन किया गया तो तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हाईकोर्ट में पीआईएल लगाकर स्टे लेकर आ गये। किसको बचाने के लिये कौशिक ने एसआईटी पर रोक लगाने स्टे लिया था? इन मामलो में सीधे मनी लांड्रिग और पैसे का नगद लेन देन हुआ है। इसकी जांच छत्तीसगढ़ की जनता चाहती है।
*चिटफंड घोटाला*
रमन राज में राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को लूटने का खेल सरकारी संरक्षण में हुआ प्रदेश की जनता के 6000 करोड़ से अधिक की रकम चिटफंड कंपनियों ने डकार लिया था। इन चिटफंड कंपनियों को तत्कालीन भाजपा सरकार और सरकार में बैठे हुये लोगों की संरक्षण था। खुद मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह; उनके सांसद पुत्र, अभिषेक सिंह; उनकी पत्नी, श्रीमती वीणा सिंह; भाजपाई मंत्री, सांसद व प्रदेश के आला अधिकारी ‘रोजगार मेलों’ के माध्यम से इन चिटफंड कंपनियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीधे तौर से शामिल हुए। सरकार द्वारा बाकायदा इन कार्यक्रमों के निमंत्रण दिए गए। भोली भाली जनता को लगा कि भाजपाई सरकार इन चिटफंड कंपनियों की साझेदार है और जीवन की सारी कमाई इन घोटालों और गड़बड़झालों में लुटा दी।
6000 करोड़ रू. के इस घोटाले की ईडी से जांच के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और ईडी के डायरेक्टर को जांच के लिये पत्र लिखा था। केंद्र सरकार रमन सरकार के घोटाले की जांच क्यों नहीं करवाती है? आखिर यह तो राज्य की जनता से सीधी लूट थी और इसमें रुपयों का अवैध लेन देन भी हुआ है फिर जांच से परहेज क्यों?
*प्रधानमंत्री जी रमन राज के शराब घोटालों की जांच कब करवायेंगे?*
डॉ. रमन सिंह की सरकार ने वर्ष 2012-17 के बीच सरकार ने शराब ठेकेदारों से मिली भगत कर लगभग 4400 करोड़ रूपयों का भ्रष्टाचार किया। रमन सरकार ने भी अपने कार्यकाल में दशकों से चली आ रही आबकारी नीति को परिवर्तित कर दिया था वैसे ही जैसे दिल्ली की आप सरकार ने किया है। दिल्ली की सरकार ने आबकारी नीति में परिवर्तन किया तो भाजपा ने आरोप लगाया कि घोटाला करने के उद्देश्य से शराब निर्माताओं को फायदा पहुंचाने के लिये यह नीति परिवर्तित की गयी, वहां के उप मुख्यमंत्री को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है वे जेल में है। ऐसे ही नीति परिवर्तन के लिये रमन सिंह की तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ भी जांच की जानी चाहिये।
प्रदेश के आबकारी विभाग में वर्ष 2012 से 2017 के बीच शासन के उच्चस्तरीय संरक्षण में प्रदेश में मौजूद शराब उत्पादकों को फायदा पहुंचाने एवं करोड़ों के कमीशनखोरी किये जाने के उद्देश्य से बिना मापदण्डों का पालन किये उनके उत्पाद को IMFL (इंडियन मेड फॉरेन लिकर) की केटेगरी में शामिल करते हुऐ शराब बिक्री में ठेकेदारों को अधिक मुनाफा दिया जाकर इन अवैधानिक तरीके से IMFL श्रेणी की केटेगरी में रखी गयी शराब को प्रदेश में ऊंची दरों पर बेचने का कार्य करते हुए कई सौ करोड़ रूपयों की कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।
रमन सरकार द्वारा मदिरा के सेल प्राईज फिक्सेशन में देशी शराब के निविदाकर्ता/लाइसेंसी को वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 में 60 प्रतिशत तथा वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक 50 प्रतिशत का मुनाफा प्रदान किया गया जो कि अन्य राज्यों से ढाई गुना अधिक था। सीएजी ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। रमन सरकार द्वारा देशी/विदेशी मदिरा के निविदाकर्ताओं को अत्यधिक मुनाफा दिए जाने के कारण वर्ष 2012-13 से 2016-17 के मध्य विदेशी शराब के रिटेलर्स को 946.79 करोड़ तथा इसी अवधि में देशी शराब के रिटेलर्स को 567.13 करोड़ का अवैध लाभ पहुंचाया गया। तत्कालीन आबकारी विभाग ने विभिन्न निविदाकर्ताओं/लाइसेंसी शराब ठेकेदारों के साथ आपराधिक षड़यंत्र करते हुए विक्रय कर निर्धारण में कुछ शराब निर्माताओं को फायदा पहुंचाने छत्तीसगढ़ राज्य के मदिरा की फुटकर बिक्री अनुज्ञापनों के व्यवस्थापन नियमों में दर्शित लाइसेंसी शर्तों में गलत परिवर्तन कर अवैध रूप से देशी/विदेशी मदिरा के फुटकर बिक्री मूल्य निर्धारण करने के दौरान वर्ष 2012-13 से 2016-17 के मध्य देशी/विदेशी मदिरा के फुटकर निविदाकर्ताओं को अधिक मुनाफा प्रतिशत प्रदान कर अनुचित लाभ प्रदान किया गया जिससे राज्य शासन का लगभग 4400 करोड़ रूपयों की आर्थिक क्षति कारित किया गया।
प्रधानमंत्री आपकी ईडी, सीबीआई, आईटी छत्तीसगढ़ के इस महाघोटाले की जांच करेगी?
*पनामा पेपर वाले अभिषाक सिंह की जांच क्यों नहीं करवाती केंद्र सरकार?*
प्रधानमंत्री देश का कालाधन विदेशों में रखने वालों की सूची पनामा पेपर में छत्तीसगढ़ के अभिषाक सिंह का भी नाम है। आप विदेशों से कालाधन वापस लाने की दुहाई देकर सरकार में आये है। आप छत्तीसगढ़ वाले अभिषाक सिंह की जांच क्यों नहीं करवाते है? इस अभिषाक सिंह का नाम छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र से मिलता है, इसका पता भी डॉ. रमन सिंह के कवर्धा निवास का पता है।
आई.सी.आई.जे. (इंटरनेशनल कौन्सोल्टियम आफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट) की प्रमाणिकता के आधार पर जिस तरह पनामा पेपर्स की जांच संस्थित की गयी है। उसी तरह अभिषेक सिंह की विदेशी कंपनियों में सामने आये तथ्य और दस्तावेजों की जांच की जाये। कांग्रेस अभिषेक सिंह और रमन सिंह के विदेशी बेनामी निवेशों की जांच की मांग करती है। अभिषेक सिंह के मामले का खुलासा आई.सी.आई.जे. द्वारा किया गया। पनामा पेपर्स से पहले अभिषेक सिंह के विदेशी निवेश की जांच होनी चाहिये। आई.सी.आई.जे. की वेबसाइट में ‘‘म.नं. 05, विंध्यवासिनी वार्ड, रायपुर-नांदगांव मार्ग कवर्धा, जिला कबीरधाम’’ दिया गया है। अभिषेक सिंह के पिता रमन सिंह का पता विधानसभा निर्वाचन के समय उनके शपथ पत्र में ‘‘म.नं. 05, रायपुर-नांदगांव मार्ग कवर्धा, जिला कबीरधाम’’ दिया गया है। अभिषेक सिंह के द्वारा अपना नामांकन में पता फार्म में यही भरा गया है। यही पता आई.सी.आई.जे. द्वारा उजागर लिंक्स में भी दिखता है। इन सारे महत्वपूर्ण तथ्यों के बावजूद भी केन्द्र सरकार रमन सिंह और अभिषेक सिंह के कालेधन के निवेश की जांच क्यों नहीं करवा रही?
*छत्तीसगढ़ में 15 साल में गौमाता के नाम पर भाजपा नेताओं ने 1677 करोड़ का घपला किया प्रधानमंत्री इस पर कुछ तो करें*
प्रधानमंत्री भाजपा की रमन सरकार में गौमाता के नाम पर 1677 करोड़ का घोटाला कर दिया गया। रमन राज में गौशालाओं के नाम पर 1677.67 करोड़ रू. भाजपाईयों ने गौशाला के नाम पर डकारा। रमन राज में 15 साल में 17000 से अधिक गायों की मौतें भूख से, बिना चारा पानी के तड़प कर हुई। 15 साल तक गौशालाओं को प्रतिदिन आहार के नाम पर 115 गौशालाओं को प्रतिदिन 28 लाख 75 हजार रु. से अधिक राशि दिया जाता था। इसकी कुल राशि होती है एक साल में 1 अरब 4 करोड़ 93 लाख 75 हजार, 15 साल में 1560 करोड़ का गौशालाओं में चारा के नाम पर दिया गया। 20 हजार रु. पशुओं की दवाइयों के लिए हर माह दिया जाता था प्रत्येक गौशाला को एक साल में 2 लाख 40 हजार रुपया दिया गया। 115 गोशाला को एक साल दवाई के नाम से 2 करोड़ 76 लाख रु. 15 साल में 41.5 करोड़ रु. के करीब दिया गया। शेड निर्माण, बोरवेल, बिजली व्यवस्था के अलावा अन्य खर्चों के नाम से 76 करोड़ रू. बंदरबाट किया। गौशाला को लगभग 5 से 10 एकड़ सरकारी जमीन आवंटित किया गया। 15 साल में लगभग 1000 एकड़ से अधिक के जमीन, भाजपा नेताओं ने गौशाला के नाम से लिया और उसका निजी उपयोग किया। स्वयं को गौसेवक बताने वाली भाजपा गौमाता के नाम पर घपला करने वालों पर कार्यवाही कब करेगी? प्रधानमंत्री जी आपकी ईडी इस घोटाले की जांच क्यों नहीं करती है?
*इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक के गुनाहगार भाजपा नेताओं पर भाजपा कब कार्यवाही करेगी?*
प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 22000 से अधिक खातेदारों का 54 करोड़ रू. का गबन हो गया। इस बैंक के घोटालेबाजों से भाजपा की तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्रियों ने घूस की रकम लिया था। मुख्य आरोपी ने अपने नार्को टेस्ट में रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, अमर अग्रवाल, रामविचार नेताम को पैसे देना स्वीकार किया था। गरीबों के रकम में घोटाले के इन आरोपी भाजपा नेताओं को भाजपा क्यों संरक्षण दे रही है? प्रधानमंत्री जी जवाब दें?
पत्रकारवार्ता में प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेन्द्र वर्मा, वंदना राजपूत, अजय साहू, नितिन भंसाली, अजय गंगवानी, संदीप दुबे, रिषभ चंद्राकर उपस्थित थे।
*रमन और उनके मंत्री मंडलीय सहयोगियों के घोटालों की सूची*
1 36000 करोड़ का नान घोटाला।
2 पनामा पेपर घोटाला।
3 मोवा धान घोटाला।
4 कुनकुरी चावल घोटाला।
5 आंखफोड़वा कांड।
6 गर्भाशय कांड।
7 नसबंदी कांड।
8 डीकेएस घोटाला।
9 शिवरतन शर्मा के भतीजे द्वारा किया गया धान परिवहन घोटाला।
10 अवैध पेड़ कटाई।
11 पोरा बाई कांड।
12 तत्कालीन शिक्षामंत्री केदार कश्यप की पत्नी की जगह कोई और महिला बैठी परीक्षा देने।
13 फर्नीचर घोटाला।
14 विज्ञान उपकरण खरीदी में घोटाला।
15 4400 करोड़ का आबकारी घोटाला।
16 1667 करोड़ गौशाला के नाम पर चारा, दवाई एवं निर्माण में किया घोटाला।
17 बीज निगम में दवाइयां, बीज एवं कृषि यंत्रों की खरीदी में किया गया घोटाला।
18 स्टेट वेयर हाउस के गोदामों के निर्माण में घोटाला।
19 स्वास्थ्य विभाग में मल्टी विटामिन सिरप में घोटाला।
20 जमीन घोटाला।
21 झलकी घोटाला (बृजमोहन अग्रवाल)।
22 परिवहन चेक पोस्ट पर घोटाला।
23 मोबाईल खरीदी में घोटाला।
24 बारदाना घोटाला।
25 भदौरा जमीन घोटाला (अमर अग्रवाल)।
26 पुष्प स्टील घोटाला।
27 चौबे कॉलोनी जमीन घोटाला।
28 इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला।
29 स्काई वॉक घोटाला।
30 एक्सप्रेस-वे घोटाला।
31 बिलासपुर सकरी बायपास घोटाला।
32 तेंदुपत्ता खरीदी घोटाला (300 करोड़)।
33 चिटफंड घोटाला 6000 करोड़ का।
34 रतनजोत घोटाला।