रायपुर, सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन दर्शकों के लिए ‘हम रहें ना रहें हम’ के साथ एक आकर्षक कहानी लेकर आ रहा है, जो समाज के दो अलग-अलग हिस्सों से आने वालीं महिलाओं की गहराई से पड़ताल करता है, जो अपनी-अपनी दुनिया में लोगों के लिए प्रेरणा हैं। यह शो दमयंती का सफर दिखाता है, जो रणकगढ़ के शाही बारोट परिवार की सिद्धांतवादी और परंपरावादी मुखिया है, वहीं सुरीली आज़ाद ख्यालों वाली एक ज़िंदादिल लड़की है।
‘हम रहें न रहें हम’ बदलाव का विरोध करने की इंसानी फितरत पर ध्यान केंद्रित करता है। बदलाव डर पैदा करता है और आमतौर पर लोग या तो इससे जूझते हैं या इससे दूर भागते हैं। जिंदगी के करीब इस प्रेरणादायक कहानी में किट्टू गिडवानी दमयंती बारोट और टीना दत्ता सुरीली अहलूवालिया का रोल निभा रही हैं और जय भानुशाली शिवेंद्र बारोट के रोल में हैं। स्वास्तिक प्रोडक्शंस के निर्माण में बना ‘हम रहें ना रहें हम’ पॉपुलर तुर्की ड्रामा ‘इस्तानबुल गेलिन’ (इस्तानबुल की दुल्हन) का रीमेक है, जो 10 अप्रैल से हर सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन (सेट) पर प्रसारित होगा।
अपने परिवार की इकलौती कमाने वाली, सुरीली अपनी आलसी चाची पम्मी, अपनी नेकदिल लेकिन गैर-जिम्मेदार बड़ी बहन साशा और 6 साल की भतीजी दीया की जिम्मेदारी उठाती है। उसके मृत माता-पिता उसके लिए विरासत में ‘द ग्रामोफोन कैफे’ (टीजीसी) छोड़ गए हैं, जो उसकी सबसे कीमती धरोहर है। यह इकलौती ऐसी जगह है, जो उसे अपने मां-बाप की मौजूदगी का एहसास कराती है। सुरीली के लिए, टीजीसी न सिर्फ एक विरासत है, जो उनके दिल के बेहद करीब है बल्कि उनके और उनके ग्राहकों के लिए खुशी का जरिया भी है। वो अपने छोटे-से औरतों के संसार की रखवाली, पालनहार और उनका गर्व है।
रणकगढ़ की दमयंती देवी के लिए उनकी शाही विरासत और उनके चारों बेटे उनका गौरव और उनकी खुशी हैं, और वो उनकी परंपरा बरकरार रखना चाहती हैं। उनका मानना है कि बड़े महानगरों का प्रभाव हमारी मूल संस्कृति को मिटा देता है और ‘छोटे बदलाव परंपराओं से बने महल में तूफान ले आते हैं’। उनका विश्वास और बदलाव के प्रति उनका विरोध अडिग है। और यही कारण है कि उन्होंने अपने चारों बेटों पर कड़ी लगाम लगाई है, जिन्हें उन्होंने अकेले ही पाला, पोसा और प्यार दिया है। उनके पास अपने हर बेटे के लिए एक प्लान है, जिसके तहत बारोट परिवार के सबसे बड़े बेटे शिवेंद्र बारोट को शाही वंश को आगे बढ़ाना है, लेकिन जब उनके मन में सुरीली के प्रति जज़्बात जागेंगे, तो बदलाव तो होकर रहेगा।
अपने बिल्कुल विपरीत तरीकों के बावजूद, इन दोनों महिलाओं की अपनी पारिवारिक परंपराओं को सहेजकर रखने की कोशिश एक जैसी है। अपनी-अपनी राह पर चल रहीं दमयंती अपने परिवार के सम्मान और रीति-रिवाजों को बचाने की कोशिश कर रही है, जबकि ज़माने की रफ्तार के साथ चलने वाली सुरीली अपने मां-बाप की यादों और उनकी विरासत को महफूज़ रखने की कोशिश में अपना सबकुछ दे रही हैं।
*कमेंट्स :प्रदीप हेजमाड़ी – हेड, बिज़नेस ऑपरेशंस, सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन*
हम ऐसी जानी-पहचानी और सुंदर दुनिया में रहते हैं, जो दिखाए जाने के काबिल है। हमारी कहानियों में गहराई और सशक्त किरदार हैं, जिनमें इंसानी जज़्बात और उत्साह की झलक मिलती है और यही खूबी हमारे साथ बिताए गए हर पल को यादगार बनाती है।
*स्वस्तिक प्रोडक्शंस से सिद्धार्थ कुमार तिवारी*
हर शो के साथ, हम सीमाओं को पार करने, परंपराओं को चुनौती देने और कुछ बेमिसाल एवं यादगार बनाने की कोशिश करते हैं। हम सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के साथ मिलकर ‘हम रहें ना रहें हम’ लॉन्च करने को लेकर उत्साहित हैं, जो दो आत्मनिर्भर महिलाओं की जिंदगी में गहराई से झांकता है। दोनों में अपनी-अपनी विरासत को बचाए रखने का एक जैसा जज़्बा है। मुझे विश्वास है कि एक मजबूत विशन और बढ़िया साझेदारी के साथ यह शो दर्शकों को आकर्षित करेगा और उन्हें एक बढ़िया अनुभव कराएगा।