बालोद-बालोद शहर बस नाम का शहर है। यहां अब भी गांवों जैसी व्यवस्था बनी हुई है। किसी भी क्षेत्र के विकास का आईना वहां की सड़कें होती हैं लेकिन बालोद शहरी क्षेत्र की अधिकतर सड़कें जर्जर हाल में हैं। यह आम नागरिकों के लिए बेहद संकट का कारण बनी पड़ी हैं लेकिन इस स्थिति से निजात के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
बता दे कि तेज बरसात एवं भारी वाहनों के दबाव के चलते जिला मुख्यालय के लगभग सभी प्रमुख सड़कें वर्तमान में चलने के लायक नहीं है वहीं जिला मुख्यालय के सदर मार्ग एवं एक वार्ड से दूसरे वार्ड को जोड़ने वाली प्रमुख मार्गों के निर्माण कार्य में कमजोरियों के कारण धूल का गुब्बार उक्त सड़कों की पहचान बन कर रह गई है। किसी भी मार्ग में चारपहिया वाहन गुजरने के पश्चात् उठने वाले धूल के गुब्बार के कारण दो पहिया एवं पैदल चलने वालों के चलने लायक भी नहीं रहता है। जिला मुख्यालय की प्रमुख सड़को की स्थिति को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर के भीतरी भागों की क्या स्थिति होगी। माना जाता है कि किसी भी शहर अथवा क्षेत्रों में विकास कार्यों की स्थिति का अंदाजा उक्त शहर अथवा क्षेत्र की सड़कों की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है।
जिला मुख्यालय की सीमा में प्रवेश करते ही जर्जर सड़क से होती हैं स्वागत
जिला मुख्यालय की सीमा में प्रवेश करते ही तांदुला नदी से लेकर गंजपारा, बस स्टैण्ड से राजहरा की ओर जाने वाले एकमात्र प्रमुख मार्ग में सैकड़ों स्थान पर छोटे बड़े गड्ढे होने तथा उक्त स्थानों से उड़ने वाली धूल एवं रेत कण के कारण पूरा मार्ग दुर्घटनाजन्य क्षेत्र में तब्दील हो गया है यथा स्थिति नगर से राजनांदगांव की ओर जाने वाली मार्ग की भी है। उक्त मार्ग से होकर प्रतिदिन जिला के प्रमुख अधिकारियों का आवागमन होने के पश्चात् भी जिला अधिकारी एवं संबंधित विभाग द्वारा प्रमुख मार्ग के संधारण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाना समझ से परे है। प्रमुख मार्ग के साथ ही नगर के सदर मार्ग की बदहाल स्थिति के चलते नगरवासियों को शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
बालोद शहर के मुख्य मार्गो में पाइपलाइन विस्तार के लिए डील मशीन से खोदी गई गड्ढे को 6 माह बाद नही भरा गया
ज्ञात हो कि कुछ वर्षों पूर्व पीडब्लूडी विभाग द्वारा घड़ी चौक से सदर मार्ग होते हुए वार्ड क्रमांक तीन नयापारा की सीमा तक सीसी रोड का निर्माण किया गया था जिस पर कुछ समय पूर्व पालिका प्रशासन द्वारा पालिकाध्यक्ष की पहल पर डामर सीलकोट का कार्य किया गया था साथ ही नगर के लगभग सभी प्रमुख मार्गों में डामरीकरण के पश्चात् डामर का सीलकोट किया गया था। वर्तमान में घड़ी चौक से नयापारा की सीमा तक पाईपलाईन के लिए उक्त मार्ग में लगभग सौ स्थानों पर ड्रील मशीन से काटा गया है। छह माह से अधिक समय बीत जाने के पश्चात् भी मार्ग में किए गए गड्ढे को ठीक नहीं किया गया है जो अघोषित स्पीड ब्रेकर बन कर रह गए हैं साथ ही डामर का सीलकोट उखड़ने से दिनभर मार्ग में धूल का गुब्बार उड़ते रहता है जिसके चलते नगरवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मार्गों की जर्जर स्थिति के साथ ही चौबीसों घंटे कब्जा जमा कर बैठे रहने वाले मवेशियों के चलते शहर का एक भी मार्ग सुगमतापूर्वक चलने के लायक नहीं रह गया है। नगर की अस्त व्यस्त स्थिति को देखकर प्रतीत होता है कि बालोद नगर सिर्फ नाम का जिला मुख्यालय बन कर रह गया है।