बालोद-बालोद जिले के डोंडीलोहारा ब्लाक के ग्राम जाटादाह में होलिका दहन के बाद सुबह अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा आज भी जीवित है। पौराणिक मान्यता अनुसार होलिका दहन के सुबह उस अंगारे में चलने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है।गांव को आपदा से और खुद को विभिन्न बीमारियों और संकटो से दूर रखने के लिए ग्रामीण इस परंपरा को निभाते हैं। लगभग सौ साल पुरानी इस परंपरा में गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नंगे पैर धधकते अंगारों पर ऐसे चलते हैं, मानो सामान्य जमीन पर चल रहे हों। उनके पैरों में न तो काई छाला पड़ता है और न ही किसी तरह की तकलीफ अंगारों पर चलते समय होती है।
आज भी परंपरा को निभा रहे है ग्रामीण
गांव के चौराहे पर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद ग्रामीणों के सहयोग से होलिका दहन किया जाता है। इसके बाद अंगारों पर नंगे पैर निकालने का सिलसिला शुरू होता है। यह परंपरा कब शुरू हुई और किसने शुरू की, इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है। लेकन ग्रामीण श्रद्धा के साथ इसे निभा रहे हैं।
जाटादाह में होलिका के अंगारों पर चलते हैं पैदल
डौंडीलोहारा में तहसील मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर दल्लीराजहरा मार्ग पर स्थित ग्राम जाटादाह में होलिका दहन के बाद महिलाओं को छोड़कर बच्चे, युवा व बुजुर्ग होली जलने के बाद बचे हुए अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं। वहां छोटे-छोटे बच्चे बिना किसी डर के अंगारों पर नंगे पैर आना-जाना करते हैं।
100 वर्षों से अधिक समय से परंपरा
इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया की पूरे गांव में होलिका दहन एक ही स्थान पर किया जाता है। बताया कि यह परंपरा लगभग 100 वर्षों से भी अधिक समय से चल रही है। इस दौरान शादीशुदा महिलाओं व युवतियों से ही डौंडीलोहारा के युवाओं ने भी वहां पहुंचकर जलते हुए अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं, पर उन्हें खरोंच तक नहीं आती। इस परंपरा को आज भी ग्रामीण निभा रहे है।इस आयोजन को देखने के लिए आस पास व दूर दराज के ग्रामीण बड़ी सँख्या में पहुँचते हैं।