बालोद ….कहते है कोशिश करने वाले कि कभी हार नही होती..इन अल्फाजो को सही साबित करती है इनकी प्रतिभा …जिले में किसी शासकीय विभाग में बसंत एक ऐसा पहला कर्मचारी है…. जिसे हर कोई देखकर कहता है वाह क्या आदमी है.पैरों से वह सरपट लिखता है.दफ्तर में भी पैरों के जरिए ही वह कई काम कर लेता है… सील लगाना, साइन करना और विभिन्न फाइलों को मेंटेन करना बसंत के लिए आसान सा है….बसंत उन लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं जो खुद को दिव्यांग समझते हैं और अपनी कमजोरी में ही जीते रहते हैं। कभी आगे बढ़ने की सोचते नहीं। लेकिन बसंत ने अपनी दिव्यांगता को कभी कमजोरी नहीं मानी।
कहावत यह भी है कि इंसान की तकदीर उनके उनके हाथों की रेखाओं में लिखा होता है लेकिन बालोद जिले के बसंत हिरवानी ने इन बातों को झुठलाते हुए अपने पैरों से लिख डाली अपनी किस्मत जी हां ये हैं दिव्यांग बसंत हिरवानी जिनके दोनों हाथ नहीं हैं फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी 1983 से तहसील कार्यालय में सहायक ग्रेड 2 के पद पर पदस्थ हैं..बसंत का कहना है कि बचपन से ही उन्होंने कभी अपने दिव्यांगता को अपने ऊपर हावी होने नही दिया .
.हालांकि स्कूली शिक्षा के समय जब पहली बार दोस्तो ने अपने हाथों से कलम पकड़े तो फिर बसंत ने अपने पैरों के उंगलियों में पेंसिल फसा ली और इनके इस प्रयास को देख स्कूली शिक्षक भी इनका हौसला अफजाई किये ..और प्रायमरी से लेकर हायर सेकंडरी की परीक्षा पास कर लिए…और आज जिला के सबसे ज्यादा व्यस्तता वाले कार्यालय में अपनी दक्षता का लोहा मनवा रहे है..वही इनका यह हौसला आज चाहे जिले की बात की जाए या देश के दिव्यांगों के लिए एक मिसाल बन रहा है