बालोद/अर्जुन्दा – कहते हैं कि अगर हौसला अगर बुलंद हो तो बड़े से भी बड़े लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखण्ड के अन्तर्गत ग्राम डुड़िया के यशवंत कुमार टंडन पिता श्री हूबलाल टंडन और पल्लवी बारले पिता श्री प्रकाशचंद बारले ग्राम तवेरा निवासी ने पर्वतारोही के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
दोनों युवक और युवती ने उत्तराखंड के नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक या चाइना पीक जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8622फीट(2611 मीटर) है उस पर तिरंगा लहराया है। यह पर्वत चोटी भौगोलिक रूप से मध्य हिमालय का हिस्सा है। इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन के तत्वावधान में यशवंत कुमार टंडन और कु. पल्लवी बारले ने यह लक्ष्य हासिल किया है। यशवंत कुमार टंडन का सपना है कि वो विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करना है! समुद्र तल से 2611 मीटर(8622 फिट) की ऊंचाई पर स्थित नैना पीक नैनीताल शहर की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है । इस पर्वत की चोटी से जहॉ एक ओर हिम से ढके हुए हिमालय का पश्चिम में बंदरपूंछ चोटी, पूर्व में नेपाल के अपि एवं नरी चोटी तक का विहंगम दृश्य दिखायी देता है वहीं दूसरी ओर नैनीताल शहर की सुंदरता का ‘बर्ड आई व्यू’ देखाई देता है! एक तरफ जहाँ पूरी दुनिया कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निज़ात पाने के लिए भरपूर कोशिश कर रही है वहीं इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड राज्य के नैनीताल में सात दिवसीय नैशनल एडवेंचर कैम्प का आयोजन किया गया था जिसमें छत्तीसगढ़ से 7 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग लिया था। जिसमें बालोद जिले से दो यशवंत और पल्लवी ने भाग लिया। नैनीताल में सबसे ऊँची चोटी नैना पीक या चाईना पीक जिसकी ऊँचाई लगभग 8622 फ़ीट(समुद्र तल से) है। उस पर सफ़लता पूर्वक चढ़ाई करके राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराया और भारतमाता की जय , वन्देमातरम और छत्तीसगढ़ महतारी की जय, छत्तीसगढ़िहा सबले बढ़िया के जयकारे लगाकर छत्तीसगढ़ राज्य का नाम रौशन कर गौरवांवित किया।
जब दिल में आसमान छूने का हौसला हिलोरें मारता हो तो फिर संसार का कोई भी शिखर बड़ा नहीं लगता यही वजह है कि करकोटक ट्रैक 1290 मीटर फतेह करने के बाद नैना पीक पर सफलता पूर्वक चढ़ाई कर तिरंगा लहराया। पिता बताते हैं कि चट्टान पर चढ़ने के लिए चट्टान जैसे ही मजबूत इरादे होने चाहिए। इरादे मजबूत थे, इसलिए उन्होंने यह साहसिक कार्य कर दिखाया है।
उत्तराखंड में 8 नवंबर से 14 नवंबर तक आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय स्तर पर साहसिक कैंप में हिस्सा लेकर वहां कि सबसे ऊंची चोटी नैना पीक पर तिरंगा लहराया।
इस पीक की ऊंचाई 8622 फीट (2611) मीटर है। जहां चढ़कर यशवंत और पल्लवी ने तिरंगा लहराया। शुरु से ही यशवंत एन.सी.सी, राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस) जैसे इकाईयों से जुड़कर समाज सेवा के कार्यों में रूचि रखते थे और कई बार सम्मानित भी हो चुके हैं।
विगत दिनों 5 नवंबर से 14 नवम्बर तक सात दिवसीय इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड में साहसिक कैंप का आयोजन किया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर कराए गए इस आयोजन में देशभर के 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। इनमें से छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के यशवंत कुमार टंडन और पल्लवी बारले ने भी भाग लिया था। जिसमें समूह के साथियों को पीछे छोड़ यशवंत ने तय समय में सबसे पहले नैना पीक पर चढ़कर तिरंगा लहराया और अपना लोहा मनवाया। और भारत माता की जय, वन्दे मातरम्, छत्तीसगढ़ महतारी की जय, छत्तीसगढ़िहा सबले बढ़िया के नारों के साथ जयकारे लगाए और छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित बालोद जिले व अपने ग्राम डुड़िया व माता-पिता का भी नाम रोशन किया।
*शासकीय महाविद्यालय अर्जुन्दा के छात्र हैं यशवंत*
शासकीय महाविद्यालय अर्जुन्दा में अभी यशवंत बी.ए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत हैं। और राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस) के सक्रिय स्वंय सेवक भी है। जिससे जुड़कर समय समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
*गांव का भी बढ़ाया मान संरपच ललिता भुआर्य*
ग्राम पंचायत डुड़िया के संरपच श्रीमती ललिता भुआर्य ने कहा कि यशवंत हमारे गांव का होनहार व प्रतिभावान युवा है। जो समय समय पर निस्वार्थ भाव से देश एवं समाज हित में सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक कार्य करता है और यशवंत गांव के अन्य बच्चों के लिए एक प्रेरक बिंदु का स्त्रोत है।
*माता-पिता ने कहा गर्व है हमें अपने बेटे पर*
यशवंत के पिता श्री हूबलाल टंडन और मां सविता टंडन ने कहा कि हमारे बेटे राष्ट्रीय स्तर पर साहसिक कैंप में हिस्सा लेकर नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी पर देश की आन-बान-शान तिरंगा लहराकर छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित बालोद जिले और अपने ग्राम डुड़िया और हमारा नाम रोशन किया है। हमें गर्व है कि यशवंत हमारा बेटा है।
*कैंप जाने तक के नहीं थे पैसे सपनों के आगे आर्थिक समस्या बनी दीवार*
यशवंत ने बताया कि जब उन्होंने कैंप जाने के लिए घर से पैसे मांगे तो आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें पैसे नहीं मिले। लेकिन यशवंत ने हार नहीं माना और उन्होंने अपने छत्तीसगढ़ सतनामी समाज के प्रदेशाध्यक्ष युथ श्री दीपक मिरी जी बात किया। और इस बारे में बताया तब उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से छत्तीसगढ़ सतनामी के पदाधिकारियों ने यशवंत को आर्थिक रूप से मदद किया और यशवंत ने उनके विश्वास और भरोसा पर खरा उतरते हुए सबसे पहले चढ़ाई कर समाज का नाम रोशन किया।
*पल्लवी बारले बनी बालोद जिले की प्रथम महिला पर्वतारोही*
बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखण्ड के अन्तर्गत ग्राम तवेरा गांव की रहने वाली पल्लवी बारले ने उत्तराखंड के नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक पर 13 नवंबर 2021 की सुबह 2 बजकर 8 मिनट पर तिरंगा लहराया है और इसी के साथ पल्लवी ने जिले की पहली महिला पर्वतारोही का गौरव प्राप्त किया है। पल्लवी बताति है कि भविष्य में वो दुनिया की सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट चोटी की चढ़ाई करना चाहती है।
*पैरों में पड़ गए थे छाले लेकिन हार नहीं मानी*
जब चढ़ाई शुरू की तो दोनों युवक युवती ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कई बार परिस्थितियां ऐसी बनी थी कि किसी की भी हिम्मत टूट जाए, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी। यशवंत ने बताया कि कारकोटक ट्रैक व नैना पीक सबमिट करने के लिए कई दिनों की मेहनत रही है। इसके लिए विशेष प्रशिक्षण भी लिया इसके बाद कठिन लक्ष्य को हासिल कर सके।
*चोटी पर तिरंगा लहराना किसी सपने से कम नहीं था*
यशवंत और पल्लवी ने बताया कि करकोटक ट्रैक व नैना पीक तक पहुंचने का सफर बेहद मुश्किल और चुनौतीपूर्ण रहा है। पहली बार यहां इतनी अधिक ऊंचाई पर पहुंचने के बाद तिरंगा लहराना हमारे लिए किसी सपने से कम नहीं था।
इस साहसिक कार्य के लिए इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन के प्रेसिडेंट इफ्राइम अहमद, सीनियर डिप्टी डायरेक्टर रोहित झा, संसदीय सचिव व विधायक कुंवर सिंह निषाद सहित अन्य लोगों ने भी यशवंत और पल्लवी को सफलता हासिल करने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।