बालोद-बालोद जिला मुख्यालय बालोद से तकरीबन 8किमी दूरी पर स्तिथ ग्राम अरौद में निर्मित हो रहे कृषि विज्ञान केंद्र प्रशासनिक भवन निर्माण व फार्मर भवन में जमकर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है . शासन द्वारा करोड़ो रुपये की लागत से बन रहे रहे इस भवन में न केवल गुणवत्ताहीन सामग्रियों का उपयोग बल्कि जहां अच्छे गुणवत्ता वाले एंगुलर क्रशर गिट्टी (angular crusher stone) का उपयोग किया जाना चाहिए वहां पूरा निर्माण कार्य के कांक्रीट कार्य में काले फर्सी परतदार पत्थरो के टुकड़ों ( fleky Crusher Stone) से भवन का पूरा कांक्रीट कार्य किया जा रहा है.वही इस विज्ञान केंद्र के निर्माण के नामपर बड़े लेबर भ्रष्टाचार की जा रही हैं.
इस पूरे मामले में स्थानीय ग्राम पटेल से लेकर उपस्थित ग्रामीणों का आरोप है कि भवन निर्माण में नींव से लेकर स्लैब निर्माण कार्य तक घटिया क्वॉलिटी की सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया हैं. ख़ास तौर पर स्लैब निर्माण कार्य में खुरदी खदान के फर्शी स्टोन का इस्तेमाल किया जा रहा हैं..जबकि किसी भी निर्माण कार्य में लाइम स्टोन का इस्तेमाल किया जाता हैं.जिसकी वजह से स्लैब की मजबूती को लेकर सवाल खड़ा हो गया हैं.भविष्य किसी भी प्रकार की अनहोनी होने की आशंका भी बनी हुई हैं..
इतना ही नही निर्माण कार्य स्थल पर सूचना पटल बोर्ड भी नही लगाया गया हैं.जिसका अब ग्रामीणों ने भी विरोध करना शुरू कर दिया है, और मामले की शिकायत कलेक्टर एवं कृषि मंत्री से करने की बात कर रहे हैं.साथ ही पेटी ठेकेदार ने भी फर्शी पत्थर को लाइम पत्थर से कमजोर बताया है. वही वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केआर साहू की माने तो भवन की लागत करीबन 1 करोड़ 40 लाख रुपये हैं. जिसकी पूरी मॉनिटरिंग रायपुर कृषि महाविद्यालय के टेक्नीशियन की टीम द्वारा की जा रही हैं.निर्माण कार्य में किस तरह और किस क्वालिटी की सामाग्री लगनी है, ये उन्हें भी नही मालूम.
बहरहाल ग्रामीणों के विरोध के बाद भवन का काम तत्काल बन्द करवाने का आश्वासन दिया गया है. लेकिन अधिकारी के हटते ही काम को फिर से प्रारंभ कर दिया गया वही मामले में विभाग के सब इंजीनियर अनिल श्रीवास्तव से चर्चा करने पर बताया कि ठेकेदार द्वारा कर्सर प्लांट का गिट्टी का उपयोग किया जा रहा है और इस गिट्टी में कोई शिकायत नही है जबकि मामले जब हमारी टीम ने छानबीन की और कुछ निर्माण विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर जानकारी लिए तो बताया गया कि बालोद जिले के कुरदी स्थित कुछ खदानों से इस तरह का गिट्टी निकाला जाता है
लेकिन इन गिट्टी का उपयोग न तो लोकनिर्माण न ग्रामीण यांत्रिकीय,पीएमजीएसवाई और न ही पंचायत से लेकर कोई भी निर्माण एजेंसी कांक्रीट कार्य मे इस गिट्टी का उपयोग किया जाता है वही बहुत आपातकाल की स्थिति में फर्सी परतदार पत्थरो के टुकड़ों ( fleky Crusher Stone) को अधिकतम 30% तक एंगुलर क्रशर गिट्टी (angular crusher stone) मिक्स किया जा सकता है लेकिन विभागीय इंजीनियर द्वारा दिये गए अन्य तर्कों के अनुसार ठेकेदार द्वारा इस काम को अनुमानित लागत से करीब 15% कम में लेने के कारण और वर्त्तमान में निर्माण सामग्रियों के दाम आसमान में होने के चलते ऐसा करने का तर्क देते हुए पूरे निर्माण को सही करार देते नजर आए वही मामले में आगे ग्रामीणो द्वारा जिला प्रशासन व कृषि मंत्री से शिकायत करने की बाते कहते नजर आए बहरहाल देखना होगा इंदिरा गांधी कृषि विज्ञान केंद्र के प्रशासनिकभवन व फार्मर वेटिंग हॉल के निर्माण को लेकर आगे किस तरह की कार्यवाही होती है