बालोद। आगामी 8 दिसंबर को कमरौद, बालोद की मुमुक्षु दीक्षार्थी लब्धि बहन की दीक्षा संपन्न होने जा रही है। वे सांसारिक मोह माया से विरक्त होकर संयम के पथ पर अग्रसर हो रही है। उनके त्याग के मार्ग को प्रशस्त करने हेतु प्रथम कार्यक्रम केशर छांटना आज महावीर भवन में निपुणl शिशु प्रवचन प्रविणl स्नेहयाशा श्रीजी के सानिध्य में सानंद संपन्न हुआ। साध्वी श्री ने अपने प्रवचन में बताया कि जीवन में प्रत्येक उपलब्धि मिल जाएगी, यदि हममें विनय का गुण आ जाए। इसके लिए हमें मान कषाय का पूर्ण त्याग करना होगा। जीवन में शांति के लिए केवल अपने अहम का त्याग करना होगा। झुकना सीख लो सब अपने हो जाएंगे।
अहम को छोड़ दिया तो जीवन में अर्हम प्रगट हो जाएगा। अर्हम हममें से प्रत्येक व्यक्ति में अर्हम अर्थात् परमात्मा उपस्थित है। केवल प्रगटीकरण नहीं हो पाता है। उसके लिए केवल जीवन में विनय भाव को दृढ़ करना होगा। हमें वृत्तियों का त्याग करते ही वैराग्य पथ मिल सकता है। वैराग्य जीवन की पराकाष्ठा होती है संयम जिसे ग्रहण कर लब्धि बहन आज उस सयम मार्ग पर अग्रसर हो रही है। मोक्ष प्राप्ति हेतु केवल गुरु का सम्मान एवं आदेश का परिपालन ही हमारे जीवन को उच्च दिशा प्रदान कर सकता है। मैं पने को मिटाना होगा। केशर है त्याग का प्रतीक, क्षमा की तीव्र उर्जा ही आत्मा का त्वरित उत्थान करने में सहायक होती है। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुमुक्षु बहन लब्धि संकलेचा के साथ पिता घनश्याम जी एवं माता ज्योति संकलेचा के साथ सभी परिजनों का गाजे बाजे के साथ बालोद श्री संघ के सदस्यों ने स्वागत सत्कार किया।
तत्पश्चात साध्वी जी के सानिध्य में मुमुक्षु बहन एवं संघ के सदस्यों ने केशर घोलकर त्याग एवं बलिदान के प्रतीक केशर के छींटे समस्त साध्वीजनो पर बरसाए ।कार्यक्रम में बालोद एवं आसपास के जैन संघ के सदस्य भी उपस्थित थे। जैन श्री संघ के अध्यक्ष डॉ प्रदीप जैन, मदन बाफना, मूर्ति पूजक संघ के अध्यक्ष बाबूलाल ढ़ेलडिया, मुकेश भंसाली, रूपचंद गोलछा, भीखमचंद गोलछा, शंकर लाल श्रीश्रीमाल , प्रमोद गोलछा, विनोद गोलछा एवं प्रकाश भंसाली आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन त्रिशला जैन ने किया।