बालोद-निर्माण मजदूरों की बंद सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को पुनःप्रारंभ करने सहित 14 सूत्रीय मांगों को लेकर भवन एवं अन्य मजदूर निर्माणी संध ने सोमवार को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री व सहायक श्रमायुक्त के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौपा। भवन व अन्य मजदूर निर्वाणी संध के जिलाध्यक्ष रविशंकर साहू ने बताया कि छ.ग. प्रदेश में वर्ष 2008 में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल का गठन कर निर्माण क्षेत्र में कार्य करने वाले मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा
देने उनका जीवन स्तर ऊपर उठाने उन्हें प्रशिक्षित कर उच्च आय वर्ग में
शामिल करने सहित 29 विभिन्न योजनाओं प्रारंभ की गई थी । मुख्यमंत्री / श्रम मंत्री बनने के पश्चात् से अफसरशाही के चलते इन योजनाओं में से अधिकांश योजनाए
बंद कर दी गई है जिससे मजदूर वर्ग में त्राहि-त्राहि मची हुई है।
1. कन्या विवाह योजना प्रारंभ की जाये:- महोदय जी को ज्ञात हो कि कन्या विवाह योजना से निर्माण मजदूरों के परिवार को मिलने वाली राशि से उनके बेटियों के हाथ पीले करने में मदद मिलती थी ।उल्लेखनीय है कि देश के अन्य राज्यों में निर्माण बोर्डो द्वारा कन्या
विवाह में 50000/- से लेकर 1 लाख रूपये तक की राशि दी जा रही है इसके उलट हमारे प्रदेश में यह योजना ही बंद कर दी गई है।
अतः विवाह योजना में 1 लाख रूपये की राशि दी जाये।2. कोरोना काल में दिव्यांग हुए पंजीकृत श्रमिक के परिवार को एक लाख रूपये की सहायता राशि मंडल से दी जाये इसमें नवीनीकरण की बाद्धयता समाप्त की जाये।
3. पंजीयन प्रक्रिया की जटिलता को और सरल किया जाए कानून के अनुसार पंजीकृत श्रमिक संगठनों के नियोजन प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया गया है किन्तु श्रम विभाग में पदस्थ सहायक श्रमायुक्त / श्रम
पदाधिकारी इसे स्वीकार न करते हुए पंजीयन निरस्त कर देते है ऐसे अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये तथा पंजीकृत
श्रमिक संगठन के प्रमाण पत्र अनिवार्यतः लागू किया जाए।4. आम निर्माण मजदूर अपने जीविकापार्जन में ही व्यस्त रहता है ऐसे में उसके द्वारा प्रतिवर्ष पंजीयन नवीनीकरण करना संभव ही नही है एतएव नवीकरण की प्रथा समाप्त किया जाए।
5. योजनाओं के समस्त लंबित आवेदनों पर 30 दिवस के भीतर निराकरण कर भुगतान किया जाए एवं मंडल द्वारा संचालित समस्त
योजनाओं को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत संबंद्ध कर निराकरण किया जाए।6. भगिनी प्रसुति योजना में वर्तमान में 10000 रूपये की सहायता राशि
दी जाती है जिसे दुगुना कर 20000 किया जायें।7. ई-रिक्शा सहायता योजना में दी जाने वाली राशि को 1.50 लाख
दिया जाए।8. छात्रवृत्ति योजना की राशि को दुगुना किया जाये।
9. पंजीकृत श्रमिक की उम्र 60 वर्ष पूर्ण होने पर उसे न्युनतम 3000/ रूपये मासिक पेशन दी जाए यदि ऐसे श्रमिक की मृत्यु 60 वर्ष की
आयु पूर्ण करने के पहले हो जाये तो उसके आश्रितों को यह सहायता सुनिश्चित की जाए।10. कोरोना काल में लाकडाउन की वजह से निर्माण मजदूरों की दशादीन हीन हो गई है भारत सरकार ने देश की समस्त प्रदेशों के
निर्माण बोर्डो को नगद सहायता राशि देने का निर्देश जारी किया था।और लगभग देश के सभी राज्यों ने अपने-अपने प्रदेश के निर्माण
श्रमिको को नगद सहायता राशि दी है यह अत्यंत वेदना पूर्ण है कि छत्तीसगढ़ राज्य में निर्माण श्रमिकों को यह सहायता आज तक उपलब्ध नही हुई है जबकि छत्तीसगढ़ बोर्ड के पास1500 करोड़ रूपये से ज्यादा की धनराशि फंड में पड़ी हुई है जबकि लगभग 18 लाख पंजीकृत मजदूर है अतः कम से कम 5000 रूपये प्रत्येक श्रमिक को प्रदान किया जाए।11. यह अत्यंत दुखद है कि निर्माण श्रमिको की सामाजिक सुरक्षा को लेकर चलाई जा रही योजनाओं में श्रम विभाग के अधिकार कर्मचारी बड़े पैमाने पर भ्रष्ट्राचार में लिप्त है यहां तक की मृत्यु सहायता जैसी योजनाओं में दी जाने वाली एक लाख रूपये की राशि
में से आधी से ज्यादा राशि डकार ले जाने की शिकायते पूरे प्रदेशभर से आ रही है जो अत्यंत ही निदनीय है कृपया मृत्यु सहायता योजना में अब तक स्वीकृत किये गये प्रकरणों की पूर्ण जांच की जाये और दोषी अधिकारियों पर शक्त से शक्त कार्यवाही की जाए।12 महिला निर्माण श्रमिकों के आवेदनों पर उन्हें तत्काल पंजीकृत कर संचालित योजनाओं के लाभ से लाभान्वित किया जाये।
13. मृत्यु सहायता योजना में आवेदन की अवधि 90 दिवस से बढ़ाकर 1वर्ष किया जाए एवं आवेदन के 7 दिवस के भीतर भुगतान अनिवार्य किया जाए।
14. प्रदेश में की जा रही श्रम मित्रों की नियुक्ति में पंजीकृत श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों को अनिवार्यतः रखा जाए।अध्यक्ष रविशंकर साहू,महामंत्री यशोदा देशमुख,नेतराम साहू,रामसिंग अग्रवाल, मोहनलाल,पीलूराम साहू,हेमंत साहू,बलसिग साहू,धनश्याम सिंह,धिराज ठाकुर सहित आदि उपस्थित थे