बालोद-जिले की जीवन दायिनी तांदुला जलाशय के कैचमेंट एरिया को खनिज माफिया द्वारा चैन माउंटेन से खोदा जा रहा है।दो सरकारी विभागों के मिलीभगत के चलते विभाग के ही एक ठेकेदार द्वारा भविष्य में डेम को होने वाली किसी नफा नुकसान की परवाह किये बगैर केवल अपने फायदा को ध्यान में रखकर संरक्षित क्षेत्र का मुरुम को खोदा जा रहा है। वही सिचाई विभाग के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा परसोदा नहर लाइनिग में मुरुम फिलिंग वर्क करने के लिए तांदुला जलाशय के कैचमेंट एरिया से मुरुम खनन करने की बात कही गई पर विभाग ने ठेकेदार को उक्त जगह पर मुरुम कि खोदाई करने एनओसी कैसे जारी हुआ बता पाने में असफल रहा जबकि उस एनओसी के आधार पर ही खनिज विभाग ने संरक्षित एरिया में मुरुम की खोदाई एवं परिवहन के लिए ठेकेदार को रायल्टी जारी करने का हवाला दिया है
तांदुला जलाशय के कैचमेंट यरिया में 5 हजार 160 घनमीटर मुरुम उत्खनन करने की दी अनुमति
इस मामले पर खनिज विभाग के अधिकारी द्वारा बताया गया कि तांदुला जलाशय के कैचमेंट यरिया के खसरा नंबर 421 में मुरुम खनन के लिए ठेकेदार राकेश गुप्ता बालोद को दिया गया है, 5 हजार 160 धनमीटर मुरुम खनन के लिए गया है।2112 धनमीटर पत्थर उत्खनन के लिए अनुमति दिया गया है। खनिज विभाग द्वारा रॉयल्टी पर्ची दिए जाने की बाते कही जा रही है लेकिन ठेकेदार द्वारा बिना रॉयल्टी पर्ची के खुलेआम मुरुम का उत्खनन कर परिवहन किया जा रहा है। तांदुला जलाशय के क्षेत्र में मुरुम खनन के लिए जलाशय के अंदर भी बेतहासा अवैध मुरुम का खनन कर रहे हैं। ठेकेदार ने बिना कोई डर के बाकायदा चैन माउंटेन मशीन लगाकर बेधड़क खुदाई करवा रहा है।
जलाशय के अंदर सीने को चीरकर मुरुम निकालकर जलाशय के आस्तित्व को खतरे में डाल रहे है ठेकेदार
वहीं दूसरी ओर इसी काम की आड़ में तांदुला डेम के अंदर सीने को चीरकर अवैध मुरुम निकाल कर जलाशय के अस्तित्व को ही खतरे में डाल रहे हैं। ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से जलाशय के कैचमेंट यरिया में मुरुम उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है।उक्त स्थल पर पहुचकर जब मुरुम उत्खनन का आदेश या रॉयल्टी पर्ची मांगने पर चैन माउंटेन व हाइवा के चालक द्वारा ठेकेदार के पास होने की बाते कही गई।लेकिन ठेकेदार द्वारा उक्त आदेश कॉपी को लेकर स्थल में नही पहुचा इससे साफ जाहिर है कि कहीं न कहीं से ठेकेदार के साथ अफसरों के मधुर संबंध हैं जिसके कारण ही संरक्षित क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन पर लगाम लगाने में अधिकारी अक्षम साबित हो रहे हैं।