बालोद-जिले के दल्लीराजहरा में साल भर पहले माइंस क्षेत्र में काम कर रहे एक ठेका श्रमिक अतिराम के माैत की मामले में पुलिस ने बीएसपी के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जांच में यह पाया गया कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही श्रमिक की जान गई। अकुशल श्रमिक से बिजली का काम कराया जा रहा था जो हादसे का कारण बना।
राजहरा पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान दस्तावेज व घटना स्थल निरीक्षण में पाया कि लोहे का बिजली पोल 10 साल से क्षतिग्रस्त था। जिसको अपने विभाग प्रमुख आरके सिन्हा व महेन्द्र सिंह व अन्य के साथ विजिट के दौरान देखने पर क्षतिग्रस्त लोहे की पोल को वहां से हटाने कार्य योजना तैयार किया गया था। लोहे की पोल में लगे 11 केवी तार को हटाकर हुकिंग कर नीचे से गैस कटर से काट कर अलग करना था। बीएसपी के अधिकारियों ने यह नहीं सोचा कि जिस लोहे के डेमेज पोल तारों से उपरी सपोर्ट से खड़ा है। उसमे मजदूर को बिना योग्यता के गेट पास में लाइन मेन का दर्जा देकर क्षतिग्रस्त पोल में चढ़ाया गया। पोल में कोई भी अन्य सपोर्ट नहीं देकर मजदूर को उस पर काम करा रहे थे। जो लापरवाही को भी दर्शाता है। मृतक अतिराम बीएसपी के रेगुलर अधिकारी व कर्मचारी के कहने पर अपने साथी श्रमिक घनश्याम के साथ काम पर गया था। उसके साथ बीएसपी राजहरा का रेगुलर कर्मचारी चंद्रशेखर भी देखरेख के लिए साथ में था। पोल को डिस्मेंटलिंग करने से पहले बीएसपी के डीजीएम पवित्र कुमार मंडल, प्रभारी यंत्रीकृत खान आरके सिन्हा, सीनियर मैनेजर महेन्द्र सिंह, शिफ्ट प्रभारी डीके राउतकर, सीनियर टेक्नीशियन राजहरा माइंस चंद्रशेखर वर्मा के द्वारा कार्य योजना तैयार किया गया था।
सपोर्ट नहीं मिलने से क्रेक वाले हिस्से टूटकर गिरे
मृतक अतिराम पोल में लगे बिजली के तार के सहारे पोल पर खड़ा था। पोल का उपरी सपोर्ट नहीं मिलने से क्रेक वाले हिस्से टूटकर नीचे गिर गए। अस्पताल लाते समय उसकी माैत हो गई। निर्माण कार्य में उपरोक्त आरोपियों की लापरवाही के कारण श्रमिक मृतक अतिराम को चोट आने से मृत्यु होना पाया गया। जो अपराध धारा 288, 304ए, 34 भादवि का होना पाये जाने से अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।