दुर्ग – भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व उन हर बहनों के लिए बेहद खास है जिनकी रक्षा और आगे बढाने के लिए भाईयों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। ऐसी ही एक शख्सियत का नाम है राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय जिन्होने दुर्ग की धरती से राष्टीय स्तर तक का सफर तय कर अपनी अलग पहचान कायम की। इनकी इस कामयाबी के पीछे कभी न सामने आने वाला वो भाई रहा जिसने रूढीवादी परम्परा को तोडकर अपनी बहन को आगे बढाने कोई कसर नही छोडी और हमेशा हर चुनौती के समय वो ढाल बनकर खडा हो गया।
भाई बहन का रिश्ता सदियों से चला आ रहा है। कभी भाई ने भगवान कृष्ण बनकर अपनी बहन की रक्षा की तो कभी बहन के प्रेम ने भाई को हर विपत्तियों से बचाया। ऐसा ही भाई बहन का प्रेम है दुर्ग की राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय और इनके भाई राकेश पाण्डेय का। रक्षाबंधन पर दोनों भाई बहन सारी व्यस्तताओ से परे पूरे आत्मीय भाव से इस पर्व को मनाते है। इस वर्ष भी इन्होने अपनी वर्षो पुरानी परम्परा का निवर्हन किया। सरोज पांडे ने अपने भाई राकेश को राखी बांधी और उनका मंुह मीठा करवाया।
राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय के जीवन में भाई की भूमिका वैसी ही रही जैसे युद्ध के समय एक ढाल की होती है। उस जमाने में जब लोग सामान्य घर के लिए राजनीति नही मानते थे और तरह तरह की लोगों की सोच होती थी उस वक्त राकेश पाण्डेय अपनी बहन सरोज की ढाल बनकर हर चुनौतियों का सामना किया और अपनी बहन को आगे बढाया ।
राजनीति का ये सफर सांसद सरोज के लिए मुमकिन हो सका है सिर्फ और सिर्फ उनके भाई राकेश पाण्डे की वजह से , जिन्होंने अपनी बहन को आगे बढ़ाने अपनी पूरी उम्र लगा दी , जिंदगी में ऊंचा मुकाम हासिल करने के सपने तो देखे लेकिन अपने नही सिर्फ अपनी बहन के लिए , वे तो आज भी भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप ही खुश है।
राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय छत्तीसगढ़ ही नही देश की राजनीति में भी आज अलग पहचान रखती है। महापौर से लेकर विधायक और लोकसभा सांसद तक का सफर । भाजपा के राष्ट्रीय संगठन में महामंत्री का दायित्व और राज्यसभा सांसद की जिम्मेदारी… इन तमाम दायित्वों का सरोज पाण्डेय ने बखूबी निवर्हन किया है। सरोज ने लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ी ,और भाई के साथ ने हर मुश्किल मोड़ और कठिन डगर को आसान बना दिया।