बालोद -.बीजापुर के नेशनल पार्क के जंगल में नक्सली मुठभेड़ में छग के दो जवान शहीद हुए थे..जिसमे एक शहीद जवान बालोद जिले के डौंडी ब्लॉक के ग्राम फागुनदाह के वसित रावटे भी शामिल था …शहीद जवान का पार्थिव शरीर को सेना के हेलीकॉप्टर से तांदुला रिसॉर्ट में बने हैलीपेड पर लाया गया…..जहां पर स्थानीय विधायको प्रशासनिक अधिकारियो और राजनेताओं के द्वारा श्रद्धांजलि दी गई….जिसके बाद शहीद जवान वसित रावटे के शव को पुलिस पायलेटिंग तथा कड़ी सुरक्षा के बीच उनके गृह ग्राम फागुनदाह लाया गया…शहीद जवान का शव गांव पहुंचते ही गांव में लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी…और अपने गांव के सपूत को अंतिम विदाई देने से पहले लोगो के आंखो से आंसू भी नही रुक रहे थे…..इस दौरान क्षेत्र के विधायक अनिला भेड़िया जिले के एसपी कलेक्टर सहित तमाम अधिकारी और ग्रामीणों ने शहीद को श्रद्धांजलि दिए…वही शहीद जवान का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया….इस दौरान शहीद के अंतिम यात्रा में शामिल पुर्व मंत्री व विधायक अनिला भेड़िया ने इस पूरे घटना की निंदा करते हुए क्षेत्र के जवान वसीत रावटे के शहादत को अपूरणीय क्षति बताए…तथा उन्होंने कहा ऐसे सपूत हर घर में पैदा होना चाहिए ..इस दौरान मीडिया से चर्चा के दौरान विधायक अनिला भेड़िया की भी आंखे भर आई….तो वही बालोद जिले के एसपी ने भी जवान के शहादत को पूरे जिले के लिए अपूरणीय क्षति बताते नजर आए….वही इस गमगीन माहौल के बीच शहीद जवान के 3 साल के बेटी ने अपनी पिता को मुखाग्नि दिए…वही इस दृश्य को देखकर मौजूद लोगो की भी आंखे नम हो गई……बहरहाल केंद्र सरकार के 2026 तक नक्सलियों के खात्मे के मिशन के बीच जहां लगातार नक्सलियों पर लगाम लगाने की मुहिम जारी है…वही बीजापुर में हुए नक्सली मुठभेड़ में जहां 31 नक्सली मारे गए तो प्रदेश के दो जवानों की शहादत के बाद जवान फिर से अपने मुहिम में जुट गई है।
शिक्षाकर्मी नौकरी छोड़ फोर्स को चुना
शहीद के बड़े भाई प्रीतम कुमार रावटे ने बताया कि वे 4 भाई बहन है, वासित सबसे छोटा था, दूसरे व तीसरे नम्बर की दो बहन है, बुधनतींन राणा और मानबती मसिया, दोनों कि शादी हो चुकी हैं। माँ देवकी बाई खेती किसानी करती हैं। वसित की शादी हुए करीबन 5 साल हो गए है, वासित का ससुराल गुरुर ब्लॉक के ग्राम छेड़िया है। वासित के दो बच्चे है। एक 3 साल की बेटी है और एक डेढ़ साल की। उन्होंने बताया कि वासित शुरू से ही फोर्स में जाना चाहता था, शिक्षाकर्मी भर्ती में भी पोस्टिंग हो रही थी, लेकिन उसने फोर्स को चुना। और छग के सीएएफ में भर्ती हो गया जिसके बाद वासित का चयन सीएएफ का ही स्पेशल टास्क फोर्स में हुआ आपको बतादे वसित जब जब अवकाश मिलता था, तो घर आता था। वो खुद से अवकाश लेकर नहीं आता था, फिजूल छुट्टी नही लेता था।