प्रदेश रूचि

तीसरे और अंतिम चरण के मतदान को लेकर मतदानदलों को किया गया रवाना….मतदान दल को मिठाई खिलाकर तथा पुष्प भेंटकर दिए शुभकामनाएंस्वच्छता दीदीयो के लिए खुला राहत और सौगातों का पिटारा..अब मिलेगी छुट्टियों के साथ ये सुविधाएंकक्षा 4 की छात्रा ने स्कूल के वासरूम का फ्लश बटन दबाते ही हुआ विस्फोट..घटना में स्कूली छात्रा हुई घायल…इस स्कूल का मामलानवनिर्वाचित नपाध्यक्ष से मिले खिलाड़ी.. ऐतिहासिक जीत पर दिए बधाई, नपाध्यक्ष के सामने रखे ये समस्या..तो नपाध्यक्ष ने भी खिलाड़ियों को किए आश्वस्त और बोले…बालोद नगर पालिका का उपाध्यक्ष कौन, क्या सामान्य को दी जा सकती है कमान, PIC में किसे मिलेगी जगह


बेटियो ने निभाई बेटो की जिम्मेदारी..अपने पिता के अंतिम यात्रा में कंधा देकर किए अंतिम संस्कार

 

बालोद।बेटियां अब बेटो से कम नहीं है। वक्त के साथ बेटियां भी हर वह काम कर रही है, जो सिर्फ बेटे ही करते थे। वक्त के साथ समाज की सोच भी बदल रही है। बेटियां पिता की अर्थी को कंधा देने के साथ मुखाग्नि दे रही हैं। ऐसा ही नजारा सोमवार को बालोद के बूढ़ा तालाब मार्ग में देखने को मिला। परंपराओं से हटकर दो बेटियों ने अपने पिता को कंधे देकर मुक्तिधाम तक ले कर गए और मुखाग्नि दी। मृतक का कोई बेटा नहीं था बल्कि दो बेटियां थीं।ताँदुला मुक्तिधाम में उस समय लोगों के आंसू छलक पड़े, जब एक बेटी ने परंपराओं के बंधन को तोड़ते हुए अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। उसने बेटा बनकर हर फर्ज पूरा किया। अंतिम संस्कार में वह रोती रही, पिता को याद करती रही, लेकिन बेटे की कमी को पूरा किया।

समय के साथ सोच बदलने की जरूरत

बालोद बूढ़ा तालाब मार्ग निवासी 65 वर्षीय जय श्रीवास्तव का बीमारी के कारण रविवार को निधन हो गया। उनकी सिर्फ दो बेटियां पूजा, अर्चना श्रीवास्तव हैं। जिसमे एक बेटी की शादी हो गई है । जय श्रीवास्तव की मौत हो गई,लेकिन उसका कोई पुत्र नही होने से अंतिम संस्कार के लोग असमंजस थे,लेकिन बेटियों ने अपने पिता को कंधे देकर तादुला मुक्तिधाम तक ले गए और विधि विधान के अंतिम संस्कार किया।

दोनों बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर किया अंतिम संस्कार

बेटा नहीं होने के कारण दोनों बेटियों ने अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार की सारी रस्मे पूरी कर मुखाग्नि दी। उन्होंने शहर में एक मिसाल कायम की। जिसे देखकर लोगों ने कहा कि समय के साथ सोच बदलने की जरूरत है।

हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं लड़कियां

आज लड़कियों का जमाना हैं। वह हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। उसने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया है और वह सभी कार्य करेंगी, जो एक बेटे को करनी चाहिए। इसके बाद सभी रिश्तेदारों ने एक राय होकर बेटी को ही अंतिम संस्कार के लिए आगे किया और उसे ढांढ़स बंधाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!