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मनुष्यों को ध्रुव की तरह स्थिर रहकर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए : पंडित लोकेश शर्मा

बालोद। जिला मुख्यालय से दो किमी दूरी पर स्थित ग्राम मेढ़की में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को कथा सुनने भक्तों की भारी भीड़ रही । नेवारीकला के कथा व्यास पंडित लोकेश शर्मा ने भगवान की महिमा बताते हुए ध्रुव के चरित्र और सती चरित्र का वर्णन किया।कथा के तीसरे दिन मंगलवार को श्रीमद् भागवत कथा सुनने क्षेत्रीय विधायक संगीता सिन्हा पहुंचे। जहां उन्होंने कथा वाचक का पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया। साथ ही कुछ देर कथा श्रवण की। इस दौरान उनके साथ पुरूषोतम पटेल, यज्ञदेव पटेल,चंद्रेश हिरवानी,कमलेश श्रीवास्तव,प्रेमचंद क्षीरसागर, मौजूद रहे।

 

कथा के दौरान दिव्यभाव से हनुमान जी की आकर्षक झांकी निकाली गई। झांकी का मौजूद सभी भक्तों ने भक्तिभाव से दर्शन किया। कथा के दौरान बीच बीच में भजन कीर्तन किया गया जिसमे महिलाए मग्न मुग्ध होकर नाचते रहे।

 

 

माता सती का जहां जहां शरीर का अंश गिरा वहां वहां स्थापित हो गया शक्तिपीठ माता

 

कथा व्यास पंडित लोकेश शर्मा ने कहा कि माता सती के पिता दक्ष ने एक विशाल यज्ञ किया और उसमें अपने सभी संबंधियों को बुलाया था लेकिन बेटी सती के पति भगवान शंकर को नहीं बुलाया,जब सती को यह पता चला तो उन्हें बड़ा दुख हुआ।उन्होंने भगवान शिव से उस यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी लेकिन शिव ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि बिना बुलाए जाने से इंसान के सम्मान में कमी आती है।माता सती ने शिव जी बातों को नहीं मानी और राजा दक्ष के यज्ञ में पहुंच गई, वहां सती ने अपने पिता सहित सभी को बुरा भला कहा और स्वयं को यज्ञ के अग्नि में स्वाह कर दिया ।जब भगवान शिव को पता चला तो उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर राजा दक्ष की नगरी को तहस नहस कर दिया।पंडित लोकेश शर्मा ने कहा कि सती का शव लेकर घूमते रहे।जहां जहां शरीर का अंश गिरा वहां वहां शक्तिपीठ माता स्थापित हो गया।

 

मनुष्यों को ध्रुव की तरह स्थिर रहकर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए : पंडित लोकेश शर्मा

 

 

पंडित लोकेश शर्मा ने ध्रुव चरित्र वर्णन किया।उन्होंने कहा कि मनुष्यों को ध्रुव की तरह स्थिर रहकर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए,प्रत्येक मनुष्य को ध्रुव की तरह स्थिर रहकर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए,प्रत्येक मनुष्य को ध्रुव की तरह स्थिर रहकर ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति करनी चाहिए,सच्ची भक्ति का तात्पर्य बताते हुआ कहा कि इस संसार में सभी मनुष्यों को चाहिए वह इस संसार में रहकर सांसारिक कार्यों को करते हुए भी ईश्वर से सच्ची भक्ति कर सकते है।प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन सुबह और शाम के समय बीस बीस मिनट का कीमती समय निकालकर उस ईश्वर के प्रति समर्पित होकर ईश्वर का प्रतिदिन ध्यान करना चाहिए।क्यों कि जिस ईश्वर ने हमें जन्म देकर इस भौतिक संसार में जोड़ा है।हम इस संसार में रहकर दुखो को भोगना पड़ता है। श्रीमद् भागवत कथा में यजमान धनराज साहू,पत्नी पराग साहू व ओंकार भारद्वाज की पत्नी गीता भारद्वाज सहित ग्राम की महिलाए व पुरुष बड़ी सख्या शामिल होकर कथा का श्रवण कर रहे है।

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