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शस्त्र पूजा के बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री का बड़ा बयान….बोले शस्त्र पूजा एक स्पष्ट संकेत है.. आवश्यकता हुई तो हथियारों/उपकरणों का पूरी ताकत से होगा उपयोग”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दशहरा के अवसर पर सुकना सैन्य स्टेशन पर सैनिकों के साथ शस्त्र पूजा की

सीमाओं पर शांति और स्थिरता बनाए रखने में सैनिकों की सतर्कता और महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की

“भारत ने कभी भी किसी देश पर घृणा अथवा द्वेष ​​के कारण आक्रमण नहीं किया है, परंतु यदि हमारे हितों को खतरा है तो हम बड़ा कदम उठाने में संकोच नहीं करेंगे”

नई दिल्ली – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दशहरा के पावन अवसर पर पश्चिम बंगाल के सुकना सैन्य स्टेशन पर पारंपरिक शस्त्र पूजा की। भारतीय सेना में यह महत्वपूर्ण समारोह राष्ट्र की संप्रभुता के रक्षक के रूप में हथियारों के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

रक्षा मंत्री ने कलश पूजा के साथ अनुष्ठान प्रारंभ किया, उसके बाद शस्त्र पूजा और वाहन पूजा की। उन्होंने अत्याधुनिक पैदल सेना, तोपखाने और संचार प्रणालियों, गतिशीलता प्लेटफार्मों और ड्रोन प्रणालियों सहित कई आधुनिक सैन्य उपकरणों की भी पूजा की। रक्षा मंत्री की सैनिकों के साथ बातचीत के पश्चात कार्यक्रम का समापन हुआ।

अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने में सशस्त्र बलों की सतर्कता और महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और सैनिकों में मानवीय मूल्यों के प्रति समान सम्मान है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने कभी भी किसी देश पर घृणा अथवा द्वेष ​​के कारण आक्रमण नहीं किया है। हम तभी लड़ते हैं जब कोई हमारी अखंडता और संप्रभुता का अपमान करता है अथवा उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है; जब धर्म, सत्य और मानवीय मूल्यों के विरूद्ध युद्ध छेड़ा जाता है, यही हमें विरासत में मिला है। हम इस विरासत को संरक्षित करना जारी रखेंगे। हालांकि, यदि हमारे हितों को खतरा है तो हम बड़ा कदम उठाने में संकोच नहीं करेंगे। शस्त्र पूजा एक स्पष्ट संकेत है कि अगर आवश्यकता हुई तो हथियारों/उपकरणों का पूरी ताकत से उपयोग किया जाएगा।”

 

शक्ति, सफलता और सुरक्षा के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए किए जाने वाले अनुष्ठान दशहरा की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाता है। ये देश की सुरक्षा में हथियार प्रणालियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं। वे राष्ट्र की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों की तैयारी, संकल्प और अटूट समर्पण का प्रतीक हैं। यह समारोह भारतीय सेना की परंपरा और आधुनिकीकरण के मिश्रण को दर्शाता है जिसमें भारत की संप्रभुता को बनाए रखने और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों और प्लेटफार्मों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

इस कार्यक्रम में थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, मनोनीत रक्षा सचिव आरके सिंह, पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राम चंद्र तिवारी, सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन, त्रिशक्ति कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल जुबिन ए मिनवाला और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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