बालोद-छग के पारंपरिक त्यौहार तीज पर्व पर तीजहरिनो के कारण बसो में भारी भीड़ चल रही।तीज पर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा।इस पर्व को लेकर महिलाएं काफी उत्साहित है। जिला मुख्यालय से चलने वाली सभी बसो में तीजहरिनो के चलते पैर रखने की भी जगह नही हैं। छग में प्रमुख रूप से तीज का पर्व एक अलग ही महत्व हैं तीजहरिन महिलाए अपने मायके में मनाने की परंपरा हैं ।गुरुवार को पर्व का शुरू होने की वजह से बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन में महिलाओं की भारी भीड़ रही ।
सड़को में बेधड़क दौड़ रही है खटारा बसे
फिटनेस और परिवहन मानदंडों की धज्जियां उड़ाती अनफिट बसों का संचालन बेरोकटोक जारी है। खटारा बसें बिना रोक टोक के सड़को में बेधड़क दौड़ रही है। परिवहन विभाग अनफिट बसों पर कार्रवाई न कर यात्रियों की जान को खतरे में डालने का काम कर रहे हैं। कई बार खटारा बस मंजिल पर पहुंचने से पहले रास्ते में खराब हो जाती है। वही आज ओम साई राम की मिनी बस की पट्टा टूट जाने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके रोकथाम के लिए प्रभावी कार्रवाई परिवहन विभाग नहीं कर रहा है।
संचालको द्वारा क्षमता से अधिक लोगो को भरे जा रहे हैं बसो में
तीज पर्व का फायदा उठाते हुए बस संचालको द्वारा बसो में लोगो को ठूस ठूस कर भेड़ बकरियो की तरह भरे जा रहे हैं ।बसो में क्षमता से अधिक लोगो को भरे जा रहे हैं महिलाए मजबूरी में बस का यात्रा कर अपने गन्तव्य की ओर जा रहे हैं । बसो में इतनी भीड़ चल रही हैं की किश्मत वालो को ही सीट मिल रही हैं । पिछले दो दिनों से बारिश होने से उमेश भरी गर्मी बड़ गई हैं ।जिला मुख्यालय के बस स्टेण्ड में सैकड़ो की सख्या में महिलाओं की भीड़ हैं जो बस का इंतजार कर रहे हैं ।जैसे ही बस स्टेण्ड में बसे लगती ही महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ जाती हैं ।इस दौरान कई लोग सीट पाने के लिए बसो के खिडखियो से रुमाल व् टॉवेल फेककर अपनी सीट सुरक्षित कर अपने आप को किश्मत वाले समझ रहे हैं ।बसो में क्षमता से अधिक सवारी भरने के बाद भी आरटीओ तथा यातायात विभाग द्वारा बस संचालको के खिलाफ कोई कार्यवाही नही करना सन्देह को जन्म देता हैं ।
बसो में नही हैं महिला आरक्षित सीट
बसों में पिछले दो दिनों से भीड़ बढ़ गई है। जिन यात्री बसों को सरकार परमिट देते समय तय करती है कि 50% सीट महिलाओं के नाम से आरक्षित रहेगा। लेकिन इस नियम का कोई पालन नहीं दिख रहा है।दुर्ग से दल्ली जाने वाली बस के भीतर ऐसा नजारा दिखा कि अधिकतर सीट पर पुरुष बैठे रहे। उनका सफर खड़े-खड़े पूरा हुआ।