बालोद…बालोद जिले के गुरुर ब्लाक के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चिटौद में पदस्थ प्रधान पाठक कांशी राम साहू को निलंबित किया गया है यह आदेश दुर्ग संभागीय संयुक्त संचालक आर एल ठाकुर द्वारा जारी की है .निलंबित प्रधान पाठक को खैरागढ़-छुईखदान-गंण्डई जिले के छुईखदान बीइओ कार्यालय में अटैच किया गया है।
जारी आदेश के अनुसार कांशीराम साहू, प्रधान पाठक, शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चिटौद, वि.ख. गुरूर जिला बालोद के खिलाफ स्कूल में अध्ययरत छात्राओं के साथ छेड़छाड़ एवं अशोभनीय व्यवहार करने, गलत ढंग से शरीर को स्पर्श करने, अपशब्द कहने, अध्यापन कार्य में रूची नही लेने तथा नियमित रूप से शाला में उपस्थित नहीं होने की शिकायत की गई थी।जिसके बाद मामले की जांच की जिम्मेदारी गुरुर b
बी ई ओ को दी गई थी जिस पर जांच विकास खंड शिक्षा अधिकारी गुरूर, जिला बालोद के द्वारा की गई है। जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में प्रधान पाठक के खिलाफ किए गए शिकायत प्रथम दृष्टिया सही पाई गई है।
जिस पर कांशीराम साहू, प्रधान पाठक के इस कृत्य पर छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 03 के उपनियम (1) (2) (3) के विपरीत गंभीर कदाचरण की श्रेणी में आता है। एवं मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी बालोद के अनुशंसा के आधार पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 09 (1) (क) के तहत् कांशीराम साहू, प्रधान पाठक, शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चिटौद, वि.ख. गुरूर, जिला बालोद को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है ।
निलंबन अवधि में कांशीराम साहू, प्रधान पाठक, का मुख्यालय विकास खंड शिक्षा अधिकारी छुईखदान, जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंण्डई, नियत किया जाता है। निलंबन काल में निलंबित शिक्षक को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता की पात्रता होगी।
पूर्व में लग चुका आरोप
आपको बतादे स्कूली छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और बेड टच सहित कई गंभीर आरोपों में निलंबित प्रधान पाठक का यह कोई पहला मामला नहीं था इससे पहले उक्त प्रधान पाठक गुरुर ब्लाक के पेरपार स्कूल में पदस्थ था जहां पर भी इस शिक्षक के खिलाफ स्थानीय सरपंच के शिकायत के बाद इन्हें वहां से हटाकर शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चिटौद में पदस्थ किया गया था । लेकिन इनके इस कृत्य से नाराज पालकों और स्कूली छात्रों ने स्कूल स्तर पर शिकायत किया वही मामले में शिक्षा विभाग ने निलंबन कार्यवाही तो कर दी लेकिन छेड़छाड़ जैसे मामलो में दोषी पाए जाने के बावजूद कानूनी कार्यवाही नही किया जाना शिक्षा विभाग के कार्यवाही पर सवाल खड़े करते है