बालोद,धर्म को समझना जरूरी है तभी धर्म में दृढ़ रह पाएंगे ,धर्म का आचरण जीवन में कैसे करें, आंख खोलें धर्म व सत्य को समझे। इस मनुष्य जन्म में ही ज्ञान सीखा जा सकता है, आगम की बात समझो, ज्ञान सीखने की जिज्ञासा प्रतिपल बढ़ाने होगी –उक्त उद्गार स्थानीय समता भवन में प्रवचन श्रृंखला के दौरान आचार्य रामेश की सुशिष्या शासन दीपिका श्री प्रमिलाश्रीजी मसा ने कहीं।उन्होंने आगे कहा कि भंवरों का रंग काला होता है गोबर का गिडोला भी काला होता है। दोनों का रूप रंग एक समान है लेकिन स्वभाव अलग-अलग होता है, भंवरा फूलों के ऊपर मडराता है, गिंडोला गोबर पर रहता है भंवरा सुगंध देता है तो गिडोला दुर्गंध का परिचायक है। साध्वी जी ने आगे कहा की जो आत्मा धर्म श्रद्धा से सम्यक दर्शन से परिपूर्ण उसमें फूलों की सुगंध आती है। हमेशा व्यक्ति को देव-गुरु- धर्म के प्रति समर्पित रहना चाहिए ।आपदा में धर्म पर स्थिर बने रहना होगा चाहे कैसे भी मुश्किल स्थिति उत्पन्न हो , हमें विचलित नहीं होना चाहिए ।जड़ मूर्ति की सेवा से कुछ नहीं मिलेगा अरिहंत की सेवा नहीं होती अरिहंत का विनय होता है।इसके पहले साध्वी श्री अनुजाश्रीजी मसा ने कहा कि हम दिन भर में पुण्य से अधिक पाप कार्य में लगे रहते हैं, हमारा ज्यादातर समय पाप कार्यों में व्यतीत हो रहा है।
भगवान महावीर ने पाप को छोड़ने योग्य बताया है, पाप करते समय रस आता है लेकिन धर्म का ज्ञान भी हमारे जीवन में आवश्यक है। पाप की कमाई में कोई भी व्यक्ति हिस्सेदारी नहीं बनना चाहता स्वयं को ही भुगतना पड़ता है ।पाप छुपा कर नहीं रहने वाला है, पाप छुपने वाला नहीं बल्कि यह निरंतर बढ़ता चला जाता है। हमें पाप की आलोचना प्रायश्चित करना चाहिए । धर्म सभा में सफल संचालन श्रीमती प्रिया श्रीश्रीमाल ने किया। धर्मनिष्ठ तपस्वी गौरव चौरडिया व सोनम श्रीश्रीमाल ने आज साध्वी जी के मुखारविंद से 9 उपवास तपस्या का प्रत्याखान ग्रहण किया।समता भवन में चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से प्रार्थना एवं धार्मिक शिविर, सुबह 8:15 बजे प्रवचन ,दोपहर ज्ञान चर्चा का आयोजन प्रतिदिन हो रहा है। कल दिनांक 27 जुलाई शनिवार से दोपहर 2:15 बजे साध्वी जी द्वारा विशेष क्लास लिया जाएगा जिसका विषय है मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है।