बालोद – बालोद जिले में बारिश से किसानो को भले ही राहत नहीं मिली हो लेकिन हल्की बारिश ने बालोद जिले में फिर से एक बार विकास के दावों की पोल खोल कर रख दी है. गांव के अंतिम छोर तक तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने तथा विकास कार्यों दावे उस समय खोखले नज़र आने लगते है जब आज भी सड़क, बिजली और पानी की मांग लेकर ग्रामीण शासन प्रशासन के दरवाजे पर पहुचते है।
ऐसा ही एक मामला कलेक्टर जनदर्शन में उस समय सामने आया जब ग्रामीण कीचड़ और दलदल से भरे मार्ग से निजात पाने कलेक्टर के समक्ष पहुचे थे।मामला आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक डौंडी के ग्राम कुंजामटोला का है, जो कि ग्राम पंचायत धोबेदंड का आश्रित गांव है।कुंजामटोला आमापारा गांव में ग्रामवासी एक पक्की सड़क को तरस रहे है….. पक्की सड़क नही होने से मौसम की पहली बारिश ने यहां के मार्ग को कीचड़युक्त और दलदल बना दिया है.।आलम यह है कि इस मार्ग से पैदल चलना दुर्भर है.परेशानी उस समय और ज्यादा बढ़ जाती है जब स्कूली बच्चे कुंजामटोला से बिटाल और कारूटोला जाते है, जिसकी वजह से उनके साफ कपड़े गंदे और मटमैले हो जाते है.ग्रामीणों ने बताया की गांव से गुजरने वाली सड़क पर बारिश के दिनो में चलना मुश्किल हो जाता है.इस समस्या को लेकर ग्रामीण स्थानीय सरपंच से लेकर जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके है.लेकिन इनकी समस्यायों का समाधान आज तलक नही हो पाया है.जिसके चलते यहां के ग्रामीण आज कलेक्टर के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचे रहे।
ग्रामीणों के साथ गांव के कुछ स्कूली और कालेज के छात्र भी पहुंचे.इस दौरान ग्रामीणों और छात्राओं ने बताया की अभी हल्की बारिश में ही सड़क दलदल और कीचड़ से सराबोर हो चुकी है।इस सड़क पर चलने से कई बार स्कूल पहुंचने से पहले स्कूल यूनिफार्म भी गंदा हो जाता है.सड़क खराब होने के चलते कई बार स्कूल जाने के बजाय उन्हें आधे रास्ते से लौटना पड़ता है.वही ग्रामीणों ने बताया कि सड़क होने के चलते लोगो को स्वास्थ्य सुविधा तथा दैनिक जरूरत के लिए बाजार तक के आवाजाही भी बंद हो जाती है.यही नहीं अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो गांव तक एंबुलेंस नही पहुंच पाती.जिसके चलते ग्रामीणों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.और इसके समाधान के लिए ग्रामीण जिला प्रशासन से गुहार लगाने पहुंचे.।बहरहाल देखना होगा ग्रामीणों की ये मांगे कब तक पूरी हो पाती है