बालोद, जिला मुख्यालय में सडक़ों के किनारे विभिन्न भवनों समेत चौक-चौराहों में अवैध रूप से बिना नगर पालिका के अनुमति के बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगा दिए जाने से पूरे शहर की सूरत खराब हो चुकी है। पालिका द्वारा ऐसे अवैध होर्डिंग्स लगाने वालों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं किए जाने का नतीजा है कि खतरनाक मोड़ संकरे स्थान पर लगे होर्डिंग्स की वजह से सामने से आने वाले वाहन भी नजर नहीं आते, जिससे इन स्थानों पर दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है।
सर्वाधिक हास्यास्पद पहलू है कि नगर पालिका के रिकॉर्ड में नगर में लगे हुए वैध होल्डिंग्स की संख्या महज 51 है। जबकि झलमला से लेकर पाना बरस डीपो से लेकर सैकडो बड़े बड़े होल्डिंग लगे है। इस पर पालिका का कोई ध्यान नही है।गौरतलब है कि पालिका द्वारा केवल आम चुनाव के दौरान ही संपत्ति विरूपण की कार्यवाही के तहत वैध अवैध होर्डिंग्स हटाने का कार्य किया जाता है। इसके बाद ऐसे मामले मामलों में कार्यवाही शून्य रहती है। यदि नगर की सडक़ों के किनारे नजर दौड़ी जाए तो ऐसे दर्जनों अवैध होर्डिंग्स की भरमार है। जानकारी के अनुसार मुंबई के घाटकोपर में एक सौ फीट की होर्डिंग्स के पेट्रोल पंप में गिरने से बड़ा हादसा हो गया है। इस हादसे में एक दर्जन से अधिक मौतें और 70 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। इसके बाद देशभर में लगे अवैध होर्डिंगों की जांच शुरू कर दी गई है। बालोद शहर में भी ऐसे सैकड़ों अवैध होर्डिंग्स रास्तों में दिख जाएंगे।
नगर पालिका के रिकार्ड के अनुसार केवल 51 होर्डिंग्स के लिए अनुमति प्रदान की गई है, जिसमें 16 युवी पोल शामिल हैं, इसके अलावा तीन एलइडी स्क्रीन लगी हैं। 51 होर्डिंग्स से पालिका को सालाना करीबन आठ लाख और एलइडी स्क्रीन से 12 से 13 हजार रुपये की आय होती है। इसके अलावा कोई भी होर्डिंग्स वैध नहीं है। जबकि शहर में होर्डिंग्स की संख्या देखी जाए तो सौ से अधिक छोटे-बड़े होर्डिंग आपको दिख जाएंगे। ऐसे में अब भविष्य में किसी भी प्रकार के हादसे से बचने के लिए इन अवैध होर्डिंग्स को हटाना जरूरी है। शहर में होर्डिंग लगाने की जिम्मेदारी नगर पालिका की है। पालिका के बिना अनुमति होर्डिंग भी नहीं लगा सकते। लेकिन यहां कुछ ऐसे भी होर्डिंग हैं, जो बिना अनुमति के लगाए गए हैं।जिला मुख्यालय में ही कई बार लगाए गए होर्डिंग फ्लेक्स फटकर विद्युत तार में भी फंस चुके हैं। मुंबई हादसे से सबक लेते हुए होर्डिंगों की मजबूती की जांच होना जरूरी है। झलमला से लेकर पाना बरस मार्ग तक कई होर्डिंग हैं, जिसकी दोबारा जांच नहीं हुई है। यही हाल झलमला का भी है। यह मार्ग नेशनल हाइवे होने से हजारों लोगों की आवाजाही बनी रहती है। इस वजह से उनकी सुरक्षा जरूरी है।