बालोद। वन्य प्राणियों, वनोपज एवं वनों की समुचित सुरक्षा के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शासन द्वारा वन विभाग को प्रतिवर्ष करोड़ों रूपए प्रदान किया जाता है लेकिन उक्त राशि का कितना सदुपयोग हो रहा है इसे देखने वाला कोई नहीं है। वर्तमान में वन विभाग द्वारा कैम्पा मद की राशि से नगर के मध्य स्थित पुराने वन परिक्षेत्र अधिकारी कार्यालय एवं निवास परिसर के चारों तरफ बाउंड्रीवॉल, सीसी रोड तथा बेतरतीब ढंग से बरसाती पानी निकासी के लिए लाखों रूपए खर्च कर नाली निर्माण का कार्य किया जा रहा है जिसका कितना औचित्य है यह किसी को समझ नहीं आ रहा है।
बता दे कि वर्तमान में रेंज ऑफिस राजहरा मार्ग स्थित वन विभाग के वन मंडल अधिकारी कार्यालय परिसर में संचालित किया जा रहा है वहीं नगर के मध्य स्थित रेंज कार्यालय एवं निवास भवन खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। महज कुछ कर्मचारियों का निवास ही पुराने रेंज कार्यालय परिसर में बना हुआ है, ऐसे में पूर्व निर्मित बाउंड्रीवॉल तथा अन्य सुविधा होने के पश्चात् भी शासकीय राशि से व्यर्थ नव निर्माण किया जाना समझ से परे है। परिसर के चारों तरफ बाउंड्रीवाल होने से बरसात के दिनों में परिसर में पानी भरने की समस्या उत्पन्न होना तय है। उक्त समस्या पर वन विभाग का कोई ध्यान नहीं है वहीं विभाग द्वारा परिसर के अंदर नाली निर्माण का कार्य किया जा रहा है लेकिन उक्त नाली से पानी कहां से बाहर निकालने की योजना है यह भी समझ से परे है। बता दे की इसके पूर्व वन विभाग द्वारा तांदुला जलाशय के किनारे लाखों रूपए खर्च कर फेसिंग तार जाली का घेरा करवाया गया है जिसका भी औचित्य समझ से परे है। भीषण गर्मी में वन्य प्राणियों को अपनी प्यास तांदुला जलाशय से ही बुझानी पड़ती है लेकिन जलाशय के किनारे तार जाली घेरा होने से वन्य प्राणी जलाशय तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। गर्मी प्रारंभ होते ही वन क्षेत्र की सीमा से वन्य प्राणियों का आबादी क्षेत्र में आने की घटना समय-समय पर सामने आती रहती है।
विदित हो कि विगत् कुछ दिनों से वन्य प्राणी भालू के द्वारा जन सामान्य पर हमला करने की घटनाएं सामने आ रही है। शनिवार 4 मई को भी दो लोगों के ऊपर भालू के द्वारा हमला करने की घटना सामने आई है। ऐसे में प्रतिवर्ष वन्य प्राणियों,वनोपज एवं वनों की सुरक्षा के लिए शासन द्वारा दिए जाने वाले करोड़ों रूपयों का उपयोग कहां किया जा रहा है यह जांच का विषय है।