बालोद छत्तीसगढ़ में पिछले 5 साल विपक्ष में रहने के बाद भाजपा ने सत्ता में वापसी तो कर ली लेकिन इन 5 सालो तक कई ऐसे जनप्रतिनिधि जो जीतकर आने के बाद भी विपक्ष की भूमिका निभाते रहे और जिले में भाजपा के अस्तित्व को बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले जनप्रतिनिधि आज भी प्रशासनिक उपेक्षा की शिकार हो रहे है कुछ ऐसा मामला शनिवार को उस वक्त देखने को मिला जब भाजपा सत्ता में आने के बाद पहला सार्वजनिक कार्यक्रम ….में भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार होना पड़ा
दरअसल शनिवार को देशभर में विकसित भारत …कार्यक्रम की शुरुआत देश के प्रधानमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से प्रारंभ किया इस दौरान बालोद जिले में यह कार्यक्रम जिले के जगन्नाथपुर में आयोजित किया गया था जिसमे बतौर प्रभारी दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर और मुख्य अतिथि सांसद मोहन मंडावी सहित भाजपा के आला पहुंचे थे इस कार्यक्रम में बालोद जिले की एकमात्र जनपद अध्यक्ष का स्वागत नहीं होने से जनपद अध्यक्ष ने इस पर नाराजगी व्यक्त की
वही इस पूरे कार्यक्रम को लेकर बालोद के जिला पंचायत सदस्य व महिला भाजपा नेत्री को इस कार्यक्रम की सूचना प्रशासन की ओर से नही दिया गया जिससे नाराज होकर महिला नेत्री इस कार्यक्रम में ही शामिल नहीं हुई वही मामले पर जिप सदस्य कृतिका साहू ने इसे बालोद जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाए तो इधर जनपद अध्यक्ष प्रेमलता साहू ने भी बालोद जनपद के प्रभारी सीईओ को इस लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए आगे से ऐसे कार्यक्रमों में न बुलाने को सलाह दिए वही इस पूरे कार्यक्रम का प्रेस रिलीज बालोद जनसंपर्क विभाग द्वारा किया गया था जिसमे भी बालोद जनपद अध्यक्ष का नाम नहीं था जिसकी जानकारी स्थानीय भाजपा नेता ने बालोद जनपद सीईओ पीताम्बर यादव को दिए तथा सीईओ द्वारा बालोद पीआरओ को जानकारी देने के बाद पुनः जनपद अध्यक्ष के नाम के साथ संशोधित समाचार जारी किया गया।
बहरहाल सत्ता परिवर्तन के बाद पहला सार्वजनिक कार्यक्रम में मंच पर नेताओ की भीड़ उमड़ी तो दूसरी तरफ प्रशासन भी जनप्रतिनिधियों व निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल भी भूल गए ।