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मिशन चन्द्रयान का हिस्सा बना बालोद जिले के इस छोटे से गांव का युवक…लेकिन इस युवक का वैज्ञानिक बनने का सफर नही था आसान..वैज्ञानिक बनने लेना पड़ा था ये कठिन निर्णय

 

बालोद- चन्द्रयान 3 के इस अभियान में बालोद जिले के गुरुर ब्लाक अंतर्गत भानपुरी के मिथलेश साहू भी शामिल…सफल अभियान के बाद मिथलेश के परिवार ने भी जाहिर की खुसी….मिथलेश इसरो की टीम में बतौर वैज्ञानिक 2017 से शामिल है ..इस सफलता के बाद मिथलेश के परिवारजनों के पास फोनकॉल के माध्यम से लगातार बधाई संदेश आ रहे है

पूरे मामले में इस अभियान से जुड़े मिथलेश के भाई लीलाधर साहू ने बताया कि इस पल को लेकर वो और उनका पूरा परिवार काफी उत्साहित है क्योंकि इस मिशन के चलते कई बार मिथलेश और उनके परिवार के लोगो की आपस मे बातचीत भी नही हो पाती थी ।

त्योहार पर भी घर नहीं आ पाते, देश के लिए समर्पित-
करहीभदर में कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र चलाने वाले मिथलेश के बड़े भाई लीलाधर ने बताया कि शुरू से छोटे भाई में आगे बढ़ने की ललक थी। पहली से 12वीं तक उसने रमतरा, भानपुरी और कन्नेवाड़ा के सरकारी स्कूल में ही पढ़ाई की। वो त्योहारों पर भी घर नहीं आ पाते हैं। देश के लिए समर्पित हैं और इसरो ऐसी जगह है, जहां नित नए-नए प्रोजेक्ट बनते हैं और उसे गति दी जाती है।

पिता हैं प्रेरणा श्रोत
मिथलेश 2017 से इसरो में काम कर रहे हैं। वह अपने पिता शिक्षक ललित कुमार साहू को प्रेरणास्रोत मानते हैं। जो गांव भानपुरी के ही प्राथमिक शाला में प्रधान पाठक थे। कंप्यूटर साइंस में इंजीनियर होने के कारण इसरो ने उन्हें आईटी डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी दी है। इस मिशन में भी वे कंप्यूटर वर्क के जरिए चंद्रयान-3 पर काम कर रहे हैं। 2016 नवंबर में शादी हुई, इसके बाद ही इसरो में इंटरव्यू के लिए कॉल आया। इसके बाद 2017 में इसरो ज्वाइन कर लिया।

बचपन का सपना आज पूरा हुआ

मामले में मिथलेश की मां पार्वती बाई साहू ने बताई कि उनका पुत्र मिथलेश बचपन से ही।होनहार था पढ़ाई लिखाई में शुरू से अव्वल रहा और कुछ अलग करने की सोच रखते हुए अपने स्कूली जीवन से ही वैज्ञानिक बनने की सोच रखता था। और आज इस मिशन चन्द्रयान 3 के सफल प्रक्षेपण के बाद उनके जीवन का एक सपना भी पूरा हुआ है ।

मिथलेश कैसे बना वैज्ञानिक

मिथलेश अपनी पढ़ाई के बाद हैदराबाद में जब इंजियनरिंग के क्षेत्र में कार्य करता था इस दौरान मिथलेश की शादी हो गई लेकिन इस बीच उसे इसरों में भर्ती के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने अपनी पत्नी मनस्मिता से कहा कि मुझे अब वैज्ञानिक बनने की दिशा में आगे बढ़ना है। इसके लिए मुझे कड़ी पढ़ाई करने की आवश्यकता रहेगी इसके लिये हमे कुछ समय के लिए अलग।रहना पड़ेगा। मिथलेश ने अपने शादी के महज तीन दिन के भीतर अपनी पत्नी को ये बाते असहजता से बोले कि आप कुछ दिनों के लिए अपने मायके चले जाइए और मुझे इस वैज्ञानिक की पढ़ाई करने दीजिए। लेकिन ये बाते सहसा यह स्वीकार करना आसान नहीं था। परंतु मिथलेश की पत्नी ने अपने पति के सपने को पूरा करने के लिए कठिन निर्णय लिया और मायके चली गई। दोनों की तपस्या सफल हुई और इस तरह मिथलेश अपने पढ़ाई को पूरा करते हुए वैज्ञानिक बन गया।

 

2 thoughts on “मिशन चन्द्रयान का हिस्सा बना बालोद जिले के इस छोटे से गांव का युवक…लेकिन इस युवक का वैज्ञानिक बनने का सफर नही था आसान..वैज्ञानिक बनने लेना पड़ा था ये कठिन निर्णय

  1. Aapne apne lakshya ke liye sangharsh kiya hai, tyag kiya hai to safalta badi milegi ye nishchit hai . GARV hal hamen aap par 🌷🌷👏👏🙌🙌

  2. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयासरत और आपने इसके लिए बहुत सारे त्याग भी किए है इसके लिए हमें आप जैसे होनहार और मेहनती व्यक्ति के हमारे लिए सदा प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे।

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