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मानसून में देरी से कृषि कार्य पिछड़ा…. वर्तमान में मौसम में हुए बदलाव से किसानों की जगी आस…जिले में इतने एकड़ में होती है धान की खेती

बालोद-जिले के किसान इस साल आषाढ़ मास में पानी गिरने से आने वाले दिनों में अच्छी वर्षा की उम्मीद लगाए बैठे थे, पर उनकी उम्मीद धरी की धरी रह गई है। बालोद जिले में खंड वर्षा व अल्प वर्षा के चलते किसान चिंतित व परेशान हो गए हैं। अब तक सिर्फ हल्की फुल्की बारिश हुई है, जिससे खेती-किसानी का कार्य पूरी तरह से पिछड़ चुका है। आषाढ़ माह के 20 दिन बीतने के बाद भी वैसी बारिश नहीं हुई, जिसका इंतजार सबको रहता है।मौसम खुला रहने वह उमस भरी गर्मी का एहसास होने लगा है, जिससे लोग उमस भरी गर्मी से बेहाल हो रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है।कृषि विभाग के मुताबिक 1112 हेक्टेयर से अधिक खेतों की जोताई कर धान की बोआई कर चुके थे। लेकिन इस साल तो बोआई शुरू नहीं हुई है। हालांकि बीते साल 363 हेक्टेयर में किसान नर्सरी तैयार कर चुके थे। इस साल मात्र 240 हेक्टेयर में ही नर्सरी तैयार की गई है।मानसून की बेरुखी से किसान चिंतित हैं ।इस साल बारिश का सिस्टम बन जाता है, लेकिन काले मेघ बिना बरसे लौट जाते हैं। शुक्रवार की सुबह हल्की फुल्की बारिश के साथ ही बदली रही।

जिले में 1 लाख 77 हजार 660 हेक्टेयर में धान फसल का लक्ष्य

कृषि विभाग के मुताबिक इस साल जिले में 1 लाख 77 हजार 660 हेक्टेयर में धान की फसल लेने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी बोनी शुरू नहीं हुई है। सोमवार की स्थिति में 85 हजार से अधिक किसानों ने 322 करोड़ से भी अधिक रुपए का ऋण लेकर कृषि कार्य कर रहे हैं। वहीं किसानों ने सेवा सहकारी समितियों से 15 हजार 140 क्विंटल बीज का उठाव कर चुके हैं।जून में अच्छी बारिश नहीं हुई तो सूखे का खतरा
किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इंतजार में आधा आषाढ़ निकल गया है। ऐसे में धान की बोआई में देरी से फसल के विकास व उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है। जून में अच्छी बारिश नहीं हुई तो सूखे का खतरा भी हो सकता है। फिलहाल सभी को इस साल अच्छी बारिश की उम्मीद है।

आषाढ़ आधा निकला पर बारिश का पता नहीं

आषाढ़ लगते ही कृषक कृषि कार्य में जुट जाते हैं। खेत के मेढ़ पार व पानी निकलने की मुहाने के सुधार कार्य में लग जाते हैं।आषाढ़ की फुहार पड़ते ही खेतों की जोताई कर धान बोआई थरहा देने का कार्य शुरू हो जाता है। परंतु इस बार आषाढ़ आधा से ज्यादा निकला जा रहा है बारिश का पता नहीं है। बारिश को लेकर क्षेत्र के किसानों में चिंता बढ़ रही है।पिछले बार आषाढ़ लगते ही कृषक कृषि कार्य भी में जुट गए थे।परंतु इस बार आषाढ़ लगे आधा माह निकला जा रहा है, पर मानसून का अता पता नहीं है।बारिश को लेकर क्षेत्र के किसानों मे चिंता बढ़ गई है। मानसून बारिश के इंतजार में क्षेत्र के कृषक खेतों की जोताई नहीं कर पा रहे है।क्षेत्र के कृषकों का कहना है की जून माह में बारिश नहीं हुआ तो कृषि कार्य पिछड जायेगी। मानसून मे देरी होने से धान का उत्पादन मे कमी हो सकती है।

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