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बालोद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियो का बड़ा खेल..बिना निविदा मजदूर से करवा डाले 5 लाख के काम..अब अपने पैसे के लिए दर दर भटक रहा मजदूर…जन चौपाल से भी नही मिल रहा न्याय

बालोद – बालोद जिले के लोकनिर्माण विभाग में विभिन्न विकासकार्यों के लाखों रुपए के निविदा जारी होते है तो वही निविदा प्रक्रिया में रिंग बनाकर अपने चहेते ठेकेदारों को कार्य वितरण करने के भी मामले सामने आ चुके है। लेकिन इस बार एक हैरत करने वाला मामला सामने आया है। विभाग के इंजीनियर और अधिकारियों द्वारा मजदूरों से काम करवाकर पांच लाख से ज्यादा की राशि का भुगतान नहीं किया जिससे अब मजदूर परेशान होकर दो बार बालोद जनदर्शन में गुहार लगा चुके है।

पूरे मामले में बालोद जुर्रीपारा निवासी ने कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत की है और बताया कि बालोद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियो द्वारा कलेक्टर निवास बंगला,न्यायधीश निवास सहित विभिन्न शासकीय आवासीय कालोनी के मकानों का मरम्मत कार्य करवाया गया था । जिसका भुगतान आज दिनांक तक नहीं हुआ है उपरोक्त संबंध में 16 मई को जनदर्शन में आवेदन देने के बाद लोक निर्माण विभाग के सब इंजीनियर दिनेश माहेश्वरी के द्वारा मुझे कार्यालय बुलाकर बिल वाउचर मांगा गया और इस कार्य का मूल्यांकन पश्चात किसी ठेकेदार के कार्यादेश के आधार पर भुगतान करने की बात कही गई।

वही पूरे मामले में पीड़ित ने बताया कि वह एक सामान्य मिस्त्री व प्राइवेट ठेकेदार है न कि कोई शासकीय ठेकेदार है । दैनिक मजदूरी के आधार पर कार्य करते है और इसी दौरान पुराने कलेक्टर के तबादले के बाद जब नए कलेक्टर का बालोद पदस्थापना हुआ तो लोक निर्माण विभाग के उप अभियंता दिनेश माहेश्वरी द्वारा बुलाकर कलेक्टर बंगला और डीजे (न्यायधीश)बंगला को तत्काल मरम्मत करने को कहा गया। तथा इस मरम्मत कार्य के सभी आवश्यक सामग्री को भी बाजार से लाकर करने को कहा गया। जिसके बाद विभागीय अधिकारी के कहने पर बाजार के दुकानों से समान लाकर मरम्मत किया गया। जिसके बाद इंजीनियर द्वारा उसका भुगतान विभाग से करवाने की बात कही गई थी। लेकिन उसके बाद जब विभागीय अधिकारियों द्वारा पैसे के लिए लगातार गुमराह किया जा रहा तथा नए निविदा लगाकर भुगतान करने की बात कही गई लेकिन महीनो बीत जाने के बाद भी मजदूरों और दुकानों के बिल का भुगतान नहीं किया गया।

कर्ज तले दबा मजदूर

विभागीय अधिकारियो द्वारा अपने उच्चाधिकारियों को खुस करने भले ही मजदूर से सारे काम करवा लिया गया लेकिन इन कार्यों मजदूरी व दुकानों से लाए गए सामानों का कुल बिल करीब 5,27004 पांच लाख सत्ताइस हजार चार रुपए के कर्ज तले मजदूर दब चुका था और दुकानदारों का लगातार भुगतान के लिए फोन आने पर परेशान होकर उधार लेकर कुछ मजदूरों और दुकानदारों का भुगतान किया गया ।

अधिकारी पैसे देने के नाम पर कर रहे गुमराह

मामले पर जब मजदूर अपने कार्यों और दुकानों से लाए गए सामानों का बिल जब लोक निर्माण विभाग के उपअभियंता दिनेश माहेश्वरी को दिया तो उनके द्वारा मेरे मजदूरी और सामग्रियों के पैसे देने के नाम पर उच्च अधिकारी से बात करने तथा गोल मोल जवाब दिया गया जिसके बाद मामले पर लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता मधेश्वर प्रसाद को भी दिए तो उनके द्वारा भी मामले पर अपने इंजीनियर एसडीओ से बात करने तथा पेमेंट आने पर भुगतान करने को लेकर गोल मोल जवाब दिया जा रहा है ।

कर्ज तले दबने से अब सेहत पर पड़ रहा असर

पूरे मामले में पीड़ित ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारियो के आश्वान पर कार्य करने के बाद अब कर्ज इतना ज्यादा हो चुका है । जिसके बाद इस परेशानी के चलते दो तीन बार स्वास्थ्य भी खराब हो चुका है। तथा अब कर्ज के चलते मानसिक स्थिति भी सही नही रहती । जिसके।चलते घर परिवार में तनाव की स्थिति निर्मित हो जाती है

आपको बतादे इस पूरे मामले में लोक निर्माण की बड़ी लापरवाही सामने आई है एक ओर विभाग बिल्डिंग मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए का निविदा जारी करती है लेकिन दूसरी तरफ इस मामले के सामने आने से समूचा विभाग सवालों के घेरे में है।क्योंकि बिना किसी निविदा के विभाग के इंजीनियर ने इस पूरे काम को कैसे करा दिया आखिर दिहाड़ी मजदूरों से पांच लाख से ज्यादा के काम किस आधार पर करवा दिया गया मामले पर यदि सूक्ष्मता से जांच की जाए तो निश्चित विभाग में बड़े घोटाले सामने आ सकते है।

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