दिल्ली, सूरत की अदालत से बहुत बड़ा झटका लगा है। अदालत ने मानहानि के मामले में उन्हें दो साल की सजा सुनाई है। नियम के तहत दो साल से ज्यादा की सजा होने पर संसद अथवा विधानसभा की सदस्यता छिन जाती है। राहुल गांधी को उनके बयान ‘सारे चोर मोदी सरनेम वाले ही क्यों होते हैं?’ के लिए आपराधिक मानहानि का दोषी पाया गया है। अदालत ने राहुल गांधी को 2019 में दिए गए इस बयान के लिए दो साल की सजा सुनाई है। अगर एक दिन भी ज्यादा की सजा होती तो राहुल गांधी की संसद की सदस्यता जा सकती थी। अदालत ने उन्हें इस मामले में फिलहाल जमानत दे दी है।
कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान दिया था बयान
राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का यह मामला चार साल पुराना है। उन्होंने 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। राहुल गांधी नेकर्नाटक के कोलार में चुनावी भाषण के दौरान कहा था कि ‘सारे चोरों के सरनेम मोदी कैसे हैं?’ राहुल गांधी के इस बयान के बाद वेस्ट सूरत के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया था। उन्होंने कहा राहुल गांधी पर पूरे मोदी समुदाय का अपमान किया है। इसके बाद यह केस सूरत की कोर्ट में पहुंचा। इसी केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को 9 जुलाई, 2020 को भी सूरत की कोर्ट में पेश होना पड़ा था।
सांसद-विधायक की सजा पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जानिए
ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा होती है तो उसकी संसद या विधानभा की सदस्यता रद्द हो जाएगी। चूंकि राहुल गांधी को दो साल की ही सजा हुई है, ज्यादा नहीं, इसलिए उनकी संसद सदस्यता बच जाएगी। राहुल अभी केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से भी लड़ा था जहां उनकी बीजेपी उम्मीदवार स्मृति इरानी के हाथों हार हो गई थी। स्मृति इरानी अभी केंद्र सरकार में मंत्री हैं। बहरहाल, राहुल गांधी अपने लंदन में दिए बयानों को लेकर भी घिरे हुए हैं। उनसे माफी मांगे जाने की मांग को लेकर संसद का कामकाज ठप है।