रायपुर, छत्तीसगढ़ की प्रख्यात लोक गायिका पद्मश्री सम्मानित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की कुलपति डॉ मोक्षदा (ममता) चंद्राकर को नई दिल्ली में राष्ट्रपति ने संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया। कला और संगीत के क्षेत्र में दिए जाने वाले इस शीर्ष सम्मान को प्राप्त करने पर उन्हें राजनीति, साहित्य, पत्रकारिता, समाजसेवा समेत सभी क्षेत्रों के लोगों ने शुभकामनाएं दी हैं।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के कुलसचिव प्रो डॉ आईडी तिवारी, सभी डीन, शिक्षक, विद्यार्थी, अधिकारी-कर्मचारी समेत विश्वविद्यालय परिवार ने भी बधाई देते हुए कहा कि वे बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं। बता दें कि लोक गायन के क्षेत्र में डॉ ममता चंद्राकर को पद्मश्री सम्मान पहले ही प्राप्त हो चुका है। अब कला संगीत का यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें मिला है। छत्तीसगढ़ की लोक कला को शीर्ष पर स्थापित करते हुए उसे बड़े फलक पर प्रतिष्ठा दिलाने के लिए उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया।
ममता चंद्राकर को विरासत में मिली लोक गायिकी
ममता चंद्राकर के पिता दाऊ महासिंह चंद्राकर भी लोककला के संरक्षक थे। ममता को घर में ही लोक कला का माहौल मिला है। पिता और बड़े भाई के सहयोग से वे लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं। उनके पिता दाऊ महासिंह चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। ममता चंद्राकर भी बचपन से ही लोकगीतों के लिए समर्पित रही हैं। उनके गाए हुए सुआ, गौरा गौरी, बिहाव, ददरिया बहुत मशहूर हैं। चंद्राकर आकाशवाणी केन्द्र रायपुर में बतौर निदेशक भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।।