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*गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की 37 यूनिट लगेगी… जनवरी महीने के अंत तक होगा उत्पादन*

रायपुर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य में गौठान तेजी से ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित होने लगे हैं। गौठानों में विविध आयमूलक गतिविधियों के संचालन के साथ-साथ नवाचार के रूप में गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन भी शुरू हो गया है। वर्तमान में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए पांच इकाईयां स्थापित हो चुकी है, जिनमें से रायपुर और दुर्ग जिले के गौठानों में दो-दो तथा कांकेर के चारामा स्थित गौठान में एक यूनिट संचालित है। इन पांच क्रियाशील यूनिटों के माध्यम से अब तक 8997 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 3307 लीटर प्राकृतिक पेंट के विक्रय से 7 लाख 2 हजार 30 रूपए की आय अर्जित हुई है।
राज्य के 25 जिलों के 37 चिन्हित गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट स्थापना की कार्यवाही तेजी से पूरी की जा रही है। जनवरी माह के अंत तक यह सभी 37 यूनिटें गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन करने लगेंगी।
यह जानकारी मुख्यमंत्री निवास में आयोजित गोधन न्याय योजना के मासिक भुगतान के लिए आयोजित वर्चुअल समारोह में दी गई। बताया गया, वर्तमान में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए पांच यूनिट लगाई जा चुकी हैं। इनमें से रायपुर और दुर्ग जिले के गौठानों में दो-दो तथा कांकेर के चारामा स्थित गौठान में एक यूनिट संचालित है। इन पांच क्रियाशील यूनिटों के माध्यम से अब तक आठ हजार 997 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया जा चुका है। इसमें से तीन हजार 307 लीटर प्राकृतिक पेंट के बिक्री से 7 लाख 2 हजार 30 रुपए की आय अर्जित हुई है। अब प्रदेश के 25 जिलों में 37 चिन्हित गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट स्थापना की कार्यवाही तेजी से पूरी की जा रही है। इस महीने के अंत तक यह सभी 37 यूनिटें गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन करने लगेंगी।

प्राकृतिक है, पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं
पेंट, पुट्टी प्राकृतिक है। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। न ही दीवार, दरवाजा आदि पर लगाने पर किसी तरह की दुर्गंध आएगी।

ऐसे बनता है गोबर से प्राकृतिक पेंट
गोबर को पहले मशीन में पानी के साथ अच्छे से मिलाया जाता है फिर इस मिले हुए घोल से गोबर के फाइबर और तरल को डी-वाटरिंग मशीन के मदद से अलग किया जाता है। इस लिक्विड को 100 डिग्री में गरम कर के उसका अर्क बनता है जिसे पेंट के बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जिसके बाद इसे प्रोसेस कर पेंट तैयार होता है। कुदरती कलर्स मिलाए जाते हैं। इसमें कार्बोक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है।

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