बालोद- बालोद जिले मे नए जिले के निर्माण के बाद से आरटीओ दफ्तर को सभी सुविधाओं के प्रारंभ की जाने की मांग लंबे अरसे तक की जाती रही है लेकिन मांग आधी अधूरी सुविधाओं के पूरी होते हुए आरटीओ दफ्तर प्रारंभ तो हो गया जिले वासियों को यह भी लगने लगा कि आरटीओ दफ्तर शुरू होने से अब उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस ,वाहनों के नाम ट्रांसफर, वाहनों के पंजीयन में पूरी सुविधा मिलेगी लेकिन लोगो का यह सपना महज सपना बनकर रह गया ।बालोद आरटीओ में यदि किसी आम नागरिक को अपना ड्राइविंग लाइसेंस ,वाहनों के नाम ट्रांसफर करवाना होता है तो उसके लिए सीधे दफ्तर से संपर्क कर कार्य कर पाना संभव नही हो पाता जिसके चलते लोगो को आरटीओ एजेंट (अनाधिकृत) से संपर्क कर अपना काम करवाना पड़ता है लेकिन इसके एवज में लोगो को निर्धारित राशि से दुगुनी राशि खर्च करनी पड़ती है । ऐसा नही है कि इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को नही मालूम बल्कि इन एजेंटों का सीधा संपर्क अधिकारियों से ही होता है । यदि कोई आम आदमी अपना ड्राइविंग लाइसेंस ,वाहनों के नाम ट्रांसफर कार्य से आफिस पहुंचता है तो विभाग में पहुंचने से पहले एजेंट मिल जाते है और काम की कठिनाई गिनाते हुए अपनी फीस सहित काम को घर बैठे करवाने का आश्वासन देने लगते है कई बार लोग एजेंट की बातों को अनसुनी कर यदि कार्यालय तक पहुंच भी जाते है तो दफ्तर में बैठे जिम्मेदारों द्वारा इतना कागजी कार्यवाही बताया जाता है कि नागरिक पुनः एजेंट के पास जाने को मजबूर हो जाता है ऐसे स्थिति में एजेंट भी लोगो पर अहसान जताने जैसे बात कहकर लोगो से मोटी रकम वसूलते है
ऐसे ही मामलों को लेकिन हाल ही में जब कुछ स्थानीय पत्रकारों ने मामला उजागर करना शुरू किया तो पत्रकारों से पहले अलग अलग तरीके से इस व्यवसाय में जुड़े लोग संपर्क करने लगे यही नही समाचारों को लेकर कुछ जिम्मेदारों की भी कॉल पहुंचने लगी मामला जब प्रदेश स्तर तक पहुंच गया तो अन्य जिलों से भी पत्रकारों के पास खबर को लेकर कॉल आने लगा ।
आपको बतादे लगातार खबरो के बीच जब बात नही बनी तो मामले पर खंडन भी आना शुरू हुआ लेकिन इस बीच कुछ ऐसे तत्व भी सामने आने लगे जिनका सरोकार पत्रकारिता के अलावा आरटीओ के कार्यो से भी है जिनके द्वारा पोल खोल खबरो के विपरीत विभागीय उपलब्धि गिनाने में लग गए लेकिन आम जनता जो आरटीओ की मनमानी से त्रस्त थे ऐसे लोगो ने आरटीओ विभाग की पोल खोलने वाले पत्रकारों का आभार व्यक्त करते दिखे जो इस बात को प्रमाणित कर गया कि वास्तव में आरटीओ विभाग की कार्यशैली महज गिनती की नही बल्कि अनगिनत लोग परेशान हो रहे थे
विभागीय सूत्रों के अनुसार मामले की गंभीरता को देखते हुए जिले के मुखिया बालोद कलेक्टर ने भी मामले को संज्ञान में लिया और मामले में अधिकारियों तलब किया गया जिसके चलते लंबे अरसे बाद बालोद आरटीओ ने अनफिट बसे, मालवाहकों ओवरलोड वाहनों सहित अलग अलग मामलों में युद्ध स्तर पर कार्यवाही करते हुए लाखों रुपये की चालानी कार्यवाही किये तो वही लगातार खबरो के बाद आरटीओ विभाग से जुड़े अनाधिकृत एजेंटों के भी होश उड़े हुए है लेकिन देखना होगा आरटीओ की जिस सुविधाओं का लाभ आम जनता को आसानी से मिल पायेगा….?
आप अपने आसपास होने वाले घटनाओं व जनहित से जुड़े मामले,या किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से जुड़ी को प्रकाशित कराने के लिए संपर्क करे इस नंबर पर