बालोद- जिला मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में शुक्रवार को देवउठनी एकादशी पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। लोगों ने घरों के तुलसी चौरा में तुलसी पूजा की। भगवान शालिग्राम एवं देवी तुलसी का विवाह रचाकर श्रृंगार सामग्री एवं मौसमी फल अर्पित की। पूजा के बाद आसपास के घरों में प्रसाद का आदान प्रदान किया गया। बच्चों ने पटाखे फोड़कर छोटी दिवाली की खुशियां मनाई।
घरों और आंगन में सजी रंग-बिरंगी रंगोली
देवउठनी पर्व पर महिलाओं ने घर आंगन में आकर्षक रंगोली बनाई। शाम ढलते ही लोगों ने तुलसी चौरा के पास गन्ने का मंडप सजाकर दीपक जलाया और तुलसी माता को श्रृंगार सामग्री अर्पण कर विधि विधान से पूजा अर्चना की। भगवान शालिग्राम को मौसमी फल जैसे केला, सेव, सिंघाड़ा, मूंगफली, अमरूद, सीताफल, संतरा, कंदमूल एवं घरों में बनाए व्यंजन का भोग लगाया गया। पूजा के बाद लोगों ने आस पड़ोस में प्रसाद बांटकर खुशियां मनाई। इस अवसर पर दिनभर व्रत रखकर शाम को पूजा के बाद फलाहार कर व्रत तोड़ा।
यदुवंशियों ने दोहा पार कर मनाया पर्व
ग्रामीण अंचलों में देवउठनी पर पशुधन को यदुवंशियों द्वारा सोहई बांधी गई। ग्वालों ने दोहा पार कर गाय, बछड़ों और बैलों को मोरपंख से सुसज्जित सोहई बांधी।इस दौरान मालिको ने भी यदुवंशियों को अन्न व वस्त्र भेंट किया गया।
फल एवं पूजा सामग्री की मांग रही
बाजार में गन्नों के अलावा पूजा सामग्री सहित मौसमी फल-कंदमूल की मांग रही। लोगों ने श्रीफल, सेव, सीताफल, जाम, संतरा, केला, कंदमूल, सिंघाड़ा, मूंगफली आदि खरीदे। श्रृंगार सामानों में दर्पण, फीता, बिंदी, काजल, माहुर, सिंदूर, लाल चूड़ी आदि की भी बिक्री हुई।
चौक-चौराहों पर दिनभर बिके गन्ने
शुक्रवार को छोटी दिवाली के कारण नगर के चौक-चौराहों पर गन्ने खूब बिके। पर्व के लिए लोगों ने गन्ने की खरीदारी की। नगर में गन्ने 50 रुपए से लेकर 100 रुपए जोड़़ी तक बिके।
आज से शुरू हो जाएगा शादी विवाह के दौर
जानकरी के मुताबिक तुलसी विवाह के बाद तो शादी का भी मुहूर्त शुरू हो जाता है। इस दिन से विवाह योग्य लड़के दुल्हन की तलाश करने निकल जाते है। लोग तुलसी विवाह के बाद शादी के लिए लड़की देखने जाने की प्रक्रिया को शुभ मानते है।