बालोद-जिले के दल्लीराजहरा के ठेका श्रमिकों एवं क्षेत्र में पनप रही औद्योगिक अशांति की समस्या को हल करने की मांग को लेकर को छतीसगढ़ माइंस श्रमिक संध के अध्यक्ष सोमनाथ उइके ने रविवार को दल्लीराजहरा आगमन पर भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड नई दिल्ली के अध्यक्ष को चार सूत्रीय मांग पत्र सौपा।छतीसगढ़ माइंस श्रमिक संध के अध्यक्ष सोमनाथ उइके ने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र के उद्गम के साथ विगत 60 से अधिक वर्षों से राजहरा खान समूह से अयस्क की आपूर्ति लगातार की जाती रही है, भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदान होने के कारण कम लागत व आसान यातायात से संयंत्र हमेशा लाभ में अग्रणी रहा है, परन्तु अब खदान में लौह अयस्क की मात्रा कम होने तथा गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ने से संयंत्र का उत्पादन प्रभावित हो रही है, नये खदान रावघाट में औद्योगिक अशांति होन के कारण उत्खनन दोहन करने में असुविधा हो रही है, जो उस क्षेत्र के निवासियों के लिए स्वाभाविक है।दल्लीराजहरा के शुरुवाती दिनों से लेकर 40 वर्षो तक लगभग 20 हजार कर्मचारी कार्य करते थे जो घटकर वर्तमान में 3 हजार में पहुँच गयी है, जिसमें भी 2 हजार से अधिक ठेका मजदूर हैं. इन ठेका मजदूरों के मातहत नियमित कर्मचारियों का 90 प्रतिशत हिस्से का कार्य स्थायी एवं लगातार प्रवृति के कार्यों में लिया जाता है, जिससे स्वाभाविक रूप से समान काम एवं समान वेतनमान की अवधारणा उभर कर आती है, जिससे औद्योगिक अशांति जैसे स्थिति बनी रहती है।दल्लीराजहरा में ही पूरे सेल में एक ऐसी यूनिट थी, जहाँ नियमित, विभागीयकृत एवं ठेका श्रमिक कार्यरत थे, जहाँ एंजेसीएस द्वारा प्रस्तावित एस1 ग्रेड का वेतनमान व सुविधाएँ ठेका श्रमिकों के लिए भी प्राप्त होती थी, वर्तमान समय में भी श्रमिक सहकारी समिति के मातहत् कार्य करने वाले ठेका श्रमिकों को यह सुविधा प्राप्त होती है, जिससे खदान के कार्य पद्धति में सुविधा होती है। इस प्रक्रिया को राजहरा खान समूह सहित रावघाट प्रोजेक्ट में भी स्थापित करने की कृपा करेगें ताकि भिलाई इस्पात संयंत्र को
चार सूत्रीय मांगे
चार सूत्रीय मांगों में स्थायी एवं लगातार प्रवृत्ति के कार्यों में लगे ठेका श्रमिकों को श्रमिक सहकारी समिति के तर्ज पर S-1 ग्रेड का वेतनमान व अन्य सुविधाएँ प्रदान की जाय। राजहरा खान समूह के अन्तर्गत महामाया एवं डुलकी माइंस एवं रावघाट प्रोजेक्ट में ग्रामीण बेरोजगारों के लिए मानवीयकृत पद्धति से उजरती दर पर कार्य प्रारंम्भ कर कार्य प्रदान किया जाय ताकि इन क्षेत्रों से अयस्क उत्खनन में बाधा न आये। राजहरा खान समूह में नियमित कर्मचारियों की अपेक्षा ठेका श्रमिकों की बड़ी संख्या उत्पादन कार्यों में लगी हुई है, नियमित कर्मचारियों के लिए समय-समय पर उत्पादन प्रोत्साहन स्कीम लागू की जाती है, जहाँ ठेका श्रमिको को इस योजना से वंचित रखा जाता है, जो अनुचित है। ठेका श्रमिकों के लिए भी उत्पादन प्रोत्साहन योजना को लागू किया जाय।राजहरा में कान्टेक्ट सेल की स्थापना की जाय।