बालोद- .बालोद जिले के पास से बहने वाली तांदुला नदी को यहां की जीवन दायिनी नदी कहा जाता है..जिम्मेदार विभाग के अनदेखी के चलते नदी की साफ-सफाई नहीं हुई है .और इन दिनों यह पूरी तरह से जलकुंभी और गंदगी से पट गई है..साल भर पहले तक तो तांदुला नदी से शहर के आधे से ज्यादा हिस्से में पेयजल की सप्लाई बालोद नगर पालिका द्वारा की जाती थी.लेकिन इस बाद भी नगर पालिका के जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते भी नदी की साफ-सफाई कभी नहीं हुई है..और इन दिनों यह पूरी तरह से जलकुंभी और गंदगी से पट गई है।
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तांदुला नदी यूं तो हजारों लोगों के लिए जीवनदायिनी नदी है, लेकिन यह जिम्मेदार लोगों की उपेक्षा का शिकार हो रही है..नदी पूरी तरह जलकुंभी से पटी है….तो वहीं नगर के राइस मिलों से निकलने वाली और शहर की नालियों का गंदा पानी भी नदी में मिल रहा है.इससे नदी में कीचड़ और गंदगी की भी भरमार हो गई है. इस नदी के पानी का उपयोग जिला मुख्यालय सहित कई गांवों के लोग निस्तारी व अन्य कामों के लिए करते हैं. इस नदी की बदतर हालत अब स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गई है .लोगों की मानें तो वे कई बार इस नदी की साफ-सफाई की मांग कर चुके हैं..यही नहीं इस क्षेत्र के पार्षद इसकी सफाई को लेकर भी लिखित शिकायत कर चुके है.लेकिन इस दिशा में कोई भी गंभीर नहीं है..जिम्मेदारों की उपेक्षा के चलते आज नदी के।अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगी है
.आपको बतादे जलकुंभी से पानी में आक्सीजन की कमी हो जाती है…. जिससे मछलियों की वृद्धि के अलावा अन्य जलीय वनस्पतियों और जीवों का दम घुटने लगता है…. यह पानी के बहाव को 20 से 40 फीसद तक कम कर देती है….जलकुंभी मुख्यतः बाढ़ के पानी, नदियों और नहरों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैलता है…. मिट्टी में दबे बीजों द्वारा भी इसका फैलाव होता है….. एक पौधा 5000 तक बीज उत्पन्ना कर सकता है….जिसके।चलते इसका फैलाव तेजी से होती है…बहरहाल देखना होगा जीवनदायिनी नदी को इस जलकुंभी से निजात कब तक मिल पाती है