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ताड़मेटला और सारकेगुड़ा मुठभेड़ मामले को लेकर लाल हरे झंडों के बीच गूंजी लाल सलाम के नारे….आंदोलनकारियों ने कहा जब एनकाउंटर फर्जी था तो बंदूक कहा से आया..तत्कालीन आईजी दोषी पुलिसकर्मियों को लेकर कहा…

बालोद-जनमुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ ने ताड़मेटला में मारे गए निर्दोष आदिवासियों के हत्यारों पर अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग को लेकर आज एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किए और शहर में रैली निकालकर राज्यपाल के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा….. इस दौरान दल्लीराजहरा डौंडी क्षेत्र के सैकड़ो ग्रामीण बालोद जिला मुख्यालय में आमसभा के माध्यम दोषियों पर कार्यवाही की मांगें करते नजर आए वही इस आंदोलन के दौरान जिला मुख्यालय में लाल सलाम के नारे गूंजे वही मामले में जन मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष जीत गुहा नियोगी ने बताया कि 2011 में सुकमा जिला के ग्राम ताड़मेटला में अर्धसैनिक बल और छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से फर्जी मुठभेद की मनगढ़त कहानी गढ़ कर 04 नाबालिक सहित 08 आदिवासियों एवं 2012 में बीजापूर जिला के सारकेगुड़ा में 17 आदिवासियों को जिसमें कि 04 की उम्र 18 वर्ष से कम था, जिसका मौत के घाट उतार दिया गया था और फर्जी रूप से बंदूक बरामद कर माओवादी की मारे जाने की गलत सुचना जारी किया गया था किन्तु घटना से ही गाँव वालों द्वारा किसी भी प्रकार की मुठभेद होने की बात से साफ इन्कार करते हुये, मारे गये ग्रामीणों को पुलिस फोर्स द्वारा गाँव से उठाकर जंगल में ले जाने व हत्या कर मुठभेड़ में मारे जाने की बात कही जा रही थी।

आदिवासीयो के आरोपी जिम्मेदार अधिकारी व पुलिस कर्मियों के ऊपर आज तक दर्ज नही किया गया अपराध

जीत गुहा नियोगी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा निष्पक्ष जाँच हेतू न्यायिक जाँच समिति का गठन किया गया था, जो कि 04 वर्षों के बाद भी जाँच कमेटी द्वारा जाँच उपरांत कोई मुठभेड़ नहीं होना पाया गया है, साथ ही कथित मुठभेद को फर्जी बताया गया है। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा अभी तक इस फर्जी मुठभेड़ में मारे गये आदिवासियों के आरोपी जिम्मेदार अधिकारी व पुलिस कर्मियों के ऊपर अपराध दर्ज नही किया गया है, जिससे कि मारे गये निर्दोष आदिवासियों को न्याय मिल सके।

आदिवासियों के हत्यारे खाकी वर्दी में धूम रहे खुलेआम

जीत गुहा नियोगी ने बताया कि कथित तौर पर आदिवासी हितैषी राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों के प्राकृतिक संसाधन को लुटने के लिये बस्तर में सैन्यकरण के तहत् आदिवासियों के अधिकारों को दमनपूर्वक दबाने के साथ ही आदिवासियों की जान लेने में कोई परहेज नही है। तभी तो आदिवासियों के हत्यारे खाकी वर्दी वाले खुले आम घुम रहें हैं व निर्दोष आदिवासी फर्जी नक्सली के नाम पर जेल में बंद है।


4 सूत्रीय मागे

चार सूत्रीय मांगों में प्रमुख रूप से ताड़मेटला नरसंहार के आरोपी बस्तर आई.जी. एवं हत्यारे पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने आदेशित किया जाये, ताकि मारे गये आदिवासियों व उनके परिवार को न्याय मिल सके। न्यायिक जाँच में जितने भी फर्जी मुठभेड़ हुये है, उक्त मुठभेद में अवैध हथियार मुहैय्या कराने वाले जिम्मेदार आधिकारियों के ऊपर आर्म्स एक्ट की तहत् अपराध दर्ज किया जाये। भविष्य में फर्जी भुग्भेद के नाम पर निर्दोष आदिवासियों की हत्या पर रोक सुनिश्चित किया जाये। फर्जी मुठभेद के तहत् प्रमोशन पाये अधिकारियों का डिमोशन किया जाये और विधानसभा में फर्जी मुठभेढ़ की रोकथाम के लिये कड़े कानून वाले अधिनियम पास करने की मांग राज्यपाल से किया है।

 

 

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