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रोका छेका अभियान अभियान को शुरू हुए 5 दिन बीत गए लेकिन सीएम के अभियान पर निकाय क्षेत्रों के सीएमओ में नही दिख रही रुचि..मवेसी गौठानो के बजाय नजर आ रहे सड़को पर…सीएम के मंसूबों पर पानी फेर रहे अधिकारी

बालोद- बालोद जिले में लंबे समय से बेसहारा मवेशियों की समस्या से लोगों को निजात नहीं मिल रहा है। शासन के द्वारा चलाए जा रहे रोका-छेका अभियान का भी जमीनी स्तर पर कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। पशुओं की सुरक्षा और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए राज्य सरकार ने रोका-छेका अभियान की शुरुआत की थी। जिसके तहत मवेशियों को गोठानों में रखने की योजना है। शासन की महत्तवकांक्षी योजना का क्रियान्वयन सिर्फ दिखावे तक ही सीमित नजर आ रहा है।वही बालोद जिले के डोंडीलोहारा ब्लाक में पिछले तीन दिनों में दो मवेशियों की सड़क दुर्धटना में दर्दनाक मौत हो चुकी है।
डोंडीलोहारा के मुख्यमार्ग में बैठे बैल को ट्रक ने रौंदा,ट्रक के पहिए के बीच एक धंटे तक फसा रहा बैल
डोंडीलोहारा नगर के हृदय स्थल कहे जाने वाले विवेकानंद चौक पर एक ट्रक के नीचे बैल आ गया ।बैल ट्रक के पहिया के बीच लगभग एक धंटे तक फसा रहा।बैल की दर्दनाक मौत देखकर हर कोई सिस्टम को कोसता नजर आया।लोगो ने सवाल उठाए की कांजी हाउस ,गौठान,रोका छेका अभियान जैसी योजनाओं में बडी राशि खर्च करने के बाद भी मवेशी गली मुहल्ले व मुख्यमार्ग पर आसानी से बैठे व धूमते दिखाई देते हैं।मवेशियों के संरक्षण की बात खोखली साबित हो रही है।सड़क दुर्धटना में मवेशियों की मृत्यु में लगातार इजाफा हो रहा है। मुख्यमार्ग में दुर्धटना होने के कारण यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी ।सड़क के दिनों किनारे वाहनों की लंबी कतारें लग गई।
जाटादाह पोपलाटोला मोड़ पर सड़क दुर्धटना में गाय की हुई मौत।दो दिनों तक सड़क पर पड़ी रही मृत गाय
वही दूसरी धटना दो पहले डोंडीलोहारा ब्लाक के कपरमेटा में सड़क दुर्धटना में मवेशी की मौत हो गई जो दो दिनों तक मृत पड़ी हुई गाय सड़को में पड़ी रही ।जिसे हटाने के लिए शासन प्रशासन और न ही कोई गौसेवक सामने आए।पूरे जिले में आज भी मवेशी सड़कों पर बैठे नजर आ रहे हैं। ये मवेशी हादसों को आमंत्रित कर रहे है। बारिश के बाद मवेशी अक्सर मुख्य सड़कों पर बैठ जाते है, जिनकी चिंता नगर प्रशासन कर रहा है और न ही यातायात विभाग।
सड़कों पर मवेशियों का डेरा
लिहाजा इन पशुओं के कारण हर साल कई वाहन चालक हादसे का शिकार होते है। पशुओं के सड़कों पर बैठने के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और मवेशियों को संरक्षित रखने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रोका-छेका अभियान की शुरुआत की थी। लेकिन इस अभियान की वास्तविकता की पोल बालोद क्षेत्र की सड़कों पर बैठे मवेशी खोल रहे है। लोगो का कहना है कि भूपेश सरकार द्वारा प्रदेश भर में करोड़ों रुपये खर्च कर सभी ग्राम पंचायतों में गोठान निर्माण करा रही हैं और रोका-छेका कार्यक्रम चला रही लेकिन ये फेल होती नजर आ रही हैं।बालोद नगर की बात करें तो दिन रात सड़को में मवेशियों के जमावड़ा लगा रहता है। जब मवेशियों को सुरक्षित रखने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर गांव गांव में गोठान निर्माण करा रही है और मवेशी सड़को में घूम रहे हैं तो इस प्रकार की योजना किस काम की ।

खटाई में पड़ा अभियान
प्रदेश में रोका-छेका अभियान कहीं धीमा तो कहीं ठप है। राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कृषि की परंपरा रोका-छेका अभियान की शुरुआत 21 जून 2020 को किया गया था। इस वर्ष भी एक जुलाई को प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों के गोठान में रोका-छेका कार्यक्रम आयोजन किया गया था। शहरों की सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए भी यह कदम अहम माना गया, पकड़े गए मवेशियों को कांजीहाउस और गोठानों में रखने के आदेश दिए गए है. लेकिन ज्यादातर जगहों पर तस्वीर इसके विपरीत नजर आ रही है।

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