बालोद, बालोद नगरपालिका में रिकार्ड जीत के साथ ही भारतीय जनता पार्टी की अध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा चौधरी व 10 पार्षद चुनकर आ आए हैं। अब नई परिषद में उपाध्यक्ष के पद पर सामान्य या ओबीसी वर्ग इसे लेकर इसे लेकर भाजपा में सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। इसमें 20 वार्ड में 10 भाजपा के पार्षद चुनकर आए हैं। दो निर्दलीय व 8 कांग्रेस के हैं। ऐसे में भाजपा का ज्यादा सीट है। उसी में उपाध्यक्ष बनने मंथन शुरू हो गया।
जनरल सीट से जीतकर आई ओबीसी कैंडिडेट:
बता दे कि बालोद नगर पालिका के चुनाव में जनरल सीट पर भाजपा ने ओबीसी कैंडिडेट को मौका दिया। प्रतिभा चौधरी ओबीसी वर्ग से आती हैं और चुनाव जीतने भी सफल रही। दरअसल जहां अनारक्षित सीट होती है (जनरल) वहां से कोई भी चुनाव लड़ सकता है, इसीलिए दोनो राष्ट्रीय दल भाजपा कांग्रेस ने जनरल सीट पर ओबीसी वर्ग की प्रत्याशी को मैदान में उतारा। चुनाव में बालोद नगर पालिका की सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित थी।
सामान्य के पाले में जा सकता उपाध्यक्ष का पद:
राजनीति में भाजपा का प्रयोग और उसके सकारात्मक परिणाम को देखते हुए उपाध्यक्ष का पद सामान्य के पाले में जाने का जोर अधिक चल रहा है। क्योंकि अनारक्षित महिला सीट में ओबीसी अध्यक्ष के चुनकर आने के बाद उपाध्यक्ष की कुर्सी पर सामान्य को बैठाकर भाजपा संगठन वोट समीकरण को संतुलित करने का प्रयास करना चाहेगा। ज्यादातर लोगों का मानना है कि सामान्य वर्ग का चेहरा पार्टी की योजना के लिए बेहतर होगा। अभी भाजपा पार्षदों में पांचवी बार चुनकर आए कमलेश सोनी व तीसरी बार के पार्षद राजू पटेल की दावेदारी अधिक बन रही है। वहीं पहली बार चुनकर आए सामान्य वर्ग के गिरिजेश गुप्ता भी इस पद के दावेदार माने जा रहे है।
उपाध्यक्ष के नाम पर सरप्राइज का अंदेशा:
बीजेपी की हालिया राजनीति को देखने वाले लोग पार्टी की निर्णय प्रक्रिया से वाकिफ हैं। अधिकांश राज्यों में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने नतीजों के बाद सीएम का नाम तय किया और लगभग सभी नाम आश्चर्यजनक निर्णय थे। इसी तरह से कहा जा सकता है कि बालोद नगर पालिका में भी उपाध्यक्ष का नाम हाईकमान द्वारा किया जाएगा। गौरतलब हो कि नवनिर्वाचित पार्षदों का शपथ ग्रहण समारोह 26 फरवरी के बाद तय माना जा रहा है। इसके अनुसार शपथ ग्रहण समारोह के बाद ही उपाध्यक्ष का चुनाव होना है। इसके लिए बाहर पर्यवेक्षक भी आएंगे।
कौन बनेगा सभापति:
बालोद नगर पालिका के सभापति की कुर्सी पर भी सब की निगाहें हैं। सभापति कौन बनेगा। नियमानुसार अध्यक्ष के चार्ज संभालने के सात दिन के भीतर काउंसिल के गठन का प्रावधान है। पार्टी किन नामों को प्राथमिकता दे सकती है और इसकी क्या वजह है। पीआईसी में कौन शामिल होगा। क्योंकि 20 वार्ड में से 10 पर भाजपा की जीत हुई है। ऐसे में सभी पार्षदों को संतुष्ट करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है। इस दौरान कई बिंदुओं का भी ख्याल रखा जाएगा। जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की जाएगी। साथ ही इस पूरी कवायत में अध्यक्ष प्रतिभा चौधरी का सुझाव और बातें मायने रखेगी। उनके हिसाब से ही पार्टी निर्णय लेगी।
ये है सभापति की दौड़ में अव्वल:
जानकारों का कहना है कि कमलेश सोनी और राजू पटेल का नाम सभापति की दौड़ में सबसे ऊपर है, उसकी वजह है कि दोनो क्रमशः 4 व 2 बार पार्षद रह चुके हैं। कमलेश सोनी काउंसिल के सदस्य भी रह चुके हैं। इसलिए भी वो इस पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं। अन्य दावेदार गिरिजेश गुप्ता, दीपक कुमार, सुनीता मनहर, गोमती रात्रे व गोकुल कुमार है। ये सभी पहली बार चुनाव जीते है। कमलेश सोनी और राजू पटेल ओबीसी वर्ग से आते हैं। भाजपा इसी वर्ग को साधने की कवायद में जुटी है। फिलहाल उनकी राजनीति इसी वर्ग के इर्द-गिर्द घूम रही है। यदि ऐसा हुआ तो कमलेश और राजू पटेल सभापति पद के प्रमुख दावेदार होंगे।