बालोद। नगरीय निकाय चुनाव के चुनावी सरगर्मी थमते ही नेता और प्रतायसी जहाँ अब अपने कार्यालयों या घरो में बैठकर चुनावी नतीजे आने का इन्तजार कर रहे है तो वहीँ नगर के चौक चौराहों में आम लोग अब इस बात को लेकर चर्चा कर रहे है की शहर में अगली सरकार किसकी बनेगी।कोई भाजपा और कोई कांग्रेस को इस चुनाव में जितने के दावे कर रहे है। बता दे वर्तमान में बालोद नगर पालिका में कांग्रेस की सरकार रही है।और प्रदेश में भाजपा सत्ता पर काबिज है।जिससे लोगो में इस चुनाव में सत्ता पक्ष के समर्थन में और काग्रेस के 10 साल के कार्यकाल के खिलाफ वोट पड़ने के भी दावे किये जा रहे है।लेकिन ये सभी महज दावे है और अब 15 फरवरी को ही स्पष्ट हो पायेगा की जनता शहर की सत्ता की चाबी किसके हाथो में सौंपेगी।
चौक-चौराहों सहित गली मोहल्लों में सिर्फ चुनाव की चर्चा चल रही हैं कि इस बार की बाजी कौन जीतेगा
बालोद नगर पालिका चुनाव का मतगणना 15 फरवरी को स्थानीय नया टाउन हाल में होगी। जिसके बाद से अब प्रत्याशियों की धड़कने तेज हो गई हैं। चुनाव परिणाम के लिए उलटी गिनती शुरू हो गई। परिणाम आने में केवल दो दिनों का समय शेष रह गया हैं।मतदान के बाद हार-जीत को लेकर चर्चा गर्म है। चौक-चौराहों सहित गली मोहल्लों में भी सिर्फ चुनाव की चर्चा चल रही हैं कि इस बार की बाजी कौन जीतेगा।वही प्रत्यासियो भी अपनी अपनी जीत को लेकर अस्वस्थ दिखाई दे रहे है। इस बात को लेकर राजनीतिक दल अपने हिसाब से गुणा-भाग और पूर्वानुमान लगा रहे हैं। वहीं जनता भी इस चर्चा में है।
भाजपा-कांग्रेस ने अध्यक्ष की सीट जीतने का दावा
मतदान के बाद से दोनों ही राजनीतिक पार्टियों ने निकाय चुनाव प्राभारियों से बूथ प्रभारियों की जानकारी के साथ ही समीक्षा बैठक कर हार-जीत के गुणाभाग के बाद दोनों ही पार्टी अध्यक्ष का पद जितने और पार्षद की सीट ज्यादा जितने की दावे किए जा रहे है। इस बार के चुनाव में 01 से 02 वार्डो में निर्दलीय प्रत्यासी जीत कर आने की संभावनाएं बन रही ।मतदान के बाद नगर के चौक चौराहों, होटलों और पान ठेलों में जनता सिर्फ चुनावी चर्चा करते दिख रही है। चर्चा में जीत-हार के साथ नगर की सरकार किसी पार्टी की बनेगी यह भी शामिल है। किस पार्टी के ज्यादा पार्षद जीत के आएंगे और किस पार्टी का अध्यक्ष बनेगी इसको लेकर कयास लगाए जा रहे है।
मतपेटियां स्ट्रांग रूम में सुरक्षा में
मतदान के बाद मंगलवार की रात को जिला निर्वाचन अधिकारियों व राजनीतिक दलों की उपस्थिति में पालिका के सभी 27 मतदान केंद्रों से मत पेटियों को कड़ी सुरक्षा में जिला मुख्यालय के नया टाउन हाल में स्ट्रांग रूम में रखी गई हैं। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा पुलिस की तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था भी है। बिना अनुमति वहां किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 15 फरवरी को होगा। अब मतगणना में सिर्फ दो दिन ही शेष है और प्रत्याशियों की धड़कनें तेज हो गई हैं।
क्या है रुझान
निकाय चुनाव को लेकर बालोद जिले के 6 नगर पंचायत और 2 नगर पालिका चुनाव के परिणाम को लेकर इस बार सट्टा बाजार भी जोर नही पकड़ पा रहा है इसके पीछे का कारण अप्रत्याशित परिणाम आने की संभावनाओं को माना जा रहा है वही सूत्रों कि माने तो जिले के अरजुंदा नगर पंचायत में निर्दलीय प्रत्यासी ने दोनो राष्ट्रीय पार्टी के समीकरण को बिगाड़ा है वही डौंडीलोहारा नगरपंचायत जहां पर मतदान के पहले निर्दलीय प्रत्याशी दोनो राष्ट्रीय पर भारी नजर आ रहा था चुनाव के बाद अब यहां पर भाजपा कांग्रेस में सीधा टक्कर माना जा रहा है। इसी तरह चिखलाकसा नगर पंचायत जहां टिकट बंटवारा के समय से ही कांग्रेस को कमजोर देखा जा रहा था वही चुनाव के बीच कांग्रेस पार्टी का सिर्फ एक घोषणा नगर पंचायत को ग्राम पंचायत का दर्जा वापस दिलवाने के मुद्दे ने कांग्रेस को चुनाव में वापसी करा दिया और अब भाजपा के साथ सीधा टक्कर बताया जा रहा है ।जिले के सबसे बड़े नगर पालिका दल्लीराजहरा में भले ही मुकाबला बीजेपी कांग्रेस के बीच है लेकिन यहां पर निर्दलीय उम्मीदवार संतोष देवांगन और व्यापारी वर्ग का वोट ही निर्णायक भूमिका निभायेगी ।ऐसा माना जा रहा था भाजपा से बागी उम्मीदवार संतोष देवांगन को जितना ज्यादा वोट मिलेगा वो भाजपा को कम कांग्रेस को ज्यादा नुकसान करेगा लेकिन चुनाव तक परिस्थिति बदली और संतोष देवांगन को मिलने वाला वोट दोनो ही दलों को नुकसान पहुंचाने की बात सामने आ रही है। जबकि व्यापारी वर्ग जिनका पहले कांग्रेस प्रत्यासी को समर्थन मिलने की चर्चा थी यहां पर भी बाद में भाजपा की सेंधमारी बढ़ने के बाद समीकरण बदल चुका है।
वही जिले के सबसे हॉट सीट कही जाने वाली बालोद नगर पालिका अध्यक्ष पद भाजपा और कांग्रेस में सीधा टक्कर देखा जा रहा है यहां पर निर्दलियों की पकड़ मतदाताओं में कम देखने को मिली वही इस निकाय चुनाव के शुरुआती दौर में कांग्रेस प्रत्याशी को मजबूत माना जा रहा था । लेकिन चुनावी दौर में मामला भाजपा और कांग्रेस के प्रतीक चिन्ह पर आने के बाद मामला पिछले 10 वर्षो के विकास के मुद्दे पर आने के बाद भाजपा की वापसी देखने को मिली ।लेकिन दूसरी तरफ भाजपा में आपसी भीतरघात का मुद्दा भी जोर पकड़ने लगा। वही पार्टी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चुनावी दौर के बीच बालोद नगर पालिका।चुनाव प्रभारी तथा रिसाली भिलाई के विधायक के द्वारा भी देर रात तक कई भाजपा पदाधिकारियों और पार्षद उम्मीदवारों को क्लास लगाई गई और मामला प्रदेश के नेताओ तक भी पहुंचा जिसके बाद पूरे चुनाव के दरमियान भाजपा के कुछ बड़े पदाधिकारियों की भी क्लास ली गई ।जिसके बाद चुनाव के बीच में ही चुनाव संचालक के रूप में यज्ञदत्त शर्मा को जिम्मेदारी दी गई और दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से क्षेत्रीय विधायक संगीता सिन्हा और पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा ने कमान संभालते हुए पद्मनी नन्हू साहू के पक्ष में चुनाव प्रचार अभियान में जुट गए और ऐसा माना जा रहा है पूर्व विधायक की सक्रियता भाजपा के कुछ वोट बैंक पर सेंधमारी में सफल रहा है। बहरहाल बालोद नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव को लेकर जहां भाजपा के पदाधिकारी एक बड़े अंतराल से जीत के दावे कर रहे है तो दुसरी तरफ कांग्रेस भी इस चुनाव को भले कम अंतराल हो लेकिन जीत निश्चित होने की बात कह रही है। हालांकि इस चुनावी चर्चे में ज्यादातर लोगो का मानना है जनता में भी इस बार बदलाव का मूड देखने मिला है। लेकिन देखना होगा इस बार बालोद की सत्ता की चाबी जनता किसे सौंपने का मन बनाई है ये 15 फरवरी को ही स्पष्ट हो पाएगा।